पूरी कोशिश की पूरी कनवर्ट मिशनरी साथ थी, मां बेटा बेटी को पार्टी ने की हिंदू समाज को तोड़ दें,दलित टूट जाएं कनवर्ट करना आसान हो जाएगा पर ….
अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में लगी रामलला की प्रतिमा के लिए पत्थर देने वाले दलित किसान ने अपनी जमीन का एक हिस्सा मंदिर बनाने के लिए दे दिया है। मूर्तिकार अरुण योगीराज ने रामलला की प्रतिमा कर्नाटक के दलित किसान रामदास की खेत से लाए गए पत्थर से ही बनाई है।
रामलला की श्यामल प्रतिमा कर्नाटक के मैसुरु के गुज्जेगौदानपुरा से लाए गए पत्थर से बनाई गई है। यह पत्थर यहाँ के दलित किसान रामदास की जमीन से ले जाया गया था। उनकी खेत से प्रतिमा का पत्थर जाने से रामदास काफी प्रसन्न हैं। उन्होंने गाँव वालों की माँग पर अपनी जमीन का एक हिस्सा मंदिर बनाने के लिए दिया है।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए रामदास ने बताया, “मैं अपनी 2.14 एकड़ जमीन पर से पत्थर हटाना चाहता था, ताकि इस पर खेती की जा सके। यहाँ से निकाले गए पत्थर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की जरूरतों को पूरा करता था और मूर्तिकार अरुण योगीराज ने इसे चुन लिया।”
उन्होंने आगे बताया, “मेरे गाँव के अधिकांश लोग उस जगह पर प्रभु राम का मंदिर बनाना चाहते हैं, जहाँ से प्रतिमा के लिए पत्थर निकला था और अयोध्या के लिए ले जाया गया था। इसलिए मैंने अपनी जमीन का एक हिस्सा मंदिर बनाने के लिए देने का निर्णय किया है।”
रामदास ने कहा कि वह गाँव वालों के साथ मिलकर 22 जनवरी को 2024 को ही अपनी जमीन के उस हिस्से पर मंदिर निर्माण का शिलान्यास कराएँगे। यह कार्यक्रम 22 जनवरी को सुबह किया जाएगा। यहाँ लगने वाली प्रतिमा बनाने के लिए भी गाँव वाले अरुण योगीराज से सम्पर्क करेंगे।
रामदास के खेत से पत्थर निकालने वाले ठेकेदार श्रीनिवास ने बताया कि रामलला की प्रतिमा बनाने के काम से जुड़े लोगों ने उनसे सम्पर्क करके पत्थर के विषय में जानकारी ली थी। इसके बाद उन्होंने रामदास के खेत से निकले एक पत्थर को अयोध्या भेजा था। इसके बाद लोगों ने बताया था कि पत्थर उपयुक्त है।
रामदास के खेत से निकले पत्थर से ही लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की भी प्रतिमाएँ बनाई गई हैं। हाल ही में अयोध्या के राम मंदिर में लगने वाली रामलला की प्रतिमा की तस्वीरें भी बाहर आई थीं। रामलला की यह प्रतिमा 51 इंच लम्बी है और इसे उनके 5 वर्ष के क्षत्रिय युवराज वाले स्वरूप में बनाया गया है। इस पर भगवान विष्णु के दशावतार को भी उकेरा गया है।
श्रीनिवास ने कहा है कि रामदास को 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा के लिए आमन्त्रण नहीं मिला है। उन्हें यहाँ आमंत्रित किया जाना था। उन्होंने स्थानीय विधायक से अपील की है कि वह रामदास के अयोध्या जाने को लेकर कुछ प्रबंध करें।