Thursday, November 21, 2024
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जिसके खिलाफ जजो ने सुनवाई से पल्ला झाड़ लिया था,उसने हाथ जोड़े उत्तरप्रदेश आने से,गुंडागर्दी घुस गई ,गाड़ी पलटने का डर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ. कुछ गुंडे यहां से एक बिजनेसमैन को किडनैप करते हैं. 300 किलोमीटर दूर देवरिया ले जाते हैं. वो भी ऐसी-वैसी जगह नहीं, सीधे जेल में. देवरिया जेल में बिजनेसमैन की पिटाई की जाती है. प्रॉपर्टी के लिए सादे कागज पर साइन करवाए जाते हैं. पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया जाता है. ऐसा इसलिए ताकि लोगों में दहशत बनी रहे. ये घटना है 26 दिसंबर 2018 की. बिजनेसमैन जिन्हें पीटा गया, वो थे मोहित जायसवाल. मोहित ने आरोप लगाया था कि उनका अपहरण अतीक अहमद ने करवाया था. वारदात के बाद मोहित ने एक टीवी चैनल से कहा था,

जेल के अंदर ले जाकर मुझे डंडों से मारा गया. 15-20 आदमियों ने पकड़कर मुझे बहुत मारा. खाली पेपर पर साइन करवाए. मुझसे मेरी एसयूवी छीन ली गई. कहा गया कि तुम जेल के अंदर हो इसलिए तुम्हारी हत्या नहीं हो सकती. नहीं तो मार देते.

इस घटना के बाद अतीक अहमद को देवरिया से बरेली जेल भेजा गया. वहां के जेल प्रशासन ने अतीक को रखने से हाथ खड़े कर दिए. लोकसभा चुनाव सामने थे. अतीक को कड़ी सुरक्षा में रखना ज़रूरी था. सो इलाहाबाद के नैनी जेल में शिफ्ट कर दिया गया. उधर देवरिया जेल कांड का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट ने सीबीआई को मुकदमा दर्ज कर जांच का आदेश दिया. अतीक अहमद और बेटे के अलावा 4 सहयोगियों और 10-12 अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज हुआ.  23 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि अतीक अहमद को यूपी के बाहर शिफ्ट किया जाए. उसके बाद यूपी सरकार ने 3 जून 2019 को उसे अहमदाबाद की साबरमती जेल में शिफ्ट कराया.

इलाहाबाद में एक मोहल्ला है चकिया. साल था 1979. इस मोहल्ले का एक लड़का हाई स्कूल में फेल हो गया. उसके पिता इलाहाबाद स्टेशन पर तांगा चलाते थे, लेकिन अमीर बनने का चस्का तो उसे भी था. 17 साल की उम्र में हत्या का आरोप लगा और इसके बाद उसका धंधा चल निकला. खूब रंगदारी वसूली जाने लगी. नाम था अतीक अहमद. फिरोज तांगेवाले का लड़का.

चांद बाबा का समय

पुराने शहर में उन दिनों चांद बाबा का खौफ हुआ करता था. पुराने जानकार बताते हैं कि पुलिस भी चौक और रानीमंडी की तरफ जाने से डरती थी. अगर कोई खाकी वर्दी वाला चला गया तो पिटकर ही वापस आता. लोग कहते हैं कि उस समय तक चकिया के इस 20-22 साल के लड़के अतीक को ठीक-ठाक गुंडा माना जाने लगा था. पुलिस और नेता दोनों उसे शह दे रहे थे. वे चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाह रहे थे. इसके लिए खौफ के बरक्स खौफ को खड़ा करने की कवायद की गई. और इसी कवायद का नतीजा था अतीक का उभार, जो आगे चलकर चांद बाबा से ज्यादा पुलिस के लिए खतरनाक होने वाला था.

दिल्ली से फोन आया और अतीक छूट गया

साल था 1986. प्रदेश में वीर बहादुर सिंह की सरकार थी. केंद्र में थे राजीव गांधी. अब तक चकिया के लड़कों का गैंग चांद बाबा से ज्यादा उस पुलिस के लिए ही खतरनाक हो चुका था, जिसे पुलिस ने शह दी थी. अब पुलिस अतीक और उसके लड़कों को गली-गली खोज रही थी. एक दिन पुलिस अतीक को उठा ले गई. बिना किसी लिखा-पढ़ी के. थाने नहीं ले गई. किसी को कोई सूचना नहीं. लोगों को लगा कि अब काम खत्म है. परिचितों ने खोजबीन शुरू की. इलाहाबाद के ही रहने वाले एक कांग्रेस के सांसद को सूचना दी गई. बताया जाता है कि वह सांसद प्रधानमंत्री राजीव गांधी का करीबी था. दिल्ली से फोन आया लखनऊ. लखनऊ से फोन गया इलाहाबाद और फिर पुलिस ने अतीक को छोड़ दिया.

आज के दौर में योगी सरकार

लोग कहते हैं समय बहुत बलवान होता इसका चक्र घूमने में देर नहीं लगती, जिसकी कल तक लोगों में दहशत थी आज वे खुद दहशत में हैं, हम बात कर रहे हैं यूपी के पूर्वांचल में आतंक का पर्याय माने जाने वालो मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद की. मुख्तार अंसारी के बाद अब अतीक अहमद (Atiq Ahmad) को भी उत्तर प्रदेश आने में डर लग रहा है. अब पेशी पर गुजरात से यूपी लाने पर बाहुबली को अपनी जान का खतरा सता रहा है. बाहुबली को डर है कि रास्ते में कहीं उसकी गाड़ी न पलट जाए.

अतीक अहमद को को डर है कि कहीं रास्ते में ही उसकी हत्या न कर कर दी जाये. इसीलिए बाहुबली ने अपने वकीलों के जरिए वीडियो कॉफ्रेंसिंग से मुकदमें की सुनवाई की अर्जी दाखिल की है. बाहुबली सुप्रीम कोर्ट के 23 अप्रैल 2019 के आदेश से गुजरात के अहमदाबाद जेल में बंद है, लेकिन बाहुबली ने अपनी जान को खतरा बताया है. उसने अपने राजनीतिक विरोधियों और पुलिस के आला अधिकारियों पर ही अपनी हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया है. बाहुबली ने अर्जी में गुजरात के अहमदाबाद से प्रयागराज के बीच 1450 किलोमीटर की दूरी का हवाला देते हुए भी प्रयागराज के एमपीएमएलए स्पेशल कोर्ट में चल रहे मुकदमों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की मांग की. इतना ही नहीं बाहुबली गुजरात की जेल में कई गम्भीर बीमारियों की चपेट में भी आ गया है.

अतीक ने अर्जी में कहा है कोर्ट के आदेश की आड़ में प्रार्थी की हत्या कर दी जाएगी. वह किडनी और रीढ़ की हड्डी की गंभीर बीमारी से पीड़ित है. इसके साथ ही शुगर टाइप वन और हाई ब्लड प्रेशर से भी पीड़ित है. इसी आधार पर उसे नैनी से अहमदाबाद हवाई सेवा से ट्रांसफर किया गया था. पूर्व सांसद अतीक अहमद ने आरोप लगाया है कि हाल में ही गुजरात जेल में प्रयागराज से उसका बयान लेने गए एक पुलिसकर्मी ने उसे ऐसी जानकारी दी है कि उसकी न्यायिक अभिरक्षा में तलब कर रास्ते में हत्या की साजिश रची जा रही है. बाहुबली ने अपनी अर्जी में कहा है कि इससे पूर्व न्यायिक अभिरक्षा में आवागमन के दौरान कई बंदियों की पहले भी हत्या हो चुकी है.

अतीक अहमद की अर्जी पर सुनवाई करते हुए एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट के जज डॉ बालमुकुंद ने पांच पेज का आदेश पारित किया है. एमएलए कोर्ट ने अतीक अहमद की पत्रावली साक्ष्य के लिए 4 नवंबर को पेश करने का निर्देश देते हुए कहा है कि एमपी एमएलए कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा मौजूद नहीं है. इसके लिए स्पेशल जज एमपीएमएलए कोर्ट ने जिला जज से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराए जाने का भी अनुरोध किया है. एमपीएमएलए स्पेशल कोर्ट ने 4 नवंबर को सुबह 10.30 बजे कोर्ट में गवाह कांस्टेबल महेश प्रसाद दीक्षित की दोबारा गवाही कराने का भी निर्देश दिया है.

मुख्तार अंसारी को भी सता रहा डर

बता दें कि अभी दो दिन पहले माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को पंजाब (Punjab) से लाने गई उत्तर प्रदेश पुलिस को बैरंग वापस लौटना पड़ा है. दरअसल, पंजाब जेल के मेडिकल बोर्ड ने मुख्तार अंसारी को कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित बताया और उसे 3 महीने का बेड रेस्ट की सलाह दी है. इसी आधार पर मुख्तार अंसारी को लेकर यूपी पुलिस नहीं आ सकी. मेडिकल बोर्ड के पत्र पर यूपी के अधिकारी सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मुख्तार अंसारी सही में बीमार हैं या उन्हें गाड़ी पलटने का डर सता रहा है.

बसपा विधायक मुख्तार की मेडिकल रिपोर्ट यूपी सरकार को भेजी गई है. इसमें लिखा है कि मुख्तार अंसारी डायबिटीज, स्लिप डिस्क और डिप्रेशन समेत अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं. उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है इसलिए उन्हें तीन महीने के बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है. इस मेडिकल रिपोर्ट के बाद मुख्तार का लाया जाना टल गया है. अब यूपी पुलिस उच्चाधिकारियों और विधि विभाग के संपर्क में है ताकि इस मामले में सलाह लेकर आगे कुछ कार्रवाई की जा सके. इधर सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि मुख्तार अंसारी को यूपी पुलिस की गाड़ी पलटने का डर था इसलिए बेड रेस्ट ले लिया.

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