Monday, October 14, 2024
Uncategorized

किसान आंदोलन में कूदा पाकिस्तान, किसान नेता की चेतावनी,भिंडरावाले नही खालिस्तान नही चलेगा,वहीं जूते मारेंगे

दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान जमे हुए हैं. आज किसान आंदोलन का चौथा दिन है. किसान लंबे समय तक जमे रहने के लिए तैयार होकर आए हैं, उनकी गाड़ियों में राशन, बर्तन, कंबल लदे हुए हैं और उन्होंने फोन चार्ज करने के लिए चार्जर भी साथ रखा हुआ है.कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को दिल्ली के बुराड़ी में मौजूद निरंकारी ग्राउंड में प्रदर्शन करने की इजाजत दी गई है. लेकिन किसानों का एक गुट सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर ही डेरा डाले हुए है.

पाकिस्तान के मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने ट्वीट कर कहा कि भारत में पंजाबी किसानों पर अत्याचार किया जाता है। भारत में अल्पसंख्यक समुदाय खतरे में है। फवाद चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए साथ में एंडिया लिखा है। चौधरी का यह ट्वीट भारत में किसानों के आंदोलन को उग्र करने के नजरिए से देखा जा रहा है। इससे पहले चौधरी दिल्ली में चल रहे आंदोलन पर भी भारत विरोधी तेवर दिखाते हुए आग में घी डालने का काम करते रहे हैं।

इस बार भी ज्यों-ज्यों आंदोलन उग्र हो रहा है, पाकिस्तान समर्थित ट्विटर हैंडल्स से उग्र शब्दवाली इस्तेमाल की जा रही है। इसी कड़ी में एक अन्य वैरीफाइड ट्विटर अकाउंट के जरिए किसान आंदोलन को केंद्र बनाकर खालिस्तान की आवाज बुलंद की है। इससे पहले पंजाब में भी किसान आंदोलन के दौरान शंभू बॉर्डर पर खालिस्तान के नारे बुलंद किए गए थे। किसानों के दिल्ली कूच के दौरान भी इक्का-दुक्का जगहों पर खालिस्तान और भिंडरांवाले के समर्थन में नारेबाजी की गई। माना जा रहा है कि किसान आंदोलन की आड़ में पाकिस्तान व खालिस्तानी लहर समर्थित संगठन अपनी रोटियां सेंकने की फिराक में हैं।

आंदोलन को पटरी से उतारने के लिए रचे जा रहे षड्यंत्र की बात को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि किसान आंदोलन में ही एक जगह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे चेतावनी देकर उनका हश्र भी इंदिरा गांधी जैसा करने की धमकी दी गई है। कृषि कानूनों को काले बिल करार देकर उन्हें वापस लेने के लिए दबाव बना रहे किसानों के संघर्ष में खालिस्तान के हक नारे लगने से सुरक्षा एजैंसियां तो सतर्क हो ही गई हैं, किसान आंदोलन के बड़े नेताओं को भी अपनी मुहिम किसी और रास्ते पर जाती नजर आने लगी है। दरअसल 30 से ज्यादा यूनियनों के बैनर तले दिल्ली में किसानों का इतना बड़ा जमावड़ा हो गया है कि इन्हें संभालना अब किसान नेताओं के लिए ही मुश्किल हो गया है।

खास बात यह भी है कि इस आंदोलन में किसानों के अलावा और भी कई लोग कूद गए हैं। कई छात्र यूनियनों के कार्यकर्ताओं के अलावा कई गर्मख्याली भी किसान का साथ देने के नाम पर दिल्ली में डट गए हैं। ऐसे में अब किसान यूनियनों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। उन्हें अपने वर्करों से अलग इन लोगों को प्लेटफार्म देना चाहिए ताकि वह उनके नाम का प्रयोग न कर सकें और उनकी पहचान भी अलग रहे।

सुखबीर बादल ने कहा कि क्या किसान खालिस्तानी दिखते हैं। ये पंजाब के किसान हैं, जिन्होंने सारी जिंदगी देश की सेवा की है। देश के वफादार हैं, देश को अन्न देते रहे हैं। किसानों को खालिस्तानी न कहो। ये देश के वे लोग हैं, जिन्होंने देश को बचाने के लिए अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया। कैप्टन अमरेंद्र सिंह की पॉलिसी बड़ी खतरनाक है। मुख्यमंत्री के तौर पर यह अमरेंद्र सिंह की जिम्मेदारी है कि किसानों के लिए लड़ते लेकिन यह खुद पीछे बैठ गए हैं और किसान सड़कों पर बैठे हैं। किसान आंदोलन कैप्टन अमरेंद्र सिंह को लीड करना चाहिए, वह अपने महल में क्यों बैठे हैं।

‘भिंडरांवाले की बात करता पाया तो कतई बर्दाश्त नहीं’: चढ़ूनी
हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने स्पष्ट कहा है कि दिल्ली में किसान आंदोलन में सभी लोग किसानों के हकों की लड़ाई लडऩे आए हैं और जिसने भी यहां रहना है, वह केवल किसान बन कर रहे। उन्होंने यहां तक कहा कि जो कोई भी भिंडरांवाले या किसी धर्म विशेष की बात करता पाया गया, उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने किसान संघर्ष में शामिल युवाओं से अपील की कि जो भी ऐसी कोई बात करता है, उसे मौके पर ही सबक सिखा दिया जाए।

इससे पहले पंजाब में एक स्थान पर रेलवे ट्रैक पर धरने पर बैठे किसानों के बैनर के साथ भिंडरांवाले का पोस्टर लगा पाया गया था। भिंडरांवाले की विचारधारा के समर्थकों की सूबे में कोई कमी नहीं है। उस पर सिख्स फॉर जस्टिस संगठन भी है, जिसका मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू अमरीका में रहकर लंबे समय से खालिस्तान और रैफरैंडम-2020 की मुहिम चला रहा है। केंद्र सरकार ने गत वर्ष सिख्स फॉर जस्टिस पर प्रतिबंध लगा दिया था जबकि उसके द्वारा गूगल प्ले पर रैफरैंडम-2020 के नाम पर रजिस्ट्रेशन करवाने वाली एप गूगल ने हटा दी थी। फेसबुक उसका पेज 2015 में ही हटा चुका है। उसे अलगाववाद को बढ़ावा देने और पंजाबी सिख युवकों को हथियार उठाने के लिए बढ़ावा देने के आरोप में आतंकवदी भी घोषित किया जा चुका है। लेकिन उसकी सक्रियता में कमी नहीं आई, अभी भी उसकी रिकार्ड की गई कॉल रोजाना ही लोगों को देश की सम्प्रभुता के खिलाफ भड़काने के लिए उनके फोन पर आती रहती हैं।

आर्थिक मदद पर उतरा सिख्स फॉर जस्टिस
भारत में प्रतिबंधित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस ने किसान आंदोलन के लिए आर्थिक मदद का ऐलान किया है। संगठन ने ऐलान किया है कि किसी भी तरह के नुकसान का भुगतान 24 घंटे में किया जाएगा। इससे पहले खुफिया एजैंसियों की राडार पर रहने वाले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने भी किसानों के समर्थन का ऐलान किया था। शाहीन बाग आंदोलन को उग्र करने में अहम भूमिका निभाने वाले इस संगठन के चेयरमैन ने आह्वान किया है कि जनता को इकट्ठा होकर फासीवादी ताकतों के खिलाफ आगे आना चाहिए।

Leave a Reply