यूपी एटीएस ने अवैध धर्मांतरण (Conversion) मामले में बुधवार को एक और आरोपी सलाहुद्दीन (Salahuddin) को अहमदाबाद से गिरफ्तार किया है। वह बड़ोदरा का रहने वाला है और धर्मांतरण गिरोह के सरगना मौलाना मोहम्मद उमर गौतम (Mohammad Umar Gautam) का खास सहयोगी रहा है। आरोप है कि सलाहुद्दीन ने उमर गौतम के खाते में बड़ी रकम ट्रांसफर की थी। उसे ट्रांजिट रिमांड पर लेकर लखनऊ लाया जा रहा है।
वहीं, कोर्ट ने मोहम्मद उमर गौतम व काजी जहांगीर कासमी की रिमांड अवधि बढ़ा दी है। दोनों अब 3 जुलाई तक एटीएस की कस्टडी में रहेंगे। विवेचना में एटीएस को हवाला के जरिए पैसों के आदान-प्रदान की जानकारी मिली थी। इसमें सलाहुद्दीन जैनुद्दीन शेख पुत्र जैनुद्दीन निजामुद्दीन का नाम सामने आया था।
(सलाउद्दीन)
सलाहुद्दीन के अहमदाबाद में होने की खुफिया जानकारी के बाद यूपी एटीएस ने अहमदाबाद एटीएस के सहयोग से बुधवार को सलाहुद्दीन को गिरफ्तार कर लिया। सलाहुद्दीन ने स्वीकार किया कि वह बाटला हाउस दिल्ली निवासी उमर गौतम को जानता है और धर्मांतरण के लिए उसने हवाला के जरिए उमर गौतम को पैसे भेजे थे। सलाहुद्दीन के कब्जे से एटीएस ने एक आईपैड और एक मोबाइल फोन बरामद किया है। सलाहुद्दीन को लखनऊ लाने के बाद रिमांड पर लिया जाएगा।
वहीं, कस्टडी रिमांड के दौरान पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर सोमवार को तीन और अभियुक्तों इरफान शेख, मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान और राहुल भोला को गिरफ्तार किया गया। फिलहाल, ये तीनों अभियुक्त जेल में हैं। रिमांड मिलने के बाद इन तीनों से भी पूछताछ की जाएगी।
प्रधानमंत्री भी नही समझ पाए भेड़ की खाल में इस भेड़िये को,
धर्मांतरण (Conversion) मामले में यूपी एटीएस की पकड़ में आए सांकेतिक भाषा के अनुवादक इरफान शेख (Irfan Sheikh) को लेकर कई सनसनीखेज तथ्य सामने आए हैं। इरफान शेख एक नहीं 2-2 बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा कर चुका है। इन दोनों मौकों पर प्रधानमंत्री मोदी ने इरफान से न सिर्फ हाथ मिलाया था, बल्कि उसकी पीठ भी थपथपाई थी।
यूपी एटीएस ने जिस इरफान शेख को धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार किया है, उसने साल 2017 में गुरजारत के राजकोट में और 2020 में प्रयागराज में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का संकेत की भाषा में अनुवाद कर प्रधनामंत्री की बात मूक बधिरों तक पहुंचाई थी, वही इरफान मूक बधिरों में दूसरे धर्मों के प्रति नफरत का जहर घोलने लगा। इन दोनों ही मौकों पर पीएम मोदी ने इरफान से हाथ मिलाया था और उसकी पीठ भी थपथपाई थी।
मूलरूप से महाराष्ट्र के बीड का रहने वाला इरफान दिल्ली में बाल कल्याण मंत्रालय के अधीन इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर पर सांकेतिक भाषा के अनुवादक के रूप में काम करता था। इसी दौरान कब उसके सिर पर धर्म का नशा चढ़ गया और वह दूसरे धर्म के लोगों को बहकाने लगा, किसी को पता ही नहीं चला।
एटीएस के हत्थे उमर गौतम और जहांगीर आलम चढ़े तो इरफान शेख की असलियत सामने आ गई। जिसके बाद एटीएस ने इरफान और उसके 2 साथी हरियाणा के मूक बधिर मन्नू यादव उर्फ मन्नान और राहुल भोला को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से गिरफ्तार किया था।
इस मामले में आईजी एटीएस जीके गोस्वामी का कहना है कि इरफान अपराध में शामिल था। उसे साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा कि इरफान ने कब, किसके साथ, कहां मंच साझा किया, यह हमारी जांच का विषय नहीं है। प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा करने के सवाल एटीएस आईजी ने कहा कि हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, इस बारे में बाल कल्याण मंत्रालय ही बेहतर बता सकता है।