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12 लाख नौकरियों का किया था वादा, 2020 के बाद से नहीं दी कोई नौकरी: RTI में खुलासा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने 2021 से एक भी नौकरी नहीं दी है। इसका खुलासा एक सूचना के अधिकार (RTI) में हुआ है। RTI के तहत माँगी गई जानकारी में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के रोजगार विभाग के रोजगार पोर्टल के माध्यम से 2020 में केवल 28 नौकरियाँ दी गईं। उसके बाद से लोगों को रोजगार के कोई अवसर मिले हैं।
RTI ऐक्टिविस्ट विवेक पांडे द्वारा माँगी गई सूचना पर दिल्ली सरकार के रोजगार निदेशालय ने शुक्रवार (3 मई 2024) को इस संबंध में जानकारी दी। विवेक ने अपने सोशल मीडिया साइट X पर भी पोस्ट किया है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “अरविंद केजरीवाल के 12 लाख नौकरियाँ देने के वादे के बावजूद। सरकार का एक और टूटा हुआ वादा, जिससे अनगिनत नौकरी चाहने वालों को निराशा हुई।”
विवेक पांडे ने इससे पहले साल 2022 में भी एक RTI दायर कर कुछ ऐसा ही जवाब माँगा था। इसमें बताया गया था कि केजरीवाल सरकार ने साल 2015 में 176 नौकरियाँ, साल 2016 में 102 नौकरियाँ, साल 2017 में 66 नौकरियाँ, 2018 में 68 नौकरियाँ और साल 2019 में 0 नौकरियाँ दी गई थीं।
वहीं, पिछले 9 वर्षों (2015-2024) में रोजगार पोर्टल के माध्यम से प्रदान की गई नौकरियों की कुल संख्या 440 है। यह आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली के युवाओं को 12 लाख नौकरियाँ प्रदान करने के दावों के बिल्कुल विपरीत है।
दिल्ली सरकार के रोजगार पोर्टल के अनुसार, केजरीवाल सरकार द्वारा शुरू किए गए प्लेटफॉर्म पर कुल 16.22 लाख नौकरी चाहने वालों ने पंजीकरण कराया था। बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में युवाओं को 12 लाख नौकरियाँ देने के अरविंद केजरीवाल के दावे पर पिछले साल अप्रैल में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सवाल उठाया था।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान असम के मुख्यमंत्री सरमा ने पूछा था, “उन्होंने (अरविंद केजरीवाल) कहा है कि उनकी सरकार ने 12 लाख नौकरियाँ दीं। वह सात साल में इतनी नौकरियाँ कैसे दे सकते हैं, जबकि दिल्ली में केवल 1.5 लाख नौकरियाँ खाली हैं?”
अप्रैल 2023 में भाजपा नेता मनोज तिवारी ने भी रोजगार के दावों को लेकर लोगों को गुमराह करने के लिए अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला था। उन्होंने कहा था, “केजरीवाल देश के सबसे बड़े झूठे और सबसे भ्रष्ट और बेईमान मुख्यमंत्री हैं। यह अच्छा लगता है कि 12 लाख नौकरियाँ दी गई हैं, लेकिन यह एक झूठा दावा है जैसा कि उनकी सरकार के एक आरटीआई जवाब से साबित हुआ है था।”
उस समय आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ने यह दावा करके अपना बचाव करने की कोेशिश की थी कि आरटीआई में दिए गए डेटा रोजगार पोर्टल तक ही सीमित था। इनमें नौकरियों पर सरकारी और राज्य-वार डेटा शामिल नहीं था।