भोपाल. मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 2023 के चुनाव के लिए सभी 52 जिलों में जिला प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं. लेकिन इस नियुक्ति पर विवाद खड़ा हो गया है क्योंकि इनमें से एक भी आदिवासी नहीं है. सबसे ज्यादा ब्राह्मण नेताओं को तरजीह दी गई है. सीधे-सीधे सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस सवर्णों की राजनीति कर रही है. दलित आदिवासी उसकी प्राथमिकता में नहीं हैं. ऐसे समय में जब बीजेपी अपना पूरा ध्यान आदिवासियों और दलितों पर लगाए है, कांग्रेस की ये चूक भारी पड़ सकती है.
कांग्रेस के इस रवैये पर बीजेपी ने बिना देरी किए निशाना साध दिया. बीजेपी ने कहा कांग्रेस पार्टी ने जिला प्रभारी बनाने में महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की उपेक्षा की है. कांग्रेस पार्टी के पास चेहरों की कमी हो गई है. यही वजह है कि अब ढूंढे से उसे नेता नहीं मिल रहे हैं. दलित-आदिवासियों की उपेक्षा पर कांग्रेस ने अजीब तर्क दिया है. कहा कि आगामी चुनाव के लिहाज से आदिवासी चेहरों को सूची में तवज्जो नहीं दी गई है लेकिन सह प्रभारियों की सूची में आदिवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी.
कांग्रेस का अजीब तर्क
कांग्रेस के इस रवैए पर बीजेपी ने बिना देरी किए निशाना साध दिया. बीजेपी ने कहा कांग्रेस पार्टी ने जिला प्रभारी बनाने में महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की उपेक्षा की है. कांग्रेस पार्टी के पास चेहरों की कमी हो गई है. यही वजह है कि अब ढूंढे से उसे नेता नहीं मिल रहे हैं. दलित-आदिवासियों की उपेक्षा पर कांग्रेस ने अजीब तर्क दिया है. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा आगामी चुनाव के लिहाज से आदिवासी चेहरों को सूची में तवज्जो नहीं दी गई है. लेकिन सह प्रभारियों की सूची में आदिवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी.