Wednesday, July 9, 2025
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16 साल पहले पुलिस की गाड़ी पर सूरमा बन कर घूम रहा रहा मुख्तार अंसारी,अब उसी से भाग रहा,जानिए पूरी कहानी राजनैतिक गुंडे की

गैंगस्टर मुख्तार अंसारी दो सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में शिफ्ट किया जाएगा। फिलहाल वह पंजाब के रोपड़ जेल में बंद है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उसे यूपी पुलिस को सौंपने के निर्देश दिए।
विधायक मुख्तार अंसारी की हिरासत को लेकर यूपी सरकार ने शीर्ष अदालत में रिट याचिका दाखिल कर रखी थी। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ इस पर सुनवाई की। पीठ ने कहा, “यह निर्देश दिया जाता है कि मुख्तार अंसारी को 2 सप्ताह के भीतर यूपी पुलिस की हिरासत में सौंप दिया जाए। वह बांदा जेल में रहेंगे। बांदा जेल के अधीक्षक चिकित्सा सुविधाओं की देखरेख करेंगे।” पीठ ने अंसारी की वह याचिका भी खारिज कर दी है जिसमें उसने अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की सुनवाई उत्तर प्रदेश से बाहर स्थानांतरित करने की माँग की थी।
मऊ से विधायक माफिया मुख़्तार अंसारी की हिरासत सौंपने से पंजाब सरकार लगातार आनाकानी कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट में भी पंजाब सरकार की तरफ से बताया गया था कि किसी राज्य को इस प्रकार के स्थानांतरण का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। वहीं, यूपी का कहना था कि अंसारी के खिलाफ राज्य में कई गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनकी सुनवाई होनी है। लेकिन, पंजाब ने चिकित्सा आधार पर उसे रोपड़ जेल में भेज दिया। यूपी सरकार की ओर से दलील रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी पंजाब पर अंसारी के बचाव का आरोप लगाया।

गौरतलब है कि मुख़्तार अंसारी उगाही के एक कथित मामले में जनवरी 2019 से ही पंजाब के जेल में बंद है। योगी सरकार द्वारा बार बार आग्रह के बावजूद पंजाब सरकार उसकी हिरासत देने से अब तक इनकार करती रही है। माफिया मुख्तार अंसारी और उसके करीबियों के खिलाफ यूपी की योगी सरकार लगातार कार्रवाई कर रही है।

16 साल पीछे की कहानी समझिए

वर्ष 2005 में जब मऊ दंगे हुए थे. मुख्तार अंसारी खुली गाड़ी में दंगे वाली जगहों पर घूम रहा था. तब ये आरोप लगा था कि दंगों को भड़काने का काम मुख्तार अंसारी ने ही किया था. इन दंगों के बाद 2006 में गोरखपुर से तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को चुनौती दी थी कि मऊ आकर पीड़ितों को इंसाफ दिलाएंगे, लेकिन उन्हें मऊ जिले में दोहरीघाट में रोक दिया गया था.
इसके तीन साल बाद 2008 में योगी आदित्यनाथ आजमगढ़ जा रहे थे, तब उनके काफिले पर हमला कर दिया गया था. उनकी गाड़ी में  तोड़फोड़ हुई थी. उपद्रवियों ने आगजनी की भी कोशिश की थी. उस वक्त योगी आदित्यनाथ ने संकेत दिया था कि उन पर किसने हमला करवाया था.

तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि ‘लगातार मुस्लिम पक्ष गोलियां चला रहा था, गाड़ियों को तोड़ा जा रहा था पुलिस मौन बनी रही, हम लोगों ने चेतावनी रैली की. हम लोग इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे, जिसने भी गोली मारी है अगर पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी तो गोली मारने वालों को जवाब दिया जाएगा उसी भाषा में.’
आजमगढ़ हमले में कुछ लोगों ने मुख्तार अंसारी का हाथ होने का भी आरोप लगाया था, हालांकि ये सिर्फ आरोप था इसकी पुष्टि कभी नहीं हुई.
अब जब योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुखिया हैं तो उन्होंने राज्य को माफियाराज और गुंडाराज से मुक्त करने का संकल्प ले रखा है. उसी संकल्प को पूरा करने के लिए मुख्तार अंसारी के अंडरवर्ल्ड पर बुलडोजर से चलवा रहे हैं. इतना ही नहीं मुख्तार गैंग के कई अपराधी या तो एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं या फिर जेल की सलाखों तक पहुंच चुके हैं. मुख्तार गैंग की अरबों की संपत्ति भी जब्त हो चुकी है.

जो मुख्तार अंसारी हमेशा इस बात से बेफ्रिक रहता था कि सत्ता में कोई भी पार्टी रहे उसे कुछ भी नहीं हो सकता. मुख्तार अंसारी की इसी सोच पर योगी सरकार ने बुलडोजर चलाकर प्रदेश के दूसरे ज़िलों के गुंडे और माफिया को भी कड़ा संदेश दे दिया है. अब एक बार फिर योगी सरकार मुख्तार अंसारी की यूपी की जेल में मेहमाननवाजी करने के लिए तैयार है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी ने पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी का भी हवाला देकर यूपी की जेल में शिफ्ट किए जाने से बचने की कोशिश की थी। 8 फरवरी को हुई सुनवाई में उसने अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए कहा कि वह एक ऐसे परिवार से है, जिसके सदस्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा थे। उसकी याचिका में कहा गया था, “प्रतिवादी ऐसे परिवार का हिस्सा है, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान दिया है। भारत को हामिद अंसारी जैसा नेता दिया जो उपराष्ट्रपति रहे। इसके अलावा बाबा शौकतुल्ला अंसारी ओडिशा के राज्यपाल थे। माननीय न्यायमूर्ति आसिफ अंसारी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे।”

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