जिस रफ्तार से तृणमूल कांग्रेस के विधायक पार्टी छोड़ रहे हैं,ऐसा लगने लगा है कि ममता बनर्जी की सरकार चुनाव से पहले गिर जाएगी।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 (West Bengal Assembly Election 2021) को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच जंग तेज होती जा रही है। इस बीच एक-एक कर टीएमसी (TMC News) के कई नेता बीजेपी में शामिल भी हो चुके हैं। उधर, पश्चिम बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने एक और दावा कर ममता बनर्जी समेत पूरे टीएमसी खेमे में खलबली पैदा कर दी है।
कैलाश विजयवर्गीय का कहना है, ‘मेरे पास 41 विधायकों की सूची है। वे बीजेपी में आना चाहते हैं। मैं उन्हें बीजेपी में शामिल करूं तो बंगाल में सरकार गिर जाएगी। हम देख रहे हैं कि किसे लेना है और किसे नहीं। अगर छवि खराब है तो हम नहीं लेंगे। सबको लग रहा है कि ममता बनर्जी की सरकार जा रही है।’
TMC-बीजेपी में घमासान जारी
इससे पहले पश्चिम बंगाल के खाद्य और आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक ने कहा था कि बीजेपी के 6 से 7 सांसद जल्द ही टीएमसी में शामिल होंगे। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी में गए कई लोग वापसी के लिए टीएमसी से सिफारिश कर रहे हैं, लेकिन आखिरी फैसला पार्टी प्रमुख ममता दीदी के हाथ में हैं, उनकी हां पर ही आगे का कदम उठाया जाएगा
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को वाम मोर्चा और कांग्रेस से भाजपा की ”सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति” के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की है। हालांकि, दोनों दलों ने इस सलाह को सिर से खारिज कर दिया है। वहीं कांग्रेस ने इस सलाह के बाद तृणमूल कांग्रेस को पेशकश की है कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई के लिए गठबंधन बनाने के स्थान पर पार्टी (कांग्रेस) में विलय कर ले।
राज्य में मजबूती से उभर रही भाजपा का कहना है कि तृणमूल की यह पेशकश दिखाती है कि वह पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में होने वाले संभावित विधानसभा चुनावों में अपने दम पर भगवा पार्टी का मुकाबला करने का सामर्थ्य नहीं रखती है। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने पत्रकारों से कहा, ”अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में भाजपा के खिलाफ हैं, तो उन्हें भगवा दल की सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए।”
कांग्रेस ने कहा, तृणमूल के साथ गबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं
तृणमूल कांग्रेस के प्रस्ताव पर राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने प्रदेश में भाजपा के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, ”हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद तृणमूल कांग्रेस को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है। अगर ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ लड़ने को इच्छुक हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है।” बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी।
माकपा ने कहा, चुनाव में तृणमूल और भाजपा दोनों को हराएंगे
माकपा के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने आश्चर्य जताया कि तृणमूल कांग्रेस वाम मोर्चा और कांग्रेस को राज्य में नगण्य राजनीतिक बल करार देने के बाद उनके साथ गठबंधन के लिए बेकरार क्यों है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा भी वाम मोर्चा को लुभाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, ”यह दिखाता है कि वह (वाम मोर्चा) अभी भी महत्वपूर्ण हैं। वाम मोर्चा और कांग्रेस विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों को हराएंगे।”
बंगाल चुनाव में कांग्रेस और वाम मोर्चा साथ-साथ
लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस और वाम मोर्चा ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। माकपा नीत वाम मोर्चा को लोकसभा चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी जबकि कांग्रेस को उसकी कुल 42 सीटों में से पश्चिम बंगाल से सिर्फ दो सीटें मिली थीं। वहीं दूसरी ओर भाजपा को 18 सीटें मिली थी, जबकि तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं। राज्य में 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और वाम मोर्चा के गठबंधन को कुल 294 में से 76 सीटें मिली थीं, जबकि तृणमूल कांग्रेस के 211 सीटें मिली थीं।