प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड में जो नाम इस समय सबसे अधिक चर्चा में है और जिसके सीने में बहुत सारे राज दफन हैं, वह नाम है- गुड्डू मुस्लिम उर्फ गुड्डू बमबाज. गुड्डू मुस्लिम को जानने वाले लोग कहते हैं कि धोखा देना उसकी फितरत में है. वह जिसके साथ भी रहा, या तो उसकी जान ले ली या फिर मुखबिरी कर रास्ते से हटा दिया. आज हम गुड्डू मुस्लिम के अयोध्या कनेक्शन और उसके धोखेबाजी को लेकर बड़ा खुलासा कर रहे हैं. चर्चित बाहुबली अभय सिंह के लंबे समय तक करीबी रहे और कई मुकदमों में उनके साथ सह-आरोपी रहे रणधीर सिंह लल्ला, गुड्डू मुस्लिम से जुड़े कई राज से पर्दा ही नहीं उठाते, बल्कि उसके धोखे की फितरत की कहानी परत दर परत सुनाते हैं…
रणधीर सिंह लल्ला बताते हैं, ”बात साल 1996-97 के आसपास की है. उस दौरान गुड्डू मुस्लिम अयोध्या से सटे सरायरासी गांव में खूब देखा जाता था. वजह थी संतोष सिंह से उसकी दोस्ती. संतोष सरायरासी गांव का ही रहने वाला था. युवावस्था में संतोष के पास मारुति कार और राइफल थीं. इसी पर गुड्डू मुस्लिम उसके साथ घूमता था. इसके पहले गुड्डू मुस्लिम अंबेडकरनगर के चर्चित माफिया और हिस्ट्रीशीटर सत्येंद्र सिंह लंगड़ के संपर्क में रहता था. जिसकी अंबेडकरनगर के ही बड़े बाहुबली से अदावत थी.
एक दिन गुड्डू मुस्लिम सत्येंद्र के साथ उनकी गाड़ी से अंबेडकरनगर से निकलता है और अयोध्या में सरायरासी गांव के पास उतरकर संतोष की मारुति कार में उसकी राइफल लेकर बैठ जाता है. सत्येंद्र और गुड्डू की गाड़ी में महज 100 मीटर का फासला होता है. लेकिन तभी कुख्यात हिस्ट्रीशीटर श्रीप्रकाश शुक्ला, सत्येंद्र सिंह लंगड़ को हमला करके मौत के घाट उतार देता है. उस दौरान गुड्डू मुस्लिम अपनी गाड़ी बैक करके सरायरासी गांव में घुस जाता है. उस पर आरोप लगते हैं कि गुड्डू मुस्लिम ने ही सत्येंद्र सिंह की मुखबिरी की थी. इसके बाद अगला धोखा वह संतोष सिंह को देता है, जिसको लखनऊ ले जाकर कोल्ड ड्रिंक में जहर देकर मार दिया जाता है. इस मामले में बाहुबली धनंजय सिंह का भी नाम आया था.
चर्चित बाहुबली अभय सिंह के लंबे समय तक करीबी रहे रणधीर सिंह लल्ला का बड़ा खुलासा.
क्या गुड्डू मुस्लिम गद्दार हो गया? अतीक के विरोधी गैंग से जा मिला ‘बमबाज’, STF ने किया दावा
चर्चित बाहुबली अभय सिंह से जुड़े करीबी लोग बताते हैं कि यहीं से अभय सिंह का गुड्डू मुस्लिम और धनंजय सिंह से अलगाव हुआ. क्योंकि अभय सिंह को पता लग गया था कि संतोष सिंह के साथ कुछ गलत होने वाला है. दरअसल, संतोष सिंह, अभय सिंह के गांव के बगल का रहने वाला था. इसलिए अभय ने गुड्डू मुस्लिम को संतोष के साथ कुछ भी गलत करने से मना किया था.
ओडिशा में मिली गुड्डू मुस्लिम की लास्ट लोकेशन, असद-गुलाम के एनकाउंटर के बाद हुआ अंडरग्राउंड
गुड्डू मुस्लिम को जानने वाले यह भी दावा करते हैं कि जब वह श्रीप्रकाश शुक्ला के संपर्क में था, उस समय उसी ने श्रीप्रकाश शुक्ला की मुखबिरी भी एसटीएफ से की थी. इसलिए अगर उसने असद की मुखबिरी की हो या फिर अतीक के दुश्मनों से मिल गया हो तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए.
सूत्रों ने बताया कि अतीक और अशरफ ने गुड्डू मुस्लिम का सौदा कर लिया था कि इसका एनकाउंटर करवा दें,शातिर गुड्डू मुस्लिम को खबर लग गयी थी फिर जो हुआ दुनिया ने देखा।
गुड्डु मुस्लिम का जन्म प्रयागराज में हुआ। चार भाइयों में सबसे बड़ा गुड्डू शुरुआत में घर की चिकन शॉप पर भी बैठता था। हालांकि 15 साल की उम्र में ही उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। इसके बाद उसका खौफ कायम हो गया। स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले जब वह सड़क पर चलता था तो कोई भी उसकी आंखों में देखने की हिम्मत नहीं करता था।
स्थानीय लोग बताते हैं कि उसका स्वभाव बॉलीवुड फिल्मों के उन गैंगस्टर्स जैसा है जो काफी गुस्सैल और अनप्रिडिक्टेबल होते हैं यानी कभी भी कुछ कर बैठने वाला शख्स। इसलिए जब वह सड़क से गुजरता था तो लोग शांत खड़े हो जाते थे।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गुड्डु डकैती और जबरन वसूली समेत कई अपराधों में शामिल रहा है। हालांकि बम बनाने में एक्सपर्टीज हासिल करने की वजह से गैंगस्टरों के बीच उसकी काफी मांग थी। इसी वजह से लोग उसे गुड्डु बमबाज भी कहते हैं।
गुड्डू अपराध के रास्ते पर चलने लगा तो घरवालों ने उसे लखनऊ भेज दिया। लखनऊ में सुधरने की बजाय वह बड़े माफियाओं से जुड़ता गया। गुड्डू मुस्लिम लखनऊ में रहने के दौरान फैजाबाद के हिस्ट्रीशीटर सत्येंद्र सिंह की गैंग से जुड़ गया। 1997 में श्रीप्रकाश शुक्ला ने सत्येंद्र सिंह की AK-47 से हत्या कर दी थी।
साल 1997 में ही लखनऊ के ला मार्टिनियर कॉलेज के फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर फ्रेडरिक गोम्स की हत्या हॉस्टल में घुसकर कर की गई। इसमें गुड्डू मुस्लिम का नाम सामने आया। पुलिस ने इस मामले में गुड्डू के साथ धनंजय सिंह को भी गिरफ्तार किया।
हालांकि कुछ दिनों बाद सबूतों के अभाव में जमानत पर उसे रिहा कर दिया गया। इसके बाद गुड्डू धनंजय सिंह के काफी करीब आ गया। उस वक्त लखनऊ में एमएलसी अजीत सिंह बाहुबली के तौर पर उभरे थे। रेलवे ठेके में उनका वर्चस्व था। अजीत सिंह का मुकाबला करने के लिए बाहुबली धनंजय ने गुड्डू मुस्लिम को सामने किया।
गुड्डू भी उस वक्त अपराध की दुनिया में बड़ा नाम कमा चुका था। गुड्डु अब उन रेलवे अफसरों का ही अपहरण करने लगा, जो अजीत सिंह के करीबी थी। साथ ही हत्या की धमकी देकर रेलवे के टेंडर खुद लेने लगा।
अब तो गुड्डू के कहने पर ही सरकारी टेंडर पास होने लगे। जुलाई 1997 में स्टेट कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन के इंजीनियर को बीच सड़क पर गोलियों से भून दिया गया। हत्या में धनंजय सिंह के साथ गुड्डू मुस्लिम को भी आरोपी बनाया गया।
डॉन परवेज टाडा के साथ माफिया उदयभान की गैंग के लिए काम किया
पुलिस की सख्ती होने पर गुड्डू मुस्लिम गोरखपुर पहुंच गया। इसके बाद वह डॉन परवेज टाडा के लिए काम करने लगा। यहीं पर गुड्डू ने बम बनाने में महारत हासिल की।
इसी दौरान परवेज ने गुड्डू की पहचान बिहार के माफिया उदयभान से कराई। साथ ही गुड्डू के बम बनाने की स्किल की तारीफ की। अब गुड्डू बिहार में भी लूट, अपहरण, बमबाजी और हत्या जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा।
इसके बावजूद गुड्डू ने परवेज का साथ नहीं छोड़ा था। परवेज के बुलाने पर वह आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के लिए बीच-बीच में गोरखपुर भी जाता था।
अतीक से जुड़ने से पहले मुख्तार अंसारी के लिए काम करता था
इसी बीच, वह पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी के संपर्क में आया। मुख्तार भी गुड्डू के बम बनाने के तरीके से हैरान रह गया। इसके बाद मुख्तार ने भी उसे अपना खास गुर्गा बना लिया।
साल 2001 तक उसने मुख्तार के लिए ही काम किया। इस बीच खुफिया सूचना पर गोरखपुर पुलिस उसे पटना के बेऊर जेल के पास से गिरफ्तार कर लेती है। इसके बाद माफिया अतीक अहमद की एंट्री होती है।
अतीक ने तब गुड्डू को जमानत पर जेल से बाहर निकलवाया। यूपी STF के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से मंगवाए गए हथियार पंजाब के रास्ते गुड्डू मुस्लिम ही लाता था।
2005 में राजू पाल की हत्या में नाम आया
अब गुड्डू अतीक का खासमखास बन गया। 2005 में प्रयागराज पश्चिमी के विधायक राजू पाल की हत्या हो गई। यूपी के सीनियर पुलिस अधिकारी बताते हैं कि गुड्डू ने राजू पाल पर हथगोला उसी तरह फेंका, जिस तरह उसने इस साल फरवरी में राजू पाल मामले के प्रमुख गवाह उमेश पाल की हत्या के दौरान फेंका था।
उमेश पाल की हत्या में फूल की तरह बम बरसाने पर चर्चा में रहा
इसी साल 24 फरवरी को राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह उमेश पाल की प्रयागराज में उसी के घर के पास दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसका सीसीटीवी फुटेज सामने आया।
इसमें अतीक के बेटे असद और अन्य आरोपी लगातार उमेश पाल पर गोलियां बरसाते देखे जाते हैं।
सीसीटीवी में एक और शख्स दिखाई देता है। वो ब्लैक कलर का छोटा बैग लिए होता है।
वह शख्स बारी-बारी से उसमें से बम निकालता है और बड़े आराम से इधर-उधर फेंकते हुए चलता जाता है। ये शख्स दरअसल गुड्डू मुस्लिम ही था।
एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुड्डू मुस्लिम की सहजता से ऐसा लग रहा था कि जैसे वह फूल फेंक रहा हो, बम नहीं।
उमेश पाल की हत्या में 7 शूटर्स शामिल थे। यूपी पुलिस ने इनमें से 4 का एनकाउंटर कर दिया है। वहीं तीन शूटर्स अब भी फरार हैं। इनके नाम गुड्डू मुस्लिम, साबिर और अरमान हैं।
जरायम यानी अंडरवर्ल्ड की दुनिया में वो गुड्डू ‘बमबाज’ है. वो बंदूक से निशाना नहीं लगाता झोले में बम लेकर फेंकता है. उमेश पाल की हत्या में इस कुख्यात अपराधी ने बेखौफ होकर बम फेंका था. इसी घटना में एक पुलिसकर्मी की भी जान गई थी. वो बेरहम है जब बम फेंकता है तो इंसानियत भूल जाता है. उसका आका अतीक अब मिट्टी में मिल चुका है.
यूपी पुलिस की एसटीएफ गुड्डू बमबाज की तलाश कर रही है. वो पुलिस एनकाउंटर का शिकार होता है या उसके हाथों में हथकड़ी होगी ये सब उसकी किस्मत पर है. लेकिन पूर्वांचल के इस शातिर बदमाश के बमबाज बनने की कहानी भी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है.
शनिवार यानी 15 अप्रैल को यूपी के प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ की तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. ये हमला तब किया गया जब दोनों भाइयों को मेडिकल चेक-अप के लिए ले जाया जा रहा था. हमले के वक्त अतीक और अशरफ के आस-पास न सिर्फ पुलिस मौजूद थी बल्कि वह मीडियाकर्मियों से भी घिरा हुआ था.
गोली चलने के कुछ सेकेंड पहले ही अतीक और अशरफ ने मीडिया से बात की थी और अशरफ ने कैमरे पर गुड्डू मुस्लिम का नाम लेते हुए उसके बारे में कुछ कहना शुरू ही किया था कि सामने से गोली चली और दोनों की हत्या कर दी गई. ऐसा माना जा रहा है कि गुड्डू मुस्लिम के पास बड़े राज है, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है.
वहीं एसटीएफ को रिमांड के दौरान मिली जानकारी के अनुसार गुड्डू मुस्लिम अतीक अहमद का खास शूटर था और वही उसका सारा नेटवर्क संभालता था.
‘बमबाज’ के नाम से जाना जाता है गुड्डू मुस्लिम
गुड्डू मुस्लिम वो नाम है जिसे अशरफ अहमद गोली चलने से तुरंत पहले ले रहा था. गुड्डू मुस्लिम को बम बनाने वाले एक्सपर्ट के नाम से भी जाना जाता है. उसके बारे में ये भी मशहूर है कि उसने यूपी के कई बड़े-बड़े माफिया गिरोहों के लिए काम किया है. गुड्डू अतीक अहमद के साथ भी काम कर चुका है.
गुड्डू मुस्लिम के बारे में कहा जाता है कि उसने अपराध की दुनिया में कदम महज 15 साल की उम्र में ही रख दिया था. वह शुरुआत में छोटी-मोटी चोरियां करता रहता था लेकिन कुछ समय बाद बाहुबलियों के साथ जुड़ता गया और बम बनाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे गुड्डू इन गिरोहों के बीच इतना मशहूर हो गया कि राज्य में होने वाले किसी भी बड़े आपराधिक मामले में गुड्डू मुस्लिम का नाम भी जुड़ने लगा.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार गुड्डू मुस्लिम ने कई बड़े माफियाओं के लिए 2 दशक तक काम किया है. इन माफियाओं में प्रकाश शुक्ला, मुख्तार अंसारी, धनंजय सिंह और अभय सिंह का नाम भी शामिल है.
कैसा रहा बचपन
इलाहाबाद (प्रयागराज) में जन्में गुड्डू मुस्लिम का नाम बचपन से ही छोटे मोटे अपराध में लिया जाने लगा था. आगे चलकर उसने अपराध को ही अपना व्यवसाय बना लिया. वह स्कूल में लूट और रंगदारी जैसे काम करने लगा था. धीरे धीरे गुड्डू मुस्लिम की बढ़ती बदमाशी से परेशान घरवालों ने आगे की पढ़ाई करने के लिए उसे लखनऊ भेजा दिया. हालांकि यहां भी वह रुका नहीं. अब छोटे मोटे अपराध करने वाले गुड्डू की मुलाकात पूर्वी उत्तर प्रदेश (पूर्वांचल) के दो बाहुबलियों अभय सिंह और धनंजय सिंह से हुई. ये दोनों ही लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे.
गेम टीचर की हत्या
खबरों के अनुसार गुड्डू मुस्लिम सबसे पहली बार खबरों में तब आया जब उसने अपने लखनऊ के मशहूर लामार्टिनियर स्कूल के गेम टीचर फेड्रिक जे गोम्स की हत्या कर दी. वह साल था 1997. हत्या के मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई और जेल भेज दिया गया. इस हत्या में गुड्डू के साथ राजा भार्गव और धनंजय सिंह भी आरोपी था. खबरों की माने तो इस मर्डर को गुड्डू ने कबूल तो कर लिया था लेकिन कोर्ट में यह साबित नहीं हो सका और कोर्ट ने तीनों को बरी कर दिया.
कैसे पड़ा गुड्डू का नाम ‘बमबाज’
24 फरवरी 2023 को गुड्डू मुस्लिम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होने लगा. दरअसल उमेश पाल हत्याकांड के बाद वह एक वीडियो में नजर आया जहां वह जमकर बमबाजी कर रहा है. वीडियो क्लिप में गुड्डू मुस्लिम अरमान बिहारी के साथ बाइक पर नजर आ रहा था. वह बाइक से उतरता है और अपने बैग से देसी बम निकालकर फेंकने लगता है.
गुड्डू मुस्लिम पर आरोप है कि उमेश पाल हत्याकांड में असद अहमद के साथ वह भी शामिल था. वह उमेश पाल की हत्या के बाद से ही फरार चल रहा है. वही उत्तर प्रदेश पुलिस ने उमेश पाल के हत्याकांड के बाद गुड्डू मुस्लिम पर 5 लाख का इनाम भी घोषित किया है.
बिहार के माफिया के लिए काम कर चुका है गुड्डू
54 साल का गुड्डू मुस्लिम ना सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि बिहार के माफियाओं के साथ भी काम कर चुका है. यही कारण है कि उसे फरार होने में मदद मिलती रही. उमेश पाल हत्याकांड के प्लानिंग के दौरान अतीक के बेटे असद ने अपने सभी सहयोगियों का कोड नेम बनाया था. जिसमें गुड्डू मुस्लिम को मुर्गी का नाम दिया गया था. इस कोडनेम को देने की वजह ये कि उसके परिवार का चकिया में चिकन का काम है.
वहीं असद और गुलाम के एनकाउंटर के बाद एसटीएफ ने मुर्गी को पकड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस बीच कई खबर सामने आई थी कि एसटीएफ ने लगभग गुड्डू को पकड़ ही लिया है लेकिन इस खबर की पुष्टि नहीं हो पाई.
श्रीप्रकाश शुक्ला को मानता था गुरु
एक समय पर गुड्डू की मुलाकात अपराध की दुनिया के सबसे खूंखार और यूपी के सबसे चर्चित माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला से हुई. धीरे-धीरे गुड्डू उनका सबसे करीबी हो गया और उसे अपना गुरु मानने लगा. हालांकि श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के बाद वह गोरखपुर के माफिया परवेज टाडा के संपर्क में आया.
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करने वाला परवेज टाडा यहां जाली नोटों की तस्करी के लिए जाना जाता था. वहां गुड्डू परवेज के लिए बम बनाने लगा और परवेज ने ही उसकी मुलाकात बिहार के चर्चित माफिया उदयभान सिंह से करवाई. इसके बाद वह यूपी से बिहार पहुंचकर उदयभान सिंह के साथ काम करने लगा.
अतीक अहमद का खास बना गुड्डू
साल 2001 तक गुड्डू अपराध की दुनिया का जाना पहचाना चेहरा हो गया था. उसपर कई मुकदमे भी दर्ज थे और पुलिस उसकी तलाश में जुटी थी. इसी क्रम में गोरखपुर पुलिस ने उसे पटना से गिरफ्तार किया. ऐसा कहा जाता है कि उस वक्त अतीक अहमद ने ही उसे जेल से बेल दिलवाई थी. उसके बाद से ही गुड्डू अतीक अहमद का दाहिना हाथ बन गया था. गुड्डू ने अतीक के लिए सालों तक काम किया.
वह पूर्व सांसद अतीक अहमद के इशारे पर कई बड़े बड़े अपराध को अंजाम देने लगा और अकेले गैंग को भी संभालने लगा. साल 2005 में बहुजन समाजवादी पार्टी के विधायक राजू पाल की हत्या हुई थी. इस हत्याकांड में भी अतीक अहमद सहित गुड्डू मुस्लिम का नाम सामने आया था.
अतीक अहमद पर थे 100 से ज्यादा मुकदमे
15 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की हत्या कर दी गई. अहमद और अशरफ की हत्या ने एक बार फिर यूपी पुलिस और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है. इस राज्य में पहले भी पुलिस कस्टडी में हत्या को लेकर सवाल उठ चुके हैं और कई बार विपक्ष ने योगी सरकार को घेरा भी है.
लेकिन अतीक अहमद के खिलाफ भी कई मामले चल रहे थे. हत्या से पहले उसे साबरमती जेल में रखा गया था और उनके खिलाफ एमपीएमएलए कोर्ट में 50 से ज्यादा मामलों पर सुनवाई चल रही थी. ये सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाती थी. अतीक उन नेताओं में शामिल है जिसने अपराध की दुनिया से निकलकर राजनीति में अपनी जगह बनाई थी. हालांकि यूपी की राजनीति में भी अतीक की छवि बाहुबली नेता की ही रही थी और अपने बाहुबली अंदाज के कारण वह कई बार सुर्ख़ियों में रहे थे.
अतीक अहमद पर 100 से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज थे. प्रयागराज के अभियोजन अधिकारियों के अनुसार पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद के खिलाफ साल 1996 से अब तक 50 मुकदमे विचाराधीन थे.
इसके अलावा वह बहुजन समाज पार्टी विधायक राजू पाल ही हत्या के मुख्य अभियुक्त था. इस मामले में अबतक सीबीआई जांच कर रही है. वहीं 28 मार्च 2022 को प्रयागराज की एमपीएमएलए कोर्ट ने उसे साल 2006 किए गए उमेश पाल का अपहरण करने के आरोप में दोषी पाया था और उम्र कैद की सजा भी सुनाई थी.
कब, कहां और कैसे की गई अतीक अहमद की हत्या
15 अप्रैल 2023 को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ से पूछताछ करने के बाद यूपी पुलिस उसे कॉन्विन अस्पताल में मेडिकल जांच के लिए ले जा रही थी. यह अस्पताल इलाहाबाद हाईकोर्ट से सिर्फ 3 किमी की दूरी पर था, वहीं दूसरी तरफ जिस जगह पर गोली चलाई गई वहां से प्रयागराज एसएसपी का आवास भी मात्र 6 किमी दूरी पर है.
गोली चलने से पहले अतीक और अशरफ हथकड़ी में था और वह पत्रकारों से घिरे हुए थे. पत्रकार अतीक से सवाल पूछ रहे थे. इसी बीच हमलावरों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी. उसने लगातार 9 राउंड फायरिंग की और जबतक पुलिस उसे पकड़ने की कोशिश करते तब तक इन दोनों की मौत हो चुकी थी