Wednesday, May 21, 2025
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सेक्यूलर हिजड़ों: आतंकवादियों का कोई मजहब नहीं होता,लेकिन…. कलमा पढ़ो तो छोड़ देते हैं

“मैं ज़ोर-ज़ोर से कलमा पढ़ने लगा और आतंकियों ने मुझे छोड़ दिया”, पहलगाम में यूं बची शख्स की जान

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरा देश गुस्से और गम में हैं. इस हमले में देश ने 28 निर्दोष लोगों को खो दिया है. जबकि कई लोग घायल हैं, जिनका अस्पताल में इलाज जारी है. इस भयावह हमले में असम के श्रीभूमि कस्बे का एक परिवार बाल-बाल बच गया. हमले में बचे देबाशीष भट्टाचार्य से आजतक ने खास बातचीत की. देबाशीष ने उन डरावने पलों को याद किया.

देबाशीष भट्टाचार्य ने बताया कि वो और उनकी पत्नी असम विश्वविद्यालय के बंगाली डिपार्टमेंट में कार्यरत है. वह अपनी पत्नी और बेटे के साथ कश्मीर गए थे. जिस वक्त पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, तब वह उसी जगह पर मौजूद थे. देबाशीष ने आजतक को बताया कि “हम पेड़ के नीचे छिपे हुए थे. मैंने वहां आसपास कुछ लोगों को कलमा पढ़ते हुए सुना. मैं भी उन लोगों में शामिल हो गया. तभी एक आतंकवादी मेरे पास आया, फिर उसने मेरी तरफ देखा और पूछा- क्या कर रहे हो, ये क्या बोल रहे हो? क्या राम नाम बोल रहे हो? तो मैं जोर-जोर से कलमा पढ़ने लगा. हालांकि मुझे सीधे तौर पर कलमा पढ़ने के लिए नहीं बोला गया, लेकिन मैंने कलमा पढ़ना जारी रखा. थोड़ी देर बाद वह आतंकी मुड़ा और वहां से चला गया”

 

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