हमीदिया अस्पताल से रेमडेसीविर इंजेक्शन चोरी केस, फिर से होगी जांच अब दोबारा जांच करने के बाद ही फाइनल रिपोर्ट तैयार होगी.
कोरोना महामारी के प्रचंड दौर में हमीदिया अस्पताल से चोरी हुए रेमडेसीविर इंजेक्शन का मामला एक बार फिर सुर्खियों में हैं. अब इस मामले में दोबारा जांच की जाएगी. डीसीपी रियाज इकबाल ने कहा कि अब दोबारा जांच करने के बाद ही फाइनल रिपोर्ट तैयार होगी. क्राइम ब्रांच ने केस में खात्मे के लिए कोहेफिजा पुलिस को रिपोर्ट दी है. पुलिस दोबारा जांच करेगी, तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
भोपाल. हमीदिया अस्पताल से रेमडेसीविर इंजेक्शन चोरी केस में.कोहेफिजा थाना पुलिस दोबारा मामले की जांच करेगी. डीसीपी रियाज इकबाल ने कहा कि अब दोबारा जांच करने के बाद ही फाइनल रिपोर्ट तैयार होगी. क्राइम ब्रांच ने केस में खात्मे के लिए कोहेफिजा पुलिस को रिपोर्ट दी है. पुलिस दोबारा जांच करेगी, तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
इसके बाद ही फाइनल डिसीजन लेंगे. उन्होंने कहा कि क्राइम ब्रांच की रिपोर्ट में बताया गया है कि उस दौरान स्टोर रूम में अव्यवस्थित रिकॉर्ड था इसलिए इंजेक्शन की संख्या का मिलान नहीं हो सका. लेकिन अब रिकॉर्ड ठीक है इसलिए वहां पर इंजेक्शन चोरी की घटना नहीं हुई. पिछले साल मार्च अप्रैल 2021 में जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर कहर बरपा रही थी. दवाइयों औऱ इंजेक्शन का टोटा पड़ रहा था. कालाबाजारी जोरों पर थी.
ठीक उसी दौरान भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया से एक या दो नहीं बल्कि रेमडेसिविर के पूरे 865 इंजेक्शन चोरी होने की खबर ने भूचाल सा ला दिया था. ये इंजेक्शन कोरोना पीड़ितों के लिए प्राणरक्षा की गारंटी थे. जब हर घर में कोरोना पेशेंट थे ऐसे समय में बताया गया था कि इंजेक्शन चोरी हो गए थे. ये इंजेक्शन हमीदिया अस्पताल के स्टोर में रखे थे.
कांग्रेस विधायक की याचिका
इस मामले में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की तरफ से याचिका दायर की गई. उनके वकील यावर खान इसकी पैरवी कर रहे हैं. इस याचिका में तत्कालीन डीन गांधी मेडिकल कॉलेज जितेंद्र शुक्ला, तत्कालीन स्टोर प्रभारी संजीव और इंजेक्शन प्रभारी तुलसी को आरोपी बनाया गया था. वकील यावर खान ने बताया कि भोपाल कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस मामले के जांच अधिकारी उप निरीक्षक प्रमोद शर्मा ने कोर्ट को दी रिपोर्ट में बताया कि जांच के दौरान रेमडेसीविर इंजेक्शन चोरी होना नहीं पाया गया. इस मामले में खात्मा लगाने की कार्रवाई की जा रही है.
कोर्ट ने मांगी फाइनल रिपोर्ट
कोर्ट ने इस मामले में फाइनल रिपोर्ट मांगी है और इस मामले को गंभीर प्रवृत्ति का बताया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि केस डायरी के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि प्रकरण में जांच पूरी हो चुकी है. और अंतिम प्रतिवेदन पेश करने के लिए जांच अधिकारी ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से पत्राचार प्रारंभ किया. कोर्ट ने जांचकर्ता को निर्देश दिया है कि प्रकरण में खात्मा कार्रवाई कर फाइनल रिपोर्ट 11 अगस्त तक पेश करें.
पूरे मामले में लीपापोती
अब सवाल उठने लगा है कि यदि इतनी बड़ी संख्या में इंजेक्शन चोरी नहीं हुए थे तो फिर कहां गए. पुलिस ने फिर चोरी की एफआईआर क्यों दर्ज की. इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच ने क्यों की. अब क्राइम ब्रांच ने इस मामले में इंजेक्शन चोरी होना नहीं पाया और खात्मे की कार्रवाई के लिए पुलिस को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. सवाल यह उठता है कि 1 साल के बाद पुलिस इस पूरे मामले में लीपापोती क्यों कर रही है.
क्या किसी को बचाने की यह पूरी साजिश है या फिर इस इंजेक्शन चोरी कांड में बड़े से लेकर छोटे सभी की मिलीभगत है. पहले जांच के दौरान क्यों इंजेक्शन का रिकॉर्ड नहीं मिल पाया और अब पूरा रिकॉर्ड दुरुस्त कैसे हो गया. जब इंजेक्शन चोरी नहीं हुए थे तो कहां थे. और मामले की जांच इतनी लंबी क्यों खिंची.