हमास के आतंकी ढाँचे को खत्म करने के लिए इजरायली सेना को पाकिस्तान 155 मिमी के गोले की आपूर्ति कर रहा है। ऐसा दावा किया जा रहा है। ऐसे में यह घटनाक्रम इस दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान लम्बे समय से फिलिस्तीन का समर्थक रहा है, यहाँ तक कि वह इजरायल के अस्तित्व से भी इनकार करता है।
दरअसल, पीपल टॉक शो नाम के पाकिस्तानी मीडिया संगठन के एक्स (ट्विटर) अकाउंट ने फ्लाइट-ट्रैकिंग डेटा का विश्लेषण करने के बाद यह दावा किया। यूजर ने दावा किया कि ब्रिटिश वायु सेना के एक विमान ने बहरीन से पाकिस्तान के रावलपिंडी में नूर खान बेस के लिए उड़ान भरी थी। बाद में, यह ओमान के माध्यम से साइप्रस में एक सहयोगी अड्डे पर पहुँच गया।
पीपल टॉक शो ने पोस्ट किया, ”पाकिस्तान इजरायल को 155 मिमी के गोले निर्यात कर रहा है। वैश्विक आपूर्ति की कमी के कारण इन हथियारों को इजरायल को निर्यात किया गया है। ब्रिटिश एयरफोर्स आरआरआर6664/5 ने बहरीन से रावलपिंडी पीएएफ नूर खान बेस तक, नूर खान बेस से बहरीन के लिए उड़ान भरी। इजरायल को आपूर्ति करने के लिए बहरीन से डुकम ओमान और डुकम ओमान से साइप्रस तक मित्र देशों के अड्डे तक इसे पहुँचाया गया।”
इसने पाकिस्तान के हाथ फिलिस्तीनी नागरिकों के खून से सने होने का आरोप लगाया। पोस्ट में कहा गया है, “फिलिस्तीनी नागरिकों और बच्चों का खून पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के हाथ में है, इस्लामाबाद के हाथ में है।”
एक अन्य ट्वीट में, इसने एक लेख का लिंक संलग्न किया जिसमें अक्रोटिरी बेस पर वायु सेना के ट्रैफिक रूट को दिखाया गया है जो उनके दावे के समर्थन में भी है।
ब्रिटिश एयरफोर्स RRR6664/5 एक बोइंग C-17A ग्लोबमास्टर, एक सैन्य परिवहन विमान है। जबकि उड़ान ट्रैकिंग मैप दिखा रहा है कि रॉयल एयर फ़ोर्स का विमान पाकिस्तान में उतरा, हालाँकि, यह ज्ञात नहीं है कि ऐसे में यह दावा करने वाले ने कैसे निर्धारित किया कि विमान पर गोला-बारूद, विशेष रूप से 155 मिमी के गोले लोड किए गए थे।
गौरतलब है कि ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स का साइप्रस में अक्रोटिरी बेस एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य केंद्र के रूप में सामने आया है। इसका इस्तेमाल हमास के खिलाफ युद्ध के बीच इजरायल को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करने के लिए किया जा रहा है। इजरायली अखबार हारेत्ज़ की रिपोर्ट के अनुसार, 40 से अधिक अमेरिकी परिवहन विमान, 20 ब्रिटिश परिवहन विमान और सात भारी परिवहन हेलीकॉप्टर उपकरण, हथियार और सेना का सामान लेकर साइप्रस में आरएएफ अक्रोटिरी बेस के लिए उड़ान भरी थी।
हारेत्ज़ रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि नेगेव रेगिस्तान के पास दक्षिणी इज़रायल में स्थित नेवातिम वायु सेना बेस पर उतरने वाले अमेरिकी विमानों ने इज़रायल की सेना के लिए हथियार पहुँचाएँ हैं। अमेरिकी विमान अन्य चीजों के अलावा बख्तरबंद वाहन लेकर तेल अवीव के बेन गुरियन हवाई अड्डे पर भी उतरे हैं।
इस रिपोर्ट को इस तथ्य से बल मिला कि पाकिस्तान जमीनी हमलों के लिए आवश्यक बुनियादी हथियारों का निर्माता है। सितंबर 2023 में, द इंटरसेप्ट रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पाकिस्तान ने अमेरिका को गुप्त हथियार बेचने की साजिश रची, जिससे उसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बहुप्रतीक्षित बेलआउट पैकेज हासिल करने में मदद मिली।
कथित तौर पर हथियारों की बिक्री का सौदा यूक्रेनी सेना को अन्य हथियारों के साथ 155 मिमी के गोले की आपूर्ति के लिए किया गया था। हालाँकि, इस्लामाबाद ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया था और दावा किया कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थता की नीति बनाए हुए है।
हालाँकि, यूक्रेन को 155 मिमी के गोले से लैस करने की रिपोर्टों के समान ही पाकिस्तान ने उन दावों को भी खारिज कर दिया है कि वह इज़राइल को इजरायली सशस्त्र बलों के लिए जमीनी हमले के लिए आवश्यक गोला-बारूद की आपूर्ति कर रहा है।
इजरायल के प्रति पाकिस्तान का रुख
गौरतलब है कि पाकिस्तान दुनिया के उन कुछ देशों में से है जो इजरायल को एक देश के रूप में मान्यता नहीं देता है। 1947 में, इज़रायल के निर्माण के समय, पाकिस्तान ने फिलिस्तीन के लिए संयुक्त राष्ट्र विभाजन योजना के खिलाफ मतदान किया था।
फ़िलहाल, पाकिस्तान द्वारा इज़रायल को 155 मिमी के गोले की कथित आपूर्ति को भी पश्चिमी शक्तियों द्वारा किसी पिछले दरवाजे से हथियारों की सप्लाई के रूप में देखा जा रहा है।