कुछ मीडिया घरानों को तैयार किया गया है कि कहानी परोसे की वाज़े खुद को हीरो बनाने के लिए षड्यंत्र रचा रहा था ताकि मास्टरमाइंड बच जाए।
सचिन वझे तो एक मोहरा
जांच एजेंसियों को गुमराह करने के मकसद से उसने पीपीई किट के नीचे ढीला कुर्ता-पाजामा पहन रखा था। उसने सिर पर रुमाल भी बंधा था। एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि इस मामले में कई बड़े लोगों के शामिल होने के सुबूत मिले हैं। सचिन वझे तो एक मोहरा है। वह इन शातिर खिलाडि़यों के निर्देश पर काम कर रहा था। इनमें से कुछ लोगों को जल्द ही पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।बुधवार शाम एनआइए की एक टीम वझे को दक्षिण मुंबई के बाबुलनाथ इलाके में ले गई। बाद में उसे माहिम की खाड़ी के पास भी ले जाया गया।
Mukesh Ambani Bomb Scare Case: एनआइए ने खंगाला सचिन वझे का दफ्तर, मोबाइल, लैपटाप और आइपैड किया जब्त
हिरासत में तहसीन अख्तर
एनआइए के अनुसार टेलीग्राम एप पर पोस्ट किए गए आतंकी संगठन जैश-उल-हिंद के एक पत्र में फिरौती मांगने और घटना की जिम्मेदारी लेने की भी जांच की जाएगी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पहले ही इंडियन मुजाहिदीन के एक साथी तहसीन अख्तर को हिरासत में ले लिया है, जो बम बनाने में माहिर है।
वझे ही अंबानी के घर के पास खड़ी करने गया था कार
एनआइए ने बताया कि घटना वाले दिन वझे ही अपनी सरकारी इनोवा गाड़ी के साथ विस्फोटक लदी स्कार्पियो को मुकेश अंबानी के घर के पास खड़ी कराने गया था। एनआइए इस इनोवा को बरामद कर चुकी है। इसके साथ ही मंगलवार को एनआइए ने वझे द्वारा इस्तेमाल की जा रही एक मर्सिडीज भी बरामद की है। इस तरह स्कार्पियो समेत तीन कारें एनआइए जब्त कर चुकी है। उसे अभी एक और मर्सिडीज और स्कोडा की तलाश है।
पूरी साजिश को सुलझाया
Mukesh Ambani Bomb Scare Case: गिरफ्तार होने तक अपने खिलाफ लगातार सुबूत मिटाता रहा सचिन
एनआइए के अधिकारियों ने बताया कि अख्तर से पूछताछ करने और टेलीग्राम एप पर धमकी भरा पत्र पोस्ट करने के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल को जब्त करने के बाद कुछ ठोस सुबूत जुटाए गए हैं। वजे से जल्द ही इन सुबूतों के आधार पर पूछताछ होगी। अधिकारियों ने कहा कि यह मामला लगभग खुल गया और जल्द ही इसके पीछे की पूरी साजिश को सुलझा लिया जाएगा।
बरामद की इनोवा
एनआइए ने बताया कि घटना वाले दिन वझे ही अपनी सरकारी इनोवा गाड़ी के साथ विस्फोटक लदी स्कार्पियो को मुकेश अंबानी के घर के पास खड़ी कराने गया था। एनआइए इस इनोवा को बरामद कर चुकी है। इसके साथ ही मंगलवार को एनआइए ने वझे द्वारा इस्तेमाल की जा रही एक मर्सिडीज भी बरामद की है। इस मर्सिडीज में पांच लाख की नकदी, एक नोट गिनने की मशीन और दो फर्जी नंबर प्लेट मिली थीं। एनआइए के अधिकारियों ने बताया कि मर्सिडीज के असली मालिक से भी पूछताछ की जाएगी।
लैपटाप का डाटा किया डिलीट, मोबाइल फोन फेंका
एनआइए ने वझे के दफ्तर से जो लैपटाप जब्त किया था उसमें उसे कोई डाटा नहीं मिला। सारा डाटा डिलीट किया जा चुका था। इसके अलावा वझे ने अपना मोबाइल फोन भी एनआइए को मुहैया नहीं कराया। पूछताछ में उसने मोबाइल फोन गुम होने की बात कही है। जानकारों का मानना है कि सुबूत मिटाने के क्रम में वझे ने जानबूझकर अपना मोबाइल फोन कहीं फेंक दिया या नष्ट कर दिया।
Mansukh Hiran Death Mystery: सचिन वझे को कोर्ट में पेश करने की तैयारी, कई रहस्यों से उठ सकता है पर्दा
वझे के सहकर्मी काजी से लगातार चौथे दिन पूछताछ
एनआइए ने सचिन वझे के साथी रियाजुद्दीन काजी से बुधवार को लगातार चौथे दिन पूछताछ जारी रखी। काजी वझे की यूनिट में ही असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर (एपीआइ) है और वारदात के बाद सुबूत मिटाने में सचिन की मदद कर रहा था। एनआइए के अधिकारियों ने बताया कि काजी के अलावा एक और एपीआइ प्रकाश होवल को भी दोपहर बाद पूछताछ के लिए बुलाया गया। इन दोनों से महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्मीद है।
काजी ने फर्जी नंबर प्लेट का किया था इंतजाम
एनआइए सूत्रों के अनुसार वारदात में इस्तेमाल स्कार्पियो, चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराए जाने के बाद 24 फरवरी तक वझे की सोसायटी में ही खड़ी रखी गई थी। इस सोसायटी के सीसीटीवी का डिजिटल वीडियो रिकार्ड में पाया गया है कि काजी ही वर्दी की धौंस दिखाकर ले गया। इसके लिए उसने अपने हस्ताक्षर से जारी पत्र का इस्तेमाल किया। यह भी बताया गया कि काजी ने ही वझे की इनोवा के लिए फर्जी नंबर प्लेट का प्रबंध किया।
मनसुख मामले की जांच अपने हाथ में ले सकती है एनआइए
एनआइए मनसुख हिरेन की मौत के मामले की जांच भी अपने हाथ में ले सकती है। मनसुख मामले की जांच फिलहाल महाराष्ट्र एटीएस कर रही है जबकि मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक लदी स्कार्पियो मिलने के मामले की जांच एनआइए के जिम्मे है। मनसुख की पत्नी ने इस मामले में वझे पर गंभीर आरोप लगाए थे। भाजपा की ओर से मुद्दा उठाए जाने और मामले के तूल पकड़ने पर मनसुख केस की जांच एटीएस के हवाले कर दी गई थी।
बीजेपी नेता देंवेंद्र फडणवीस ने एटीलिया केस में गिरफ्तार हुए सचिन वाझे को लेकर शिवसेना और उद्धव ठाकरे सरकार को घेरा है। फडणवीस ने खुलासा किया है कि जब वह शिवसेना के साथ मिलकर सरकार चला रहे थे तब भी उद्धव ठाकरे ने वाझे को बहाल करने का दबाव उन पर डाला था इसके लिए खुद उद्धव ठाकरे ने फोन पर बात की थी और शिवसेना के कुछ मंत्रियों ने मुलाकात करके सिफारिश की थी। पूर्व सीएम ने कहा कि उन्होंने कानूनी सलाह और वाझे के रिकॉर्ड को देखते हुए बहाल नहीं किया था।
एपीआई सचिन वाझे को 2004 में सस्पेंड कर दिया गया था। 2008 में उन्होंने वीआरएस ले लिया था, जिसे स्वीकार नहीं किया गया था। वह शिवेसना में भी शामिल हुए थे और प्रवक्ता की भूमिका भी निफाई थी। देवेंद्र फडणवीस ने यहां तक कहा कि मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से हटाए गए परमबीर सिंह और सचिन वाझे छोटे लोग हैं, इसके पीछे किसका आशीर्वाद है, इसकी जांच होनी चाहिए। विधानसभा में विपक्ष के नेता ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सचिन वाझे को वसूली अधिकारी बनाकर क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में बिठाया गया था और सभी हाई प्रोफाइल केस दिए जा रहे थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मनसुख हिरेन की मौत की जांच कर रही एटीएस ठीक से जांच नहीं कर रही है।
फडणवीस ने कहा, ”मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि क्या एटीएस पर दबाव है। यह घटना अकेले सचिन वाझे नहीं कर सकता है। इसमें कौन-कौन है इसकी जांच होनी चाहिए। यह पुलिस की विफलता नहीं है, यह सरकार की विफलता है। सरकार ने ऐसे व्यक्ति को ऐसी महत्वपूर्ण जगह पर बिठाया जिसका पास्ट इतना खराब है। मुख्यमंत्री और सरकार ने उन्हें डिफेंड किया। इतने सबूत मैं नहीं देता तो शायद उसको महात्मा बताया जाता। पूछा गया था कि क्या वह ओसामा बिन लादेन है। इसके पास सरकार का कुछ ऐसा था जिसकी वजह से सरकार को इतना महत्वपूर्ण पद देना पड़ा। जांच एजेंसियों को इसकी तलाश करनी पड़ेगी।”
फडणवीस ने कहा, ”महामारी में पुलिसकर्मियों की कमी का बहाना बनाकर वाझे और उनके साथ के कुछ लोगों को लेकर सरकार ने वापस लिया। अन्य कुछ अधिकारी जो छोटी वजहों से सस्पेंड थे उनको वापस नहीं लिया। जो हाई कोर्ट के आदेश से हटाए गए थे उन्हें वापस लिया। वाझे पर वसूली केस में भी नाम आया। इतना खराब रिकॉर्ड होने के बावजूद इनको लिया गया। मुंबई क्राइम ब्रान्च की सबसे महत्वपूर्ण यूनिट है क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट। वाझे को इसका प्रमुख बना दिया गया। मुंबई में जितने हाई प्रोफाइल केस हुए सारे केस सीआईयू को दिए गए। मुंबई पुलिस में सीपी के बाद किसी का कद था तो वह सचिन वाझे का था। सीएम और गृहमंत्री और मंत्रियों के ब्रीफिंग में वे नजर आते थे।” फडणवीस ने यह भी कहा कि सचिन वाझे के शिवसेना के कई नेताओं से करीबी और कारोबारी रिश्ते हैं।
दवेंद्र फडणवीस ने कहा, ”हमें तो पूरी तरह लगता है कि एक प्रकार से सीआईयू के रूप में नहीं वसूली अधिकारी के रूप में उन्हें बैठाया गया। बड़े पैमाने पर मुंबई डांस बार चलाने की छूट दी गई।” फडणवीस ने बताया कि जिलेटिन वाली स्कॉर्पियो गाड़ी वाझे के पास ही थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मनसुख हिरेन की हत्या की गई और लाश को बहाने के मकसद से फेंका गया था।
महाराष्ट्र की राजनीति में मनसुख हिरेन की मौत के मामले में गहमागहमी बढ़ती जा रही है। बुधवार (मार्च 17, 2021) को मुंबई पुलिस के कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला कर दिया गया और हेमंत नागराले को यह पद सौंपा गया। वहीं, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक प्रेस वार्ता कर इस मामले में राज्य सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने मनसुख हिरेन की मौत को हत्या करार दिया। फडणवीस ने कहा कि यह बात सामने आनी चाहिए कि हाईप्रोफाइल मामला वाजे को सौंपने के पीछे वजह क्या रही?
फडणवीस ने आरोप लगाया कि मनसुख हिरेन की हत्या की गई है। उन्होंने कहा कि हिरेन को मारने के बाद शव को खाड़ी में फेंका गया। लो टाइड की वजह से शव बहा नहीं, अगर शव हाई टाइड में चला जाता तो मिलता ही नहीं। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हिरेन के फेफड़ों में पानी नहीं है। अगर हिरेन की मौत पानी में डूबने से हुई होती तो फेफड़ों में पानी दिखता। इससे साफ है कि हिरेन की हत्या हुई है। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनसुख हिरेन का गला घोटने की जानकारी सामने आई है।
शिवसेना के नेताओं के साथ नजर आता था वाजे
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि सचिन वाजे मनसुख हिरेन को जानते थे। उन्होंने कहा कि वाजे मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और शिवसेना के मंत्रियों के साथ नजर आते थे। उन्होंने दावा किया कि वाजे को वसूली के लिए लाया गया था और साजिश के तहत वाजे ने ही मनसुख से पूछताछ की थी। उन्होंने माँग की कि इस मामले की जाँच एटीएस को नहीं करनी चाहिए बल्कि एनआईए के हाथ में दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि परमबीर सिंह और सचिन वाजे बहुत छोटे लोग हैं। इसकी जाँच होनी चाहिए कि इनके पीछे कौन लोग हैं।
वाजे और परमबीर छोटे लोग, इनके पीछे कौन…
फडणवीस ने कहा कि ये पूरा मामला अकेले सचिन वाजे के बस की बात नहीं थी। सचिन वाजे और परमबीर सिंह जैसे लोग बहुत छोटे हैं। उन्होंने कहा कि इनके पीछे कौन लोग हैं कौन इन्हें नियंत्रित कर रहे हैं, इसकी जाँच होनी चाहिए। भाजपा नेता ने कहा कि शिवसेना ने सचिन वाजे के लिए दबाव बनाया। मनसुख हिरेन की वाजे से लगातार बातचीत हुई थी। सचिन वाजे वसूली के लिए बदनाम था। उन्होंने सवाल किया कि मुख्यमंत्री सचिन वाजे का बचाव क्यों कर रहे हैं। मुंबई में अपराध का राजनीतिकरण हुआ।
सचिन वाजे को नौकरी में वापस क्यों लिया गया?
भाजपा नेता ने कहा कि मुंबई में जिलेटिन स्टिक से भरी एक कार पाई गई और जिस प्रकार से पुलिस महकमे से इस प्रकार की गाड़ी प्लांट की जाती है और उसके बाद की घटनाओं में सबसे बड़ी कड़ी मनसुख हिरेन का जिस प्रकार से खून किया जाता है, ऐसा मुंबई और महाराष्ट्र के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। फडणवीस ने कहा कि अगर रक्षा करने वाले इस तरह अपराधी तत्व बन जाएँ तो सुरक्षा कौन करेगा ये सवाल है? इसमें सबसे अहम सवाल ये है कि एपीआई सचिन वाजे को नौकरी में वापस क्यों लिया गया?
कोरोना के बहाने की गई सचिन वाजे की बहाली
पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने आरोप लगाया कि कोरोना के बहाने वाजे की बहाली की गई। उन्होंने कहा कि सचिन वाजे साल 2004 में सस्पेंड हुए, 2007 में उन्होंने वीआरएस (ऐच्छिक सेवानिवृत्ति) दिया लेकिन उनके ऊपर चल रही इन्क्वायरी के चलते उनका वीआरएस स्वीकार नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि साल 2018 में जिस समय वो मुख्यमंत्री थे उस समय शिवसेना की ओर से दबाव बनाया जा रहा था कि एपीआई सचिन वाजे को फिर एक बार सरकार की सेवा में लिया जाए। लेकिन उन्होंने सचिन वाजे को बहाल नहीं किया था।
जानिए क्या है इस विवाद के पीछे का पूरा मामला
वाजे दक्षिण मुंबई में उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के निकट 25 फरवरी को विस्फोटक से लदी स्कॉर्पियो कार मिलने के मामले में जाँच के केंद्र में हैं। अंबानी के घर के निकट मिली विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो कार के मालिक तथा कारोबारी मनसुख हिरेन की पत्नी ने आरोप लगाया था कि वाजे ने कुछ समय के लिए उस कार का इस्तेमाल किया था। हिरेन ने दावा किया था कि उनकी कार कुछ दिन पहले चोरी हो गई थी। इसके बाद हिरेन की रहस्यमयी हालत में मौत हो गई और उनका शव ठाणे में मिला था। हिरेन की मौत के बाद मामले की जाँच एनआईए को सौंप दी गई है।