Monday, October 14, 2024
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अध्यादेश मंज़ूर: लव जिहाद पर अब 10 साल की सज़ा,अभी से लागू,कठमुल्लों का रोना शुरू

 

यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन ने शनिवार सुबह विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020  को मंजूरी दे दी है। आज से महज शादी के लिए अगर लड़की का धर्म बदला गया तो न केवल ऐसी शादी अमान्य घोषित कर दी जाएगी, बल्कि धर्म परिवर्तन कराने वालों को दस साल तक जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। इस नए अध्यादेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश में बलपूर्वक, झूठ बोलकर, लालच देकर या अन्य किसी कपटपूर्ण तरीके से अथवा विवाह के लिए धर्म परिवर्तन गैर जमानती अपराध होगा।

इस गैर जमानती अपराध के मामले में प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में मुकदमा चलेगा। दोष सिद्ध हुआ तो दोषी को कम से कम 1 वर्ष और अधिकतम 5 वर्ष की सजा भुगतनी होगी, साथ ही न्यूनतम 15,000 रुपए का जुर्माना भी भरना होगा। अगर मामला अवयस्क महिला, अनूसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला के सम्बन्ध में हुआ तो दोषी को 03 वर्ष से 10 वर्ष तक कारावास की सजा और न्यूनतम 25,000 रुपये जुर्माना अदा करना पड़ेगा।

लव जेहाद मामले में किया गया धर्म परिवर्तन अवैध नहीं है, जबरन नहीं किया गया। इसे प्रलोभन देकर नहीं कराया गया। धर्म परिवर्तन उत्पीड़न करके नहीं किया गया, यह सिद्ध करने की जिम्मेदारी आरोपी व्यक्ति पर ही होगी। साथ ही सामूहिक धर्म परिवर्तन में सामाजिक संगठनों का पंजीकरण रद्द कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन (UP Governor Anandiben) ने योगी कैबिनेट (Yogi Cabinet) द्वारा पिछले दिनों ‘लव जिहाद’ (Love Jihad) के खिलाफ पास किए गए अवैध धर्मांतरण रोधी कानून के प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दे दी. योगी कैबिनेट से मंजूरी के बाद अध्यादेश राज्यपाल के पास मंजूरी के लिए गया था. इस अध्यादेश के राज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन करने के लिए अनुमति लेना आवश्यय हो गया है.

उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 के तहत अगर किसी का अपना धर्म परिवर्तन करना है तो उस व्यक्ति को कम से कम 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा विशेष रूप से अधिकृत अपर जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रपत्र में ये घोषणा करनी होगी कि वह खुद और अपनी स्वतंत्र सहमति से, बिना किसी बल, उत्पीड़न, प्रलोभन आदि के अपना धर्म परिवर्तन करना चाहता है.

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धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति के लिए प्रपत्र
जो धार्मिक पुजारी किसी व्यक्ति का एक धर्म से अन्य धर्म में परिवर्तन करने  लिए अनुष्ठान संपादित करेगा, इस संबंध में उसे भी तय प्रपत्र में नोटिस जिला मजिस्ट्रेट या उस जिला, जहां ऐसे अनुष्ठान संपादित किया जाना प्रस्तावित हो, के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा एक महीने पहले देगा.

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धार्मिक पुजारी द्वारा नोटिस
जिला मजिस्ट्रेट इन दोनों सूचनाओं को प्रस्तावित धर्म परिवर्तन के वास्तविक आशय, प्रयोजन और कारण के संबंध में पुलिस के माध्यम से जांच कराएगा. उल्लंघन करने पर प्रस्तावित धर्म परिवर्तन का प्रभाव अवैध और शून्य हो जाएगा.

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धर्म परितर्वन के संबंध में सूचना
उल्लंघन करने पर मिलेगी सजा
यही नहीं प्रपत्र का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को कम से कम 6 महीने और अधिकतम 3 साल तक जेल हो सकती है, साथ ही कम से कम 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. वहीं कोई धार्मिक पुजारी, मौलवी आदि अगर अपने प्रपत्र का उल्लंघन करेगा, उसे कम से कम 1 साल और अधिकतम 5 साल की सजा हो सकती है. वहीं कम से कम 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है.

राज्यपाल के अनुसार चूंकि राज्य में विधानमंडल सत्र में नहीं है और ऐसी परिस्थितियां विद्यमान हैं, जिसके कारण उन्हें तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक हो गया है. इसलिए अब भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करके राज्यपाल इस अध्यादेश को प्रख्यापित करती हैं.

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