जो बायडेन ने कहा था कि वो तुर्की को सबक सिखाते, भले ही इसके लिए उन्हें ‘सिचुएशन रूम’ में हजारों घंटे ही क्यों न व्यतीत करना पड़े या फिर सीरिया या ईराक में स्थिति सुधारने के लिए क्यों न कुछ भी करना पड़े। चुनाव प्रचार के समय ही उन्होंने साफ़ कर दिया था कि वो तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआँ (Erdogan) से बात कर उन्हें चेता देते कि उन्होंने जो कुछ भी किया है, इसके लिए उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
इधर आर्मेनियन असेंबली ऑफ अमेरिका ने भी जो बायडेन को बधाई देते हुए माँग की है कि अमेरिका में अजरबैजान और तुर्की के प्रभाव को लेकर जाँच बिठाई जाए। उसने ISIS के साथ तुर्की के गठबंधन के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि क्षेत्र में अशांति के लिए तुर्की ही जिम्मेदार है और उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। अमेरिका में आर्मेनिया के नागरिकों ने भी तुर्की पर शिकंजा कसने की माँग की है।
लिबरल जमात जो बायडेन के अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने से खुश है, वहीं दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि इससे आतंकवाद को लेकर अमेरिका के रुख में शायद ही कोई बदलाव आएगा। इसका कारण है दुनिया में नया खलीफा बनने चले तुर्की को लेकर उनका रुख। जो बायडेन ने तुर्की को लेकर कहा था कि वो एक ‘असली समस्या’ है और इसे लेकर वो उसे सख्त हिदायत जारी करते।
जो बायडेन ने कहा था कि वो तुर्की को सबक सिखाते, भले ही इसके लिए उन्हें ‘सिचुएशन रूम’ में हजारों घंटे ही क्यों न व्यतीत करना पड़े या फिर सीरिया या ईराक में स्थिति सुधारने के लिए क्यों न कुछ भी करना पड़े। चुनाव प्रचार के समय ही उन्होंने साफ़ कर दिया था कि वो तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआँ (Erdogan) से बात कर उन्हें चेता देते कि उन्होंने जो कुछ भी किया है, इसके लिए उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
इधर आर्मेनियन असेंबली ऑफ अमेरिका ने भी जो बायडेन को बधाई देते हुए माँग की है कि अमेरिका में अजरबैजान और तुर्की के प्रभाव को लेकर जाँच बिठाई जाए। उसने ISIS के साथ तुर्की के गठबंधन के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि क्षेत्र में अशांति के लिए तुर्की ही जिम्मेदार है और उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। अमेरिका में आर्मेनिया के नागरिकों ने भी तुर्की पर शिकंजा कसने की माँग की है।
वहीं अब तुर्की की राजधानी अंकारा में भी जो बायडेन को लेकर हलचल तेज हो गई है और तुर्की के नेता कह रहे हैं कि वो नए अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ संबंधों को ठीक करने के लिए सारी कोशिशें करेंगे। ‘ग्रीक सिटी टाइम्स’ ने अनुमान लगाया है कि ट्रम्प के साथ तो एर्दोआँ के मित्रता भरे थोड़े-बहुत रिश्ते भी थे, लेकिन अब तुर्की को आशंका है कि नए राष्ट्रपति नई शर्तें लेकर आएँगे, जिससे उसे खासी परेशानी होने वाली है।
तुर्की के विदेश मंत्री का भी कहना है कि डोनाल्ड ट्रम्प के साथ उनके मुल्क के गंभीर रिश्ते थे और अब आगे चुनौती भरा समय होने वाला है। डोनाल्ड ट्रम्प ने तुर्की के खिलाफ लगे कुछ प्रतिबंधों को ढीला कर दिया था, जिन्हें फिर से वापस लाया जा सकता है। साथ ही मध्य-पूर्व में तुर्की के हस्तक्षेप को कम किया जाएगा। तुर्की के ही एक पत्रकार ने स्वीकार किया है कि अब अमेरिकी कॉन्ग्रेस उसके मुल्क के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
बता दें कि तुर्की दक्षिण एशियाई देशों में अपना विस्तार करना चाहता है। लेकिन, दूसरी तरफ इस इलाके में सऊदी अरब का प्रभाव किसी से छुपा नहीं है। इसके लिए तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआँ और उनकी सरकार की तरफ से तमाम प्रयास जारी हैं। उसका नतीजा है कि तुर्की ने अपनी छवि बतौर एक रेडिकल इस्लामिक देश स्थापित कर ली है। जुलाई 2020 में तुर्की की सरकार ने बाईज़ानटाईन कैथेद्रल हगिया सोफिया संग्रहालय को मस्जिद में तब्दील कर दिया था।
Unlike President Trump, I know what it takes to negotiate with Erdoğan. And if I were president, I would make him pay a heavy price for what he has done. pic.twitter.com/vv4P1q7B5S
— Joe Biden (@JoeBiden) October 16, 2019