Sunday, March 23, 2025
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6 मुसलमानों ने बताया ऐसे फ़ंसाते है,नाबालिग हिंदू लड़कियों को,सिर्फ सैक्स करना और मुसलमान बनाना है,मौलवी मौलाना,अम्मी, अब्बा, बहनों का गैंग

हिन्दू लड़कियों को फंसाने वाला ‘मुस्लिम गैंग’ उन्हें मौलवी के पास ले चलने को कहता था। हिन्दू बच्चियों से सिगरेट पीने को कहा जाता था। हिन्दू बच्चियों को उनकी सहेलियों से दोस्ती करवाने को कहा जाता था। ऐसा ना करने पर पूरे परिवार की हत्या की बात कही जाती थी। उन्हें जींस-टॉप पहनने से रोका जाता था। इस मामले में 6 मुस्लिम युवक गिरफ्तार हैं।
गली-गली घूम रहे लव जिहादी, शहर दर शहर पसर रहे ‘मुस्लिम गैंग’: अजमेर से ब्यावर तक हिंदू बच्चियों के शिकार का मॉडल वही, कब जागेंगी एजेंसियाँ

साल 1992 का अजमेर सेक्स स्कैंडल और 2025 में ब्यावर में लड़कियाँ फँसाने पर बवाल। दोनों घटनाओं के बीच 33 साल का वक्त बीता है लेकिन इतने लंबे अंतराल के बावजूद अपराध करने के तरीके में कुछ नहीं बदला है। तब भी, एक समुदाय के निशाने पर हिंदू लड़कियाँ थीं और आज भी वहीं हुआ है। फर्क बस इतना है कि तब मामला खुलने में,अपराधी पकड़ने में समय लगा था, मगर इस बार कार्रवाई भी तेज है और लोग भी इसके प्रति जागरूक है

ब्यावर में हिंदू लड़कियों को फँसाने में 15 लड़के शामिल थे। इन्होंने इंस्टाग्राम के जरिए एक के बाद एक करके 5 स्कूली लड़कियों को अपने निशाने पर ले लिया था। सारी छात्राएँ 10वीं की थीं। इस गिरोह ने उन बच्चियों को पहले झाँसे में फँसाया, फिर होटल बुलाकर उनकी तस्वीरें निकालीं, उनका यौन शोषण किया और बाद में उन्हें धमकाने, उनसे पैसे वसूलने का और धर्मांतरण के लिए मजबूर करने का सिलसिला शुरू हुआ।

अगर एक लड़की अपने घर से पैसे चुराते हुए नहीं पकड़ी जाती और सवाल-जवाब होने पर वो सारी सच्चाई नहीं बताती तो शायद 5 लड़कियों की संख्या बढ़कर 50 होती और फिर 500।

ये आँकड़े बढ़ा-चढ़ाकर या कल्पना करके नहीं कहे जा रहे। अजमेर कांड की पीड़िताओं की गिनती ही इस संख्या तक पहुँचने का आधार हैं। अजमेर कांड के वक्त 100 से ज्यादा लड़कियों का रेप हुआ था और 250 तो ऐसी थीं जिनकी नग्न तस्वीरें जगह-जगह वायरल हुई थी। उस गिरोह में भी एक समुदाय के लोगों की सक्रियता ज्यादा पाई गई थी। पीड़ितों के परिजनों की हालत ये हो गई थी कि परिवार रातोंरात गायब हो रहे थे।

ब्रिटेन में फैला ग्रूमिंग गैंग का कारोबार भी इसी विचारधारा का प्रमाण था। उस गैंग ने तो चुन-चुनकर गैर-इस्लामी लड़कियों को निशाना बनाया था और उन्हें कचरा कहते हुए उनके साथ ऐसी वीभत्सता की थी जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

ब्यावर में भी शायद स्थिति ऐसी हो जाती अगर समय रहते ये मामला नहीं खुलता और पुलिस तक बात नहीं पहुँचती।

दरअसल छोटी उम्र की लड़कियों को लालच देकर फँसाना हमेशा से ऐसे गिरोहों के लिए आसान रहा है। कारण कई होते हैं। छोटे उम्र में लड़कियाँ नहीं समझ पातीं कि ऐसी स्थिति में फँसने पर उन्हें डील कैसे करना है।

एक बार झाँसे में आने बाद वो उस दलदल में इसलिए और अंदर धँसती जाती हैं क्योंकि उन्हें समाज में बदनामी और परिवार की प्रतिक्रिया दोनों का डर होता है। वे सामाजिक दबाव के कारण, अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पातीं और अकेलेपन का सामना करती हैं। इसी मनोस्थिति का फायदा ये गिरोह उठाता है और लड़कियों को धमकाने, ब्लैकमेल करने, उनका यौन शोषण करना जारी रखता है। बातें अगर खुलती भी हैं तो भी कई बार कई मामलों को लोक-लाज का सोचकर दबाने का काम होता है। मगर इसका असर उन पीड़िताओं पर क्या पड़ता है इस पर कोई विचार नहीं करता।

आज सरकारें ऐसे दरिंदों को सजा देने के लिए कई कानून ला चुकी हैं। धर्मांतरण विरोधी कानून से लेकर लव जिहाद के खिलाफ तक कानून आ चुका है, लेकिन सवाल फिर वही है कि जब ऐसी घृणित मानसिकता के लोग गली-गली में बसे हैं तब इनसे कैसे लड़ा जाएगा। इनका ठिकाना सिर्फ राजस्थान के ब्यावर नहीं, अजमेर से लेकर ब्रिटेन का रॉदरहैम तक है। अजीब बात ये है कि एक तरफ इनका पैटर्न जानने के बावजूद भी लड़कियाँ सचेत नहीं हो रहीं और दूसरी तरफ ये अपना घिनौना खेल सोशल मीडिया के माध्यम से भी खेलने लगे हैं। इनकी बढ़ती रफ्तार देख जरूरत है अब जाँच एजेंसियाँ जागें और समय से पहले इनपर शिकंजा कसा जाए।

राजस्थान के ब्यावर में हिन्दू लड़कियों को फंसाने वाला ‘मुस्लिम गैंग’ उन्हें मौलवी के पास ले चलने को कहता था। हिन्दू बच्चियों से सिगरेट पीने को कहा जाता था। हिन्दू बच्चियों को उनकी सहेलियों से दोस्ती करवाने को कहा जाता था। ऐसा ना करने पर पूरे परिवार की हत्या की बात कही जाती थी। उन्हें जींस-टॉप पहनने से रोका जाता था। इस मामले में 6 मुस्लिम युवक गिरफ्तार हैं। उनका केस लड़ने से भी अजमेर के वकीलों ने मना कर दिया है।

दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्यावर में हिन्दू लड़कियों को फंसाने वाला गैंग उनसे मस्जिद में जाने और मौलवियों से मिलने के लिए कहता था। उनकी मतांतरण की कोशिश हो रही थी। इससे पहले पीड़िताओं ने कहा है कि मुस्लिम लड़के उन्हें रोजा रखने के बारे में बताते थे और नमाज की ट्रेनिंग देते थे। वह कलमा भी पढ़ने को बताते थे। बच्चियों ने कैमरे के सामने और भी कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

एक पीड़िता ने मुस्लिम लड़के के विषय में बताया, “फ्रेंड के जरिए मुझे जाल में फँसाया था। उस फ्रेंड को धमकी देता था। मैं जब फंस गई तो मुझे भी दूसरी लड़कियों से बात करवाने की धमकी देने लगे। मेरा को एक छोटा सा फोन दिया था… मुझे मिलने के लिए धमकाता था। मुझे 5 सकेंड के लिए मिलने के लिए बुलाया, फिर मुझे कैफे में ले गया। वहाँ गलत काम किया। मेरी फोटो ली थी, इसके बहाने धमकी देता था। घरवालों को भी मारने के लिए धमकी देता था। मेरे साथ मारपीट भी की थी। टेडी बियर-चॉकलेट लाता था।”

पीड़िता ने आगे बताया, “मुझसे काफी पैसे भी लिए है। मैं ₹10 हजार लगभग उसे दे चुकी हूँ। मेरे घरवालों ने फोन पर बात करते हुए पकड़ लिया था। उसने मना करने के बाद भी अश्लील हरकतें की। घरवालों को मारने की धमकी देता था, इसलिए मैंने नहीं बताया किसी को घर पर। सिगरेट वगैरह पीने को कहता था। कलमा पढ़ने, रोजे करने और बुरका पहनने को कहता था। जींस टॉप पहनने पर भी धमकी देता था। कहता था पत्थर को भगवान मानते हो… हमारे समाज में आ जाओ। मेरे साथ मारपीट की और चीरे भी लगाए।”

दूसरी पीड़िता ने बताया, “उस लड़के का नाम करीम है, पहले वह स्कूल की तरफ आता था। उसके दोस्त सोहेल मंसूरी, रेहान मंसूरी और सोहेफ़ वगैरह। उन्होंने पहले से जिन लड़कियों को फंसाया था, उन्हीं के माध्यम से मुझे फँसाया। उसने मुझे नमाज पढ़ने और बुर्का के लिए बोला था। शुक्रवार की पाँच नमाज बताई थी। शॉर्ट कपड़े नहीं पहनने यह कहा था। कभी कभार मिलने और बाकी लड़कियों को सम्पर्क करने के लिए कहता था। परिवार को खतरे की बात कहता था।”

पीड़िताओं के बयान पुलिस भी दर्ज करवा चुकी है। मामले में रिहान मोहम्मद (20 वर्ष), सोहेल अंसारी (19 वर्ष), लुकमान (20 वर्ष), अरमान पठान (19 वर्ष), साहिल कुरैशी (19 वर्ष) को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। कोर्ट ने उन्हें 4 दिन की रिमांड में भेजा है। पुलिस इस मामले में अब सबूत जुटाने में लगी हुई है। पुलिस ने उनकी गाड़ियाँ जब्त कर ली हैं और साथ ही एक और आरोपित नदीम कुरैशी से पूछताछ कर रही है। पुलिस ने इस मामले में फॉरेंसिक सबूत भी जुटाए हैं। वहीं आरोपितों के घरवाले हिन्दू पीड़िताओं को ही दोषी ठहरा रहे हैं।

गौरतलब है कि यह सभी मुस्लिम लड़के नाबालिग हिन्दू बच्चियों को पहले फँसाते थे और फिर उनकी अश्लील फोटो वीडियो खींच कर ब्लैकमेल करते थे। उन लड़कियों से दूसरी बच्चियों से सम्पर्क करवाने को कहा जाता था। ऐसा ना करने पर फोटो वीडियो वायरल करने की धमकी दी जाती थी। इसने पैसे वसूले गए और इनको धमकियाँ दी गई। धर्मांतरण का भी खुलासा हुआ है। अब इस मामले में पुलिस कार्रवाई कर रही है। वहीं पुलिस ने कहा है कि इस मामले में ‘लव जिहाद’ का एंगल नहीं है।

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