Saturday, July 27, 2024
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मुसलमान व्यापारी बैन,मुसलमान कर्मचारी बैन….50 से ज्यादा गांव में,3 जिलों के

50 सरपंचों के पत्र….
पत्रों में कहा गया है कि हम सभी दुकानों को अपने मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के लिए दो दिन का अल्टीमेटम दे रहे हैं, अन्यथा हम उनका बहिष्कार करेंगे.

बता दें कि 31 जुलाई को नूंह में झड़प और दक्षिण हरियाणा के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव फैल गया था. इसके बाद अब तीन जिलों की 50 पंचायतों ने एक फरमान जारी कर दिया है. ये पंचायतें हरियाणा के तीन जिलों की हैं. इनमें रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और झज्जर की 50 से ज्यादा पंचायतों ने पिछले कुछ दिनों में लेटर जारी किए हैं.

पंचायतों द्वारा जारी पत्रों में मुस्लिम व्यापारियों की एंट्री पर रोक लगाने की बात कही गई है. इन पत्रों पर सरपंचों के हस्ताक्षर हैं. इन पत्रों में यह भी कहा गया है कि गांवों में रहने वाले मुसलमानों को अपने आईडी कार्ड पुलिस के पास जमा करने होंगे. महेंद्रगढ़ के एसडीएम ने सभी पंचायतों को कारण बताओ नोटिस भेजने को कहा है.
हरियाणा के कई जिलों में पहुंची थी नूंह हिंसा की आंच

नूंह में दो समुदायों में हिंसक झड़प के बाद दक्षिणी हरियाणा के कई जिलों में इसकी आंच पहुंची थी. राजधानी दिल्ली से करीब डेढ़ घंटे की दूरी पर स्थित मेवात में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी. यहां दो समुदायों में टकराव के बाद हिंसा हुई थी, जिसके बाद कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती की गई थी.

दरअसल, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता भगवा यात्रा निकाल रहे थे. इसी दौरान यात्रा पर पथराव शुरू हो गया था. इसके बाद हिंदू पक्ष ने दूसरे समुदाय के लोगों पर भी पथराव कर दिया और हिंसा भड़क गई थी. हालांकि नूंह के मेवात में ही ये हिंसा नहीं रुकी, बल्कि यहां से 40 किलोमीटर दूर सोहना में भी ऐसी ही हिंसा देखी गई थी. आसपास के कई इलाकों में भी तनाव रहा था.
नूंह में 80 फीसदी आबादी मुस्लिम

नूंह को कभी मेवात के नाम से जाना जाता था, लेकिन साल 2016 में इसका नाम बदल दिया गया था. नूंह जिला लगभग 1900 वर्ग किलोमीटर के दायरे में है. गुरुग्राम (गुड़गांव) से सटे होने के बावजूद नूंह काफी पिछड़ा माना जाता है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 10.89 लाख है. इस आबादी में 80 फीसदी मुस्लिम हैं. 20 फीसदी आबादी हिंदू है.

नूंह कितना पिछड़ा इलाका है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां की साक्षरता दर 55 फीसदी भी नहीं है. पुरुष और महिलाओं की साक्षरता दर में दोगुना अंतर है. पुरुषों की साक्षरता दर जहां 70 फीसदी है, वहीं महिलाओं की 37 फीसदी भी नहीं है.

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