Monday, October 14, 2024
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इजरायल ने बताया देश से बड़ा कुछ नहीं,बाहर किया मीडिया हाउस और उसके पत्रकार

इजरायल और अल जज़ीरा समाचार नेटवर्क के बीच चल रहा विवाद एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। इज़रायली सैनिकों ने रामल्लाह स्थित अल जज़ीरा के कार्यालय पर छापा मारा और 45 दिनों के लिए इसे बंद करने का आदेश दिया। यह छापेमारी इज़रायल की अदालत के आदेश के तहत की गई, जिसमें कहा गया था कि अल जज़ीरा की रिपोर्टिंग इज़रायल की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर रही है। यह कार्रवाई मई 2024 में इज़रायल द्वारा अल जज़ीरा के खिलाफ उठाए गए कड़े कदमों की कड़ी में एक और बड़ा कदम है, जब चैनल के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाया गया था।

सरकारी आदेश और विवाद का इतिहास

मई 2024 में इज़रायल ने अल जज़ीरा पर यह आरोप लगाते हुए उसके प्रसारण पर प्रतिबंध लगाया कि चैनल की रिपोर्टिंग इज़राइल के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को नुकसान पहुँचा रही है। इस आदेश के तहत, पूर्वी यरुशलम और नाज़रथ में स्थित अल जज़ीरा के कार्यालयों पर छापेमारी की गई और प्रसारण उपकरण जब्त कर लिए गए। इसके साथ ही, इज़रायल में चैनल के प्रसारण और वेबसाइट को भी ब्लॉक कर दिया गया। इज़रायल ने यह आरोप लगाया कि अल जज़ीरा की रिपोर्टिंग, खासतौर पर उसके अरबी भाषा के चैनल पर, हमास और अन्य कट्टरपंथी समूहों के विचारों को मंच प्रदान कर रही है, जो इज़रायल के खिलाफ हिंसा भड़काने का काम कर रही है।

इज़रायली सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, “अल जज़ीरा की रिपोर्टिंग से इज़रायली सैनिकों और नागरिकों की सुरक्षा को खतरा है। चैनल बार-बार उन संगठनों के संदेश प्रसारित कर रहा है, जो हिंसा फैलाने और इज़रायल के खिलाफ जिहाद का आह्वान कर रहे हैं। हमारे लिए यह अस्वीकार्य है, और इसलिए हमने कड़े कदम उठाए हैं।”

अलजजीरा के रामल्लाह कार्यालय पर छापा

22 सितंबर 2024 को इज़रायली सैनिकों ने अल जज़ीरा के रामल्लाह कार्यालय पर छापा मारा और तत्काल प्रभाव से इसे बंद करने का आदेश दिया। यह आदेश 45 दिनों के लिए है। चैनल के स्थानीय ब्यूरो प्रमुख वलीद अल-ओमारी ने इस छापेमारी की लाइव रिपोर्टिंग की, जिसमें सैनिकों ने कर्मचारियों को कार्यालय खाली करने का आदेश दिया। छापे के दौरान कई दस्तावेज़ और प्रसारण उपकरण जब्त किए गए। कार्यालय की बालकनी पर लगे बैनर को भी हटाया गया, जिसमें शिरीन अबू अकलेह की तस्वीर थी। शिरीन, एक फिलिस्तीनी-अमेरिकी पत्रकार थीं, जिन्हें मई 2022 में इज़रायली सैनिकों ने मार दिया था।

एक इज़रायली सैनिक ने लाइव प्रसारण के दौरान कहा, “अल जज़ीरा कार्यालय को 45 दिनों के लिए बंद करने का आदेश है। मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप सभी उपकरणों को हटाएँ और कार्यालय को तुरंत खाली कर दें,”

अल जज़ीरा की प्रतिक्रिया

अल जज़ीरा ने इज़रायल की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। चैनल ने बयान जारी करते हुए कहा कि वह निष्पक्ष और स्वतंत्र रिपोर्टिंग कर रहा है और इस तरह की कार्रवाई प्रेस स्वतंत्रता पर गंभीर हमला है। अल जज़ीरा ने अपने बयान में कहा, “इज़रायल का यह कदम स्वतंत्र पत्रकारिता के अधिकारों का उल्लंघन है। हम अपने कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, और हम इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष उठाएँगे।”

अल जज़ीरा के एक प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा, “हमारी रिपोर्टिंग निष्पक्ष और सत्यापित जानकारी पर आधारित है। इज़रायल की यह कार्रवाई स्वतंत्र पत्रकारिता के खिलाफ सीधी चुनौती है, और हम इस पर चुप नहीं बैठेंगे।” इज़रायल और अल जज़ीरा के बीच यह विवाद कई वर्षों से चल रहा है। इज़राइल का आरोप है कि चैनल की रिपोर्टिंग से उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।

इज़रायल द्वारा अल जज़ीरा के खिलाफ उठाए गए कदमों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मीडिया संगठन इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या इज़रायल अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा, ये देखना अभी बाकी है। फिलहाल, अल जज़ीरा ने स्पष्ट किया है कि वह इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएगा और अपने रिपोर्टरों की सुरक्षा के लिए कानूनी कदम उठाएगा।

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