Friday, November 7, 2025
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पहले मज़ाक उड़ाने कोशिश की मोदी की,बाद में लाइन से माफी मांगी,जाहिल नेताओ ने

छपने की जल्दी में नेता भूल गए कि सत्याग्रह के लिए उस स्थान पर होना आवश्यक नही
दुनिया के किसी भी स्थान से किसी के लिए समर्थन दिया जा सकता है…..

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के बांग्लादेश दौरे पर हैं। शुक्रवार (मार्च 26, 2021) को उन्होंने बांग्लादेश के नेशनल डे के कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कुछ ऐसा कहा, जिसके बाद उनके आलोचक उस तथ्य को झूठ मानकर उन्हें ट्रोल करने लगे। लेकिन शायद उन्हें उस सत्याग्रह के बारे में जानकारी ही नहीं थी, जिसका पीएम मोदी जिक्र कर रहे थे। आईए जानते हैं क्या है पूरा मामला?

क्या कहा पीएम मोदी ने?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व और 1971 की बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में भारतीय सेना के योगदान की सराहना की। प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हमीद और प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ देश की स्वतंत्रता की 50 वीं वर्षगाँठ पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम ने बताया कि उन्होंने भी बांग्लादेश की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था।
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी, जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था। बांग्लादेश की आजादी के समर्थन में तब मैंने गिरफ्तारी भी दी थी और जेल जाने का अवसर भी आया था। यानी बांग्लादेश की आजादी के लिए जितनी तड़प इधर थी, उतनी ही तड़प उधर भी थी।”

भारतीय सेना के पराक्रम को किया याद

नेशनल परेड स्क्वायर पर बांग्लादेश की आजादी की स्वर्ण जयंती पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने उसकी आजादी की लड़ाई में भारतीय सेना की भूमिका को याद किया और कहा कि बांग्लादेश में अपनी आजादी के लिए लड़ने वालों और भारतीय जवानों का रक्त साथ-साथ बहा था और रक्त ऐसे संबंधों का निर्माण करेगा, जो किसी भी दबाव से टूटेगा नहीं।

(अटल जी को सम्मानित किया गया था)

ट्रोल करने में जुटे आलोचक

वहीं, पीएम मोदी के इस तथ्य के बाद उनके आलोचक उन्हें ट्रोल करने की कोशिश में जुट गए। एनडीटीवी के ‘पत्रकार’ रवीश कुमार ने इस पर व्यंग्य लिख कर पीएम मोदी पर निशाना साधने की कोशिश की तो वहीं प्रधानमंत्री की टिप्पणी का हवाला देते हुए कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय ज्ञान: हमारे प्रधानमंत्री बांग्लादेश को भारतीय ‘फर्जी खबर’ का स्वाद चखा रहे हैं। हर कोई जानता है कि बांग्लादेश को किसने आजाद कराया।’’ कॉन्ग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी निशाना साधते हुए इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘संपूर्ण राजनीतिक विज्ञान’ करार दिया।

दोबारा गलती की फिर माफी मांगी कांग्रेस नेताओं ने

‘जल्‍दी का काम शैतान का’ होता है। कांग्रेस नेता शशि थरूर को यह बात शनिवार को समझ आ गई। दरअसल उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्‍लादेश दौरे पर दिए एक संबोधन पर टिप्‍पणी की थी। थरूर को लगा कि मोदी ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के योगदान का जिक्र नहीं किया है। उन्‍होंने शुक्रवार शाम ट्वीट क‍िया कि ‘सब जानते हैं कि बांग्‍लादेश को किसने आजाद कराया।’

अगले दिन थरूर को एक न्‍यूज रिपोर्ट से पता चला कि मोदी ने तो इंदिरा का नाम लिया था। शनिवार सुबह उन्‍होंने अपनी गलती मानते हुए ‘सॉरी’ लिखा और कहा कि ‘जब मैं गलत होता हूं तो स्‍वीकर करने में कोई समस्‍या नहीं होती।’

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मोदी पर खूब बरसे थे कांग्रेसी नेता…
थरूर के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश समेत कई नेताओं ने यह कहा था कि मोदी ने इंदिरा गांधी को नजरअंदाज कर दिया। रमेश ने लिखा, “दुखद है कि हमारे प्रधानमंत्री इसे स्‍वीकार नहीं करेंगे लेकिन 1971 के ऐतिहासिक घटनाक्रम में इंदिरा गांधी का महत्‍वपूर्ण योगदान था, उनके साथ पीएन हसकर भी थे। मैंने इसे जबर्दस्‍त जुगलबंदी के बारे में लिखा है जिसका भारत और पूरे उपमहाद्वीप पर इतना असर हुआ।”

पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत ने लिखा, “आज पीएम मोदी बांग्‍लादेश की स्‍वतंत्रता के 50 वर्ष का समारोह मनाने गए! क्‍या उन्‍होंने कभी हमारी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और मेरे पिता स्‍वर्गीय श्री प्रणब मुखर्जी की भूमिका को स्‍वीकार किया? शायद इसलिए नहीं क्‍योंकि उनका अपना राजनीतिक एजेंडा है जिसे पूरा करने के लिए वह बेचैन हैं।”

 

 

सच क्‍या था? मोदी ने लिया था इंदिरा का नाम

बांग्‍लादेश के स्‍वाधीनता संग्राम को भारत के कोने-कोने से, हर पार्टी से, समाज के हर वर्ग से समर्थन प्राप्‍त था। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी के प्रयास और उनकी महत्‍वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है। उसी दौर में 6 दिसंबर 1971 को अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था कि हम न केवल मुक्ति संग्राम में अपने जीवन की आहूति देने वालों के साथ लड़ रहे हैं, हम इतिहास को भी एक नई दिशा देने के लिए प्रयत्न कर रहे हैं।
पीएम मोदी, बांग्‍लादेश में

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में इंदिरा गांधी का नाम लिया था। जब थरूर को इस बात की जानकारी हुई तो उन्‍होंने माफी मांग ली और कहा क‍ि केवल हेडलाइन्‍स पढ़कर उन्‍होंने ट्वीट कर दिया था।

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