राजस्थान के जालोर में पानी की मटकी छू लेने पर शिक्षक की पिटाई से दलित छात्र इंद्रसिंह मेघवाल की मौत के मामले में नया मोड़ आया है। दावा किया जा रहा है कि जालोर जिले के सायला इलाके के गांव सुराणा स्थित सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में मटकी रखी हुई ही नहीं थी। शिक्षक छैल सिंह द्वारा तीसरी कक्षा के स्टूडेंट इंद्रसिंह मेघवाल को पीटने की वजह छूआछूत नहीं बल्कि कुछ और थी। हालांकि वास्तविकता क्या है? यह मामले की जांच में ही सामने आ सकेगी।
दलित छात्र इंद्रसिंह मेघवाल की मौत केस जालोर राजस्थान
दरअसल, टीवी चैनल आज तक की टीम उस स्कूल सरस्वती विद्या मंदिर पहुंची जहां घटना छात्र की पिटाई हुई थी। मीडिया से बातचीत में स्कूल स्टाफ, कुछ ग्रामीण और मृतक
स्टूडेंट के साथी छात्रों ने दावा किया है कि स्कूल में पानी पीने के लिए मटकी रखी हुई ही नहीं थी। ऐसे में मटकी को छू लेने की वजह से दलित स्टूडेंट इंद्रसिंह मेघवाल की पिटाई होने का सवाल ही नहीं। इन सबने ये भी बताया कि स्कूल में मटकी नहीं बल्कि छोटी टंकी बनी हुई है। सभी उसी में पानी पीते हैं।
स्कूल में कभी नहीं देखा मटका-ग्रामीण आईदान
मीडिया से बातचीत में ग्रामीण आईदान दावा करते हैं कि स्कूल स्टाफ, बच्चे व गांव की 36 कौम के लोगों ने स्कूल में पेयजल के लिए कभी मटके का इस्तेमाल होते नहीं देखा। सभी यहां टंकी से पानी पीते हैं। बेवजह घटना को तूल दिया जा रहा है। ये भी संभव है कि शिक्षक को फंसाने की कोई साजिश हो। पूरे ग्रामीण चाहते हैं कि मामले की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।
बच्चे के कई माह पहले से थी बीमारी-ग्रामीण पीरूसिंह
ग्रामीण पीरूसिंह भी आईदान के दावे से इत्तेफाक रखते हैं। ये कहते हैं कि इस स्कूल में मटकी नहीं है। यहां पर पेयजल के लिए टंकी बनी हुई। शिक्षक ने भी ग्रामीणों से बातचीत में यह माना था कि इंद्रसिंह मेघवाल व एक दूसरा बच्चा आपस में झगड़ रहे थे। तब उसके चांटा मारा था सिर्फ। वहीं, बच्चे के दो-चार माह पहले से ही बीमारी थी। मामले की जांच की जा रही है। वास्तविकता उसमें सामने आ जाएगी।
स्कूल में 300 बच्चे नामांकित
सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल के संस्था प्रधान छैल सिंह की इंद्रसिंह मेघवाल की मौत के मामले में गिरफ्तारी होने के बाद अशोक कुमार स्कूल का संचालन कर रहे हैं। अशोक कहते हैं कि मारपीट के मामले की उन्हें पूरी जानकारी नहीं है। मगर शिक्षक
छैलसिंह व स्कूल के बच्चों ने एसपी के सामने में बताया है कि बच्चे आपस में झगड़ रहे थे। इसलिए छैलसिंह ने इंद्रसिंह के चांटा मारा था। इसमें हकीकत क्या ? स्टूडेंट और शिक्षक छैलसिंह ही जाने। बात पानी की है तो इसके लिए यहां मटकी बजाय टंकी बनी हुई है। मटकी वाली बात कहां से आई पता नहीं। अशोक कुमार के अनुसार स्कूल में 300 बच्चे नामांकित हैं। आठ शिक्षक हैं, जिनमें से पांच तो दलित समुदाय से ही हैं।
चित्रकला की बात को लेकर हुआ झगड़ा- छात्र राजेश
इसी स्कूल के एक बच्चे राजेश ने बताया कि उस दिन इंद्रसिंह मेघवाल के साथ उसका चित्रकला की बात को लेकर झगड़ा हो गया। तब शिक्षक छैलसिंह ने दोनों के कान के नीचे एक एक थप्पड़ लगाई थी। उस दिन के बाद से इंद्रसिंह कभी स्कूल नहीं आया। उसकी मौत हो गई ये भी नहीं पता। रही बात पीने के पानी की तो पूरा स्कूल टंकी से पानी पीता है ना की मटकी से। इसी स्कूल की छात्रा गूंजारानी भी कहती है कि सारे बच्चे टंकी से पानी पीते हैं। मटकी स्कूल में है ही नहीं। इसी स्कूल के शिक्षक अजमाल कहते हैं कि मैं उस दिन स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहा था। बच्चों के बीच लड़ाई हुई या नहीं। शिक्षक छैल सिंह ने बच्चों को पीटा या नहीं। इस बारे में जानकारी नहीं है। दो माह से कार्यरत अजमाल भी दावा करते हैं कि उन्होंने स्कूल में कभी पानी का मटका देखा ही नहीं। इसी टंकी से बच्चे व स्टाफ पानी पीते हैं।
इंद्रसिंह पहले ही कान में रूई लगाकर आता था-शिक्षक
मावाराम भील कहते हैं कि वे स्कूल में ही रहते हैं। खाना भी बनाते हैं, मगर कभी यहां मटका नहीं देखा। उस घटना के समय मैं कक्षा में था। बच्चों से बातचीत में पता चला कि इंद्रसिंह पहले ही कान में रूई लगाकर आता था। उसकी दूसरी स्टूडेंट के साथ मामूली कहासुनी हुई थी। उसी बात को लेकर छैल सिंह सर ने दोनों के एक एक थप्पड़ मारी होगी। यहां पुलिस भी आई थी। उनको भी बच्चों व स्टाफ ने बयान दिए हैं। एक अन्य स्टूडेंट ईश्वर कहता है कि वह पांचवीं से इस स्कूल में पढ़ रहा है। मटका स्कूल में नहीं है। सभी टंकी से पानी पीते हैं।
जालौर में दलित छात्र क्या मामला?
इधर, खबरों में यह दावा किया जा रहा है कि जालौर के सायला थाना इलाके के गांव सुराणा में सरस्वती विद्या मंदिर में बच्चों के पानी पीने के लिए रखी गई मटकी को 20 जुलाई 2022 को तीसरी कक्षा के नौ वर्षीय स्टूडेंट इंद्र मेघवाल ने छू लिया था। इस पर शिक्षक छैल सिंह ने इंद्र मेघवाल की इस कदर पिटाई की कि उसके कान की नस फट गई। उसे उपचार के लिए अहमदाबाद के अस्पताल में ले जाया गया, जहां उपचार के दौरान बीते शनिवार को इंद्र मेघवाल ने दम तोड़ दिया।