Friday, October 4, 2024
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3 जज हुए सेवा से बर्खास्त,नेपाल के होटल में रंगरेलियां मनाते धराये थे,कपड़े भी नदारद थे

नेपाल में साल 2013 की 26 जनवरी को कॉलगर्ल्स के साथ आपत्तिजनक हालत में मिले तीन लॉअर कोर्ट के जजों की बर्खास्तगी पर बिहार सरकार ने मुहर लगा दी है. इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिसूचना जारी की है. 8 नवंबर साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों की बर्खास्तगी का फैसला राज्य सरकार पर छोड़ दिया था. सेवा से बर्खास्त तीनों जज बकाया और अन्य लाभों से भी वंचित रहेंगे.
गौरतलब है कि बिहार में निचली अदालत के इन तीन न्यायधीशों में समस्तीपुर फैमिली कोर्ट के तत्कालीन प्रधान न्यायधीश हरिनिवास गुप्ता, अररिया के तत्कालीन अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश जितेंद्र नाथ सिंह और अररिया के तत्कालीन अवर न्यायधीश सह मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कोमल राम शामिल हैं. 12 फरवरी 2014 से ही इन तीनों की बर्खास्तगी प्रभावी रहेगी.

बर्खास्त हुए तीनों न्यायिक अधिकारी नेपाल के एक होटल में पुलिस रेड के दौरान पकड़े गए थे. पुलिस को तीनों एक होटल में महिलाओं के साथ आपत्तिजनक हालात में मिले थे. हालांकि, बाद में नेपाल में पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया था. नेपाल के एक स्थानीय अखबार में खबर छपने के बाद मामला उजागर हुआ था. इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने पटना हाईकोर्ट के तत्कालीन महानिबंधक को पत्र लिखा था.
लड़की अपनी बातों से फंसाती थी फिर उसके साथी खातों को ट्रैक कर लगाते थे सेंध
पटना हाईकोर्ट ने मामले में गौर करते हुए एक जिला जज को जांच सौंपी थी जिनकी रिपोर्ट में बताया गया कि उस समय तीनों न्यायधिकारी नेपाल नहीं भारत में थे. साथ ही रिपोर्ट में बताया कि जिस नेपाली अखबार में यह खबर छपी थी उसने खुद माना है कि खबर गलत थी और एक महीने बाद माफीनामा भी छापा.

हालांकि, पटना हाईकोर्ट इस रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुआ और सच पता लगाने के लिए गृह मंत्रालय से सहायता की मांग की. गृह मंत्रालय ने मामले में जांच शुरू की और पाया कि तीनों जजों के मोबाइल फोन साल 2013 की 26 और 27 जनवरी को लगातार बंद रहे और जब वे खुले तो उनकी लोकेशन नेपाल के पास की ट्रेस की गई.

गृह मंत्रालय की खोजबीन के बाद पटना हाईकोर्ट में एक प्रस्ताव पास किया गया जिसके तहत बिहार सरकार तीनों जजों को बिना किसी न्यायिक जांच के बर्खास्त कर सकती है. कोर्ट के फैसले के खिलाफ तीनों जज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और कहा कि उन्हें बिना किसी जांच के बर्खास्त नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने तीनों की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा.

तीन न्‍यायधीश नेपाल के एक होटल में महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़े गए थे। मामले की जांच के में दोषी पाए जाने के बाद उन्‍हें बर्खास्‍त कर दिया गया है। वे सभी सेवांत लाभ से वंचित रहेंगे। उनकी बर्खास्तगी 12 फरवरी 2014 से प्रभावी होगी।

बिहार में निचली अदालत (lower court) के तीन न्यायाधीशों (Justice) की बर्खास्तगी (dismissal)  पर मुहर लग गयी है। सामान्य प्रशासन विभाग (General Administration Department) ने इस आशय की अधिसूचना (Notification) जारी कर दी है। सेवा से बर्खास्त किए गए तीनों न्यायाधीश समस्त सेवांत बकाए व अन्य लाभों (reimbursement and other benefits) से वंचित रहेंगे।
ये तीन न्‍यायाधीश हुए बर्खास्‍त
जिन न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी की अधिसूचना जारी हुई है उनमें समस्तीपुर परिवार न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायधीश हरिनिवास गुप्ता, तदर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश (अररिया) जितेंद्र नाथ सिंह व अररिया के अवर न्यायाधीश सह मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कोमल राम शामिल हैं। इनकी बर्खास्तगी 12 फरवरी, 2014 से ही प्रभावी होगी।
हाई कोर्ट ने बर्खास्‍तगी की अनुशंसा बरकरार रखा

फरवरी 2014 में बर्खास्तगी के खिलाफ तीनों न्यायिक पदाधिकारियों ने उच्च न्यालय (Patna High Court)  में याचिका दाखिल की थी। मुख्य न्यायाधीश के निर्णय के तहत इस प्रकरण में 22 मई, 2015 को पांच न्यायाधीशों की एक कमेटी गठित  (comittee of five justice constituted) की गयी थी। तीन महीने बाद इस कमेटी ने अपना प्रतिवेदन (report)  दिया। इसके बाद पटना उच्च न्यायालय के महानिबंधक ने सितंबर, 2020 में इनकी बर्खास्तगी की अनुशंसा (recommendation)  को बरकरार रखा।

पुलिस छापेमारी में महिलाओं के साथ मिले थे
जिन तीन न्यायिक अधिकारियों को बर्खास्त किया गया, उन्हें पुलिस छापेमारी (Raid by Politc) में नेपाल (Nepal)  के एक होटल में महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति (compromising position)  में पाया गया था। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था। इस मामले में गृह मंत्रालय (Home Ministry) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पटना उच्च न्यायालय के तत्कालीन महानिबंधक को पत्र लिखा था।

 

नेपाल के एक होटल में मौत मस्ती करने के मामले में बर्खास्त जज हरिनिवास गुप्ता व अन्‍य दो जजों के कारनामे बहुत आसानी से लोगों के सामने नहीं आए। दरअसल, ये सभी नेपाल की पुलिस की छापेमारी में लड़कियों के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ ल‍िए गए थे। लेक‍िन, जैसे ही पता चला क‍ि ये भारत से हैं और वहां जज हैं। इसके बाद उन्‍हें छोड़ भी द‍िया गया था। इस तरह से देखा जाए तो पूरे मामले पर पर्दा डाल ही द‍िया गया था। लेक‍िन, वहां के स्‍थानीय अखबार के क‍िसी संवाददाता को इसकी भनक लग गई। इसके बाद जैसे ही यह खबर वहां प्रकाश‍ित हुई, पूरी घटना इंटरनेट मीड‍िया पर आ गई।

नेपाली अखबार ने पूरे मामले से उठाया था पर्दा

वर्ष 2013 के गणतंत्र दिवस के झंडोत्तोलन के बाद समस्तीपुर के परिवार न्यायालय के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश हरि निवास गुप्ता, तदर्थ अपर जिला एवं सत्र के तत्कालीन न्यायाधीश,अररिया जितेंद्र नाथ सिंह व तत्कालीन अवर न्यायाधीश सह मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, अररिया कोमल राम नेपाल के विराटनगर चले गए। वहां बस स्टैंड के निकट मेट्रो गेस्ट हाउस में मौज मस्ती करने लगे। नेपाली पुलिस की छापेमारी में लड़कियों के साथ आपत्तिजनक स्थिति में तीनों पकड़े गए थे। न्यायिक अधिकारी होने के कारण नेपाली पुलिस ने तीनों को छोड़ दिया था। नेपाल के एक अखबार ने इसका भंडाफोड़़ करते हुए खबर प्रकाशित की। इसके बाद यह मामला गरमाया। हाईकोर्ट ने पूर्णिया के तत्कालीन जिला जज संजय कुमार से मामले की जांच कराई। जांच रिपाेर्ट में मामला सत्य पाए जाने के बाद हाईकोर्ट की स्टैंडिंग कमेटी ने तीनों को बर्खास्त करने की सिफारिश की थी। हाईकोर्ट की सिफारिश के आधार पर राज्य सरकार की कैबिनेट ने तीनों की बर्खास्तगी पर मुहर लगा दी। बाद में हाईकोर्ट की भी इसको स्‍वीकृत‍ि म‍िल गई है।

गेट भी कई दिनों तक नहीं खुला था
हरि निवास गुप्ता का मुजफ्फरपुर से भी नाता रहा है। समस्तीपुर के परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पद पर स्थानांतरित होने से पहले वे मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट में इसी पद पर थे। मुजफ्फरपुर शहर में उनका स्थाई आवास भी है। मामला सामने आने पर तब मुजफ्फरपुर के न्यायिक महकमें में भी हड़कंप मचा था। उनके निजी आवास का गेट भी कई दिनों तक नहीं खुला था।

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