अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल को अगवा कर उनकी हत्या के मामले में अलकायदा नेता अहमद उमर सईद शेख और उसके तीन सहायक अदालत द्वारा दिए गए रिहाई के आदेश के बाद शनिवार को जेल से बाहर आएंगे। पुलिस और अभियुक्तों के वकील ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पाकिस्तान की एक अदालत ने मामले में दोषी ठहराए गए शेख और उसके तीन सहयोगियों – फहद नसीम, सलमान साकिब एवं शेख आदिल – को बृहस्पतिवार को रिहा करने का आदेश दिया था।
पाकिस्तानी अदालत ने दोषियों की हिरासत को अवैध करार दिया
सिंध उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति के के आगा की दो सदस्यीय पीठ ने सुरक्षा एजेंसियों को शेख और अन्य आरोपियों को किसी भी तरह हिरासत में नहीं रखने का निर्देश दिया और उनकी हिरासत से संबंधित सिंध सरकार की सभी अधिसूचना को अमान्य करार दिया। अदालत ने उन सबकी हिरासत को ‘‘अवैध” करार दिया था। जेल अधीक्षक के मुताबिक चारों को बृहस्पतिवार को कराची केंद्रीय जेल से रिहा नहीं किया जा सका क्योंकि जेल प्रशासन को सिंध उच्च न्यायालय का आदेश बहुत देर से मिला। अभियुक्तों के वकील ने कहा कि शुक्रवार को सार्वजनिक अवकाश होने के कारण चारों को अब शनिवार को रिहा किया जाएगा।
अमेरिका ने पाकिस्तानी अदालत के फैसले जताई चिंता
इस बीच अमेरिका ने पर्ल हत्या में अभियुक्तों को रिहा करने के एक पाकिस्तानी अदालत के फैसले पर शुक्रवार को “गहरी चिंता” जताई। अमेरिकी विदेश विभाग ने एक ट्वीट में कहा, “हम डेनियल पर्ल की हत्या के लिए जिम्मेदार कई आतंकवादियों को रिहा करने के सिंध उच्च न्यायालय के 24 दिसंबर के आदेश की खबरों से चिंतित हैं। हमें आश्वासन दिया गया है कि अभियुक्तों को इस समय रिहा नहीं किया गया है।” उसने कहा कि अमेरिका इस मामले में किसी भी घटनाक्रम की निगरानी करता रहेगा और “साहसी पत्रकार” के रूप में पर्ल की विरासत का सम्मान करते हुए उनके परिवार को समर्थन जारी रखेगा।
अमेरिका पर्ल के लिए न्याय की मांग को लेकर पाकिस्तान पर दबाव देता रहा है। इस बीच, पर्ल के अभिभावकों- रूथ और जूडी पर्ल- ने सिंध उच्च न्यायालय के फैसले की निंदा की। समाचार पत्र एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, उन्होंने भरोसा जताया कि पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय से उनके बेटे को न्याय मिलेगा तथा प्रेस की स्वतंत्रता की सर्वोच्चता बहाल होगी। ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ के दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख पर्ल (38) को 2002 में अगवा कर लिया गया था और उनकी हत्या कर दी गई थी। यह घटना उस वक्त हुई थी जब वह पाकिस्तान में खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन अलकायदा के बीच जुड़ाव पर खबरों के लिए काम कर रहे थे।
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