Monday, October 14, 2024
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ममता बनर्जी ने खो दिया सबसे मजबूत सिपाही,2011 में सत्ता में बैठाने वाला,65 सीट पर भारी परिवार

शुभेंदु अधिकारी नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हुए आंदोलन का चेहरा थे और इसी आंदोलन के बूते 2011 में ममता बनर्जी सत्ता में आई थीं.
पश्चिम बंगाल (West Bengal) में विधानसभा चुनाव 2021 में होने वाले हैं लेकिन इससे पहले ही बंगाल की राजनीति में उथल-पुथल दिखाई दे रहा है. इस बीच प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को तगड़ा झटका लगा है. TMC के बागी नेता शुभेंदु अधिकारी (Subhendu Adhikari) ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है.
बता दें कि अधिकारी पिछले कुछ समय से ममता सरकार से खफा चल रहे हैं. वो परिवहन मंत्री के पद से पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. अब उन्होंने विधानसभा की सदस्यता भी छोड़ दी है. शुभेंदु अधिकारी का अगला कदम क्या होगा यह कहना मुश्किल है, लेकिन उनके एक्शन और केंद्र सरकार द्वारा उनको मिल रहे समर्थन से ऐसा लगने लगा है कि शुभेंदु भाजपा का दामन जल्द ही पकड़ेंगे. कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के बंगाल दौरे के दौरान शुभेंदु अधिकारी BJP ज्वाइन कर सकते हैं. अमित शाह 19 दिसंबर को दो दिवसीय दोरे पर बंगाल जा रहे हैं.
बता दें कि शुभेंदु TMC और ममता बनर्जी से अपनी नाराजगी को साफ जाहिर कर चुके हैं. कई मौकों पर उन्होंने इसकी खुलकर आलोचना भी की है. शुभेंदु अधिकारी ने हाल ही में मेदिनीपुर की रैली में कहा था कि कुछ दिनों में उनके ऊपर कुल 11 बार हमले किए जा चुके हैं. जिसके बाद केंद्र सरकार ने उनकी सुरक्षा को बढ़ाते हुए उन्हें Z श्रेणी की सुरक्षा दे दी.

मेदिनीपुर की रैली में शुभेंदु ने कहा था कि अपने आलोचकों से मैं कहना चाहूंगा कि मेरे साथ जनता खड़ी है, यही मेरा परिवार है. उन्होंने कहा कि मैं जनता के साथ हमेशा खड़े रहूंगा. उन्होंने कहा कि मेरे परिवार में पूरा बंगाल आता है केवल 5-7 लोग नहीं. शुभेंदु ने कहा कि उनके ऊपर हो रहे हमलों से वे डरने वाले नहीं हैं.
कभी नंदीग्राम में ममता बनर्जी के लिए सिपाही की भूमिका निभाने वाले शुभेंदु अधिकारी आखिर अब बागी क्यों हो गए हैं? ऐसा क्या हो गया है कि वो लगातार पार्टी बीते कुछ समय से पार्टी के खिलाफ अप्रत्यक्ष तौर पर आवाज बुलंद कर रहे हैं? क्यों टीएमसी उन्हें मनाने में जुटी है? ऐसे कई सवाल हैं जो न सिर्फ बंगाल, बल्कि देश की राजनीतिक गलियारों में भी तैर ही हैं। दरअसल, शुभेंदु बंगाल में काफी ताकतवर राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनका प्रभाव न सिर्फ उनके क्षेत्र पर है, बल्कि पूर्वी मिदनापुर के अलावा आस-पास के जिलों में भी उनका राजनीतिक दबदबा है।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी के भतीजे और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी से नाराज चल रहे हैं। इसके अलावा, जिस तरह से प्रशांत किशोर ने बंगाल में संगठनात्मक बदलाव किया है, उससे भी वह नाखुश हैं। साथ ही शुभेंदु अधिकारी चाहते थे कि पार्टी कई जिलों की 65 विधानसभा सीटों पर उनकी पसंद के उम्मीदवारों को मैदान में उतारे। पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने बुरे प्रदर्शन ने टीएमसी को एक तरह से झटका दिया और विधानसभा चुनाव के लिए चेताया। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ हाथ मिलाया। बताया जाता है कि ममता बनर्जी ने भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी के कहने पर ही प्रशांत किशोर के साथ हाथ मिलाया

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