मध्य प्रदेश में एक और व्यापम घोटाला? टॉपर्स के बराबर नंबर, गलतियों में भी अंतर नहीं
मध्य प्रदेश में कृषि विभाग अधिकारी के लिए हुई परीक्षा में टॉप 10 स्थानों पर कब्जा जमाने वाले उम्मीदवारों को सामान्य ज्ञान की परीक्षा में ना केवल बराबर नंबर मिले हैं, बल्कि सबकी गलतियां भी एक जैसी हैं। मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) की ओर से 10 और 11 फरवरी को आयोजित प्रवेश परीक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं और आशंका जताई जा रही है कि यहां एक और व्यापम घोटाला हुआ है।
‘संयोग’ यहीं खत्म नहीं होते, व्यापम की ओर से दी गई सूचना के मुताबिक, इनकी जाति, कॉलेज और अकादमिक प्रदर्शन भी लगभग एक जैसे हैं। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन स्टूडेंट्स के बदले किसी और ने परीक्षा दी या अन्य तरीके से धांधली हुई है। 862 पदों पर हुई परीक्षा की आंसर शीट 17 फरवरी को जारी की गई है। साथ ही संभावित चयनित उम्मीदवारों की सूची भी जारी की गई है। इसके बाद परीक्षा की प्रमाणिकता पर संदेह उत्पन्न हुआ है।
परीक्षा में शामिल हुए बहुत से स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया है कि यह राज्य में एक और भर्ती परीक्षा घोटाला हुआ है। यह 2013-14 में मेडिकल कॉलेज के लिए प्रवेश परीक्षा में धांधली के लिए कुख्यात है, जिसे व्यापम घोटाले के नाम से जाना जाता है। यह भी पूछा जा रहा है कि एक ही क्षेत्र और जाति के सभी कैंडिडेट कैसे सर्वोच्च अंक ला सकते हैं, जिनकी अकादमिक पृष्ठभूमि अच्छी नहीं है। बता दें, इस भर्ती में इंटरव्यू का कोई प्रावधान नहीं है।
इंदौर से एक परीक्षार्थी रंजीत रघुनाथ ने कहा, ”यह तो घोटाले का छोटा हिस्सा है। सर्वोच्च 10 स्थानों पर रहे स्टूडेंट चंबल डिवीजन से हैं और इनमें से 9 एक ही जाति के हैं। इन्होंने बीएससी (कृषि विज्ञान) राजकीय कृषि कॉलेज ग्वालियर से की है। लगभग सभी स्टूडेंट्स ने चार साल की डिग्री को पांच या अधिक सालों में पूरा किया।”
स्टूडेंट ने आरोप लगाया, ”उन्होंने अपने कॉलेज के कुछ पूर्व छात्रों को बताया था कि वे 100 फीसदी चयनित होने वाले हैं और उन्होंने परीक्षा से पहले ही यह बात कह दी ती। या तो उनके पास प्रश्नपत्र था या उनके लिए कुछ व्यापम घोटाले जैसा प्रबंध था।” रघुनाथ ने कहा, ”उन्हें 200 में से 195 और 194 अंक मिले हैं जोकि परीक्षा के इतिहास में सर्वाधिक है।”
सतना के एक और परीक्षार्थी सचित आनंद ने कहा, ”कैंडिडेट्स को सामान्य ज्ञान की परीक्षा में फुल मार्क्स मिले, लेकिन शक उस समय बढ़ गया जब व्यापम ने आंसर शीट जारी की और तीन सवालों के गलत जवाब दिए। दिलचस्प यह है कि टॉप स्कोरर परीक्षार्थियों ने भी उन्हीं तीनों सवालों के गलत जवाब दिए हैं। हम नहीं जानते कि यह संयोग है या साजिश, लेकिन यह कैसे संभव है कि उन्होंने समान गलत उत्तर दिए खासकर बेसिक सवाल का जो कक्षा 11 में पढ़ाया जाता है।”
आनंद ने कहा कि टॉप स्कोरर में से एक को गणित में फुल मार्क्स मिले है, लेकिन सांख्यिकी की परीक्षाम में कम से कम चार बार फेल हुआ था और 8 साल में उसकी डिग्री पूरी हुई। ग्वालियर कृषि कॉलेज के एक प्रोफेसर ने भी इन उम्मीदवारों के नंबर पर हैरानी जाहिर की। नाम गोपनीय रखने की शर्त पर उन्होंने कहा, ”हो सकता है कि रातों-रात उन्होंने ज्ञान अर्जन कर लें और क्वालिफाई हो जाएं, लेकिन यह विश्वास करना मुश्किल है कि उन्हें सर्वाधिक नंबर मिले हैं।” कैंडिडेट्स ने व्यापम पर एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी को परीक्षा के लिए चुनने पर भी सवाल उठाए हैं। स्टूडेंट्स का कहना है कि व्यापम ने ब्लैक लिस्टेड कंपनी NSEIT को परीक्षा के आयोजन के लिए चुना। यह वही कंपनी है जिसे यूपी में 2017 सब इंसपेक्टर के लिए हुई परीक्षा में पेपर लीक की वजह से ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था।
वहीं, NSEIT के स्टेट हेड कृष्णन द्विवेदी से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ”हमने परीक्षा आयोजित करते समय उचित विधि अपनाई। कैंडिडेट्स को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है, लेकिन केवल व्यापम ही परीक्षार्थियों की शंका को दूर करने के लिए अधिकृत है। हम उस पर कुछ भी नहीं कह सकते हैं।” कैंडिडेट्स ने कृषि मंत्री कमल पटेल से भी मुलाकात की है और उन्होंने मामले की जांच का आश्वासन दिया है। पटेल ने कहा, ”यह एक संयोग हो सकता है, लेकिन हम मामले की जांच करेंगे।”
व्यापम डायरेक्टर शानमुगा प्रिय मिश्रा ने कहा, ”वे आरोप लगा रहे हैं क्योंकि कई सारे संयोग हैं। हम मामले की जांच कर रहे हैं और कंपनी से भी पूछा है। अभी तक हमें कोई गड़बड़ी नहीं मिली है। लेकिन कुछ ऐसा ठोस मिलता है तो हम उसके मुताबिक कार्रवाई करेंगे।” सवालों के घेरे में आए स्टूडेंट्स से कई प्रयास के बावजूद संपर्क नहीं हो सका।