व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के दौरान जेलेंस्की और ट्रंप के बीच तीखी बहस हुई थी. इसके बाद ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली मदद पर रोक लगा दी थी. इतना ही नहीं, उस बहस में ट्रंप ने जेलेंस्की से ये तक कह दिया कि आज से तुम्हारे बुरे दिन शुरू. हालांकि 104 घंटे बाद बाद अब जेलेंस्की ने सार्वजनिक रूप से एक्स पर पोस्ट करते हुए अपने इस बयान पर अफसोस जताया है.
जेलेंस्की ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि बैठक सही दिशा में नहीं जा सकी. हालांकि अब वह चाहते हैं कि अमेरिका और यूक्रेन के बीच सहयोग और संवाद बना रहे. यह बयान ऐसे समय आया है जब ट्रंप संसद में अपने नीति भाषण की तैयारी कर रहे हैं, जिससे यूक्रेन पर अमेरिका की भविष्य की नीति का संकेत मिल सकता है.
क्या बोले जेलेंस्की?
जेलेंस्की ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि हममें से कोई भी युद्ध को हमेशा के खींचना चाहता. यूक्रेन जल्द से जल्द बातचीत करने के लिए तैयार है, जिससे देश में स्थायी शांति लाई जा सकती है. यूक्रेन के लोगों से ज्यादा शांति कोई नहीं चाहता है. मेरी टीम और मैं राष्ट्रपति ट्रंप के मजबूत नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार हैं ताकि एक स्थायी शांति समझौता किया जा सके.
जेलेंस्की ने यह भी कहा कि वो युद्ध को जल्द समाप्त करने के लिए तेजी से काम करने को तैयार हैं. हालांकि उनका ये भी कहना है कि प्रारंभिक चरणों में युद्धबंदियों की रिहाई और आसमानी संघर्ष विराम किया जाए यानी मिसाइलों, लंबी दूरी के ड्रोन, ऊर्जा और अन्य नागरिक बुनियादी ढांचे पर हमलों पर प्रतिबंध लगाया जाए. इसके बाद वो अमेरिका के साथ मिलकर एक मजबूत अंतिम समझौते पर सहमति बनाएंगे.
इसके साथ ही जेलेंस्की ने कहा कि वो वास्तव में इस बात की सराहना करते हैं कि अमेरिका ने यूक्रेन की संप्रभुता और स्वतंत्रता बनाए रखने में काफी मदद की है. जेलेंस्की ने कहा कि उनको याद है कि जब राष्ट्रपति ट्रंप ने यूक्रेन को जैवलिन मिसाइलें दी थीं. तभी युद्ध में थोड़ी शांति आई थी.
ट्रंप के सामने टेके घुटने
जेलेंस्की ने यह भी कहा कि शुक्रवार को व्हाइट हाउस में हमारी बैठक उस तरह नहीं हुई जैसी होनी चाहिए थी. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसा हुआ. अब सही दिशा में कदम उठाने का समय आ गया है. वहीं, खनिज और सुरक्षा समझौते के संबंध में, यूक्रेन इसे किसी भी समय और किसी भी सुविधाजनक प्रारूप में हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है. साथ ही जेलेंस्की ने यह भी कहा कि वो इस समझौते को अधिक सुरक्षा और ठोस सुरक्षा गारंटी की दिशा में एक कदम के रूप में देखते हैं.
ट्रंप का गुस्सा या यूक्रेन खोने का खौफ
जेलेंस्की के इस बयान के बाद से ही ये चर्चा तेज है कि वो ट्रंप से डर गए हैं, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि जेलेंस्की को यूरोपीय देशों से उतनी मदद नहीं मिली जितना वो चाहते थे, इसी वजह से उनको ट्रंप के सामने घुटने टेकने पड़ें. हालांकि कुछ विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि जेलेंस्की समझ गए हैं कि बिना अमेरिका की मदद से वो यूक्रेन नहीं बचा सकते हैं. ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि यूक्रेन को बचाने के लिए जेलेंस्की ट्रंप के आगे नतमस्तक हुए हैं.