Monday, October 14, 2024
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26 अक्टूबर को ही लिख गयी थी नीतीश कुमार की हार,जब जनरल डायर बनी थी पुलिस ,शाहीन बाग में आवाज न निकली,हिन्दुओ पर फायरिंग,सिर्फ तेजस्वी ने उठाया था सवाल

पूरे बिहार का हिन्दू मतदाता नाराज़ था कि शाहीन बाग में आवाज नही निकली,यहां फायरिंग तक कर दी।

28 अक्टूबर,3 नवम्बर,7 नवम्बर को चुनाव थे बिहार में,
26 अक्टूबर को मुंगेर में हिन्दुओ की बेदर्दी से पिटाई की गई दुर्गा विसर्जन जुलूस में क्योंकि वहां के अधिकारी मुंह लगे हुए थे नीतीश कुमार के ऊपर से एक शब्द नही किसी नेता का जो मरहम का काम करता,जिसका सीधा लाभ उठाया तेजस्वी यादव ने।
सीधा और स्पष्ट सवाल किया था भाजपा के सुशील मोदी से,
“पुलिस को जनरल डायर बनने की अनुमति क्यों दी किसने दी”

मुंगेर का विसर्जन मेला प्रसिद्ध है
मुंगेर का दुर्गा विसर्जन मेला काफी प्रसिद्ध है। यहां जमालपुर से मुंगेर तक लगभग 10 कि.मी. का मेला लगता है। इसको देखने मुंगेर से बाहर के लोग भी आते हैं और रात भर लगभग दो दिनों तक यह मेला लगा रहता है। प्रशासन पर 28 को प्रथम चरण के चुनाव और 26 तारीख को विसर्जन को लेकर बहुत प्रेशर था। तय यह हुआ था कि 26 तारीख को 11 बजे दिन में बड़ी दुर्गा महारानी को विसर्जन के लिए ले जाया जाएगा लेकिन प्रतिमा शाम के चार बजे उठी। परंपरा अनुसार हर साल कहार ही बड़ी दुर्गा महारानी को विसर्जन के लिए उठाते हैं और बाकी लोग उसमें सहयोग करते हैं।

मुंगेर में बड़ी दुर्गा के विसर्जन के बाद ही अन्य दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन होता है। मां बड़ी दुर्गा की प्रतिमा डोली पर विसर्जित की जाती है, जिसे 32 कहार उठाते हैं। इस कारण जुलूस में शामिल प्रतिमाएं धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थीं। पुलिस प्रतिमाओं का जल्द विसर्जन करवाना चाह रही थी। इसी बात को लेकर पुलिस और विसर्जन जुलूस में शामिल लोगों के बीच भिड़ंत हो गई। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू किया और गोलियां चलनी शुरू हो गई। जवाब में भीड़ ने भी पुलिस पर पथराव कर दिया। फिर फायरिंग हुई। गोली लगने से कोतवाली थाना क्षेत्र के लोहापट्टी निवासी अनुराग कुमार (22) की मौत घटनास्थल पर ही हो गई।

लोगों से उठ ही नहीं रही थी बड़ी महारानी की प्रतिमा
26 तारीख को भी कहारों ने माता की प्रतिमा को उठाया। लोगों में चर्चा है कि बाटा चौक के पास प्रतिमा को रखा गया तो उसके बाद प्रतिमा उठ ही नहीं रही थी। कहारों सहित दर्जनों लोग उठाने में लगे पर प्रतिमा नहीं उठी। लोगों में अफवाह फैल गई तो मां अभी जाना नहीं चाह रही हैं। दूसरी तरफ प्रशासन जल्द से जल्द प्रतिमा उठाने और आगे बढ़ने पर जोर दे रहा था। इसी समय पुलिस और लोगों के बीच झड़प हो गई। पुलिस की मानें तो लोगों ने पथराव कर दिया लेकिन लोगों का कहना है कि पुलिस ने जबर्दस्त लाठीचार्ज किया है। बड़ी दुर्गा महारानी की मूर्ति के सामने लोगों को लाठियों से हौंक दिया गया। जिस युवक की मौत गोली लगने से हुई है उसे देखकर साफ लगता है कि गोली काफी नजदीक से मारी गई है। उसकी एक आंख बाहर की तरफ आ गई और सिर फट गया। लोगों ने बताया कि लाठीचार्ज करने वालों में स्थानीय पुलिस की जगह चुनाव डयूटी के लिए बुलाए गए जवान थे। जिन लोगों के बच्चे अभी तक वापस नहीं आए हैं वे थानों के चक्कर लगा रहे हैं। पुलिस लगातार लगी हुई है कि लोगों के गुस्से को कैसे शांत किया जाए।

 

 

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुए उपद्रव और फायरिंग की घटना

मुंगेर. बिहार के मुंगेर में 28 अक्टूबर को होने वाले चुनाव के एक दिन पूर्व दुर्गा पूजा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हिंसा की घटना हुई है. शहर के बीचों बीच पड़ने वाले पंडित दीनदयाल चौक के पास शंकरपुर की प्रतिमा के विसर्जन के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा की गई रोड़ेबाजी और फायरिंग की घटना में 18 वर्षीय अनुराग कुमार को सिर में गोली लगी और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. वहीं, विसर्जन के दौरान चली गोली से पांच लोग घायल हैं. घटना कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत दीनदयाल उपाध्याय चौक की है, जहां पर प्रतिमाओं विसर्जन के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा पुलिसबल को निशाना बनाते हुए पथराव किया गया ऐसा पुलिस प्रशासन ने तब बताया जबकि जनता का मत इसके ठीक विपरीत था।

पुलिस द्वारा रोके जाने पर उग्र लोगों द्वारा फायरिंग भी की गई. भीड़ के हमले में संग्रामपुर थानाध्यक्ष सर्वजीत कुमार, कोतवाली थानाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह, कासिम बाजार थानाध्यक्ष शैलेश कुमार, वासुदेवपुर ओपी अध्यक्ष सुशील कुमार के अलावा 17 अन्य पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए हैं. पुलिस को निशाना बनाकर लगातार पथराव किए जाने और भीड़ द्वारा फायरिंग कर शहर में अफवाह फैलाई गई और माहौल को खराब करने का प्रयास किया गया. इस गोलीबारी की घटना में पांच अन्य लोग भी घायल हुए हैं, जिनका इलाज मुंगेर के सदर अस्पताल में चल रहा है.

दरअसल चुनाव के मद्देनजर जिला प्रशासन ने पूजा समितियों को निर्देश दिया था कि वो 26 अक्टूबर की शाम तक अपनी-अपनी समीतियों की प्रतिमा का विसर्जन कर लें. इसको लेकर जिला पुलिस प्रशासन के द्वार लगातार प्रतिमाओं पर निगरानी रखी जा रही थी. युवक की मौत के बाद लोग खासे आक्रोशित हैं. उनका आरोप है कि युवक की मौत पुलिस की गोली से हुई है. हिंसा की इस घटना के बाद एहतिहात बरतने को लेकर दीनदयाल चौक और आसपास के इलाके को पुलिस छावनी में बदल दिया गया है. पुलिस ने तीन हथियार, गोलियां और खोखा भी बरामद किया है.

 

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