Wednesday, October 23, 2024
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राहुल गांधी के खास छर्रे सुरजेवाला को नंगा कर दिया कांग्रेस नेता ने,एक सी डी से बचने को किया था….

कांग्रेस नेता आचार्य  प्रमोद कृष्णम ने अपनी पार्टी के महासचिव रणदीप सुरजेवाला पर जो आरोप लगाएं हैं वो कोई विरोधी पार्टी का नेता ही लगा सकता है. इतना ही नहीं आचार्यजी ने ऐन 5 राज्यों के चुनाव के मौके पर पार्टी को राम विरोधी और हिंदू विरोधी बताकर पार्टी के लिए संकट खड़ा करने का काम किया है. प्रियंका गांधी वाड्रा के नजदीकी आचार्य कृष्णम कोई पहली बार नहीं अपनी पार्टी को निशाने पर ले रहे हैं. इसके पहले भी उन्होंने कई बार पार्टी की नीतियों की खुलकर आलोचना की है. यही कारण है उनपर सालों से बीजेपी में जाने के आरोप लगते रहे हैं. पर आचार्य बीजेपी को भी मौके बेमौके निशाने पर लेते रहते हैं. अब जो उन्होंने बयानबाजी की है वह उन्हें मुश्किल में डाल सकती है. अगर अब भी आचार्य को पार्टी से न निकाला जाता है न कारण बताओ नोटिस ही जारी होता है तो सवाल उठना तय है. सवाल यह भी उठता है कि प्रमोद कृष्णम में ऐसा क्या है कि वह कुछ भी बोलती रही है पार्टी उन पर एक्शन नहीं लेती?

क्या कहा प्रमोद कृष्णम ने जिस पर मचा है बवाल

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम के बयान पर जबरदस्त घमासान मचा हुआ है.कांग्रेस के टिकट पर दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके प्रमोद कृष्णम ने कहा था कि, कांग्रेस पार्टी में कुछ बड़े नेता ऐसे हैं जिन्हें हिंदू शब्द से ही नफरत है. कुछ कांग्रेसी ऐसे नेता हैं, जिन्हें राम मंदिर से ही नहीं बल्कि भगवान राम से भी नफरत है. आचार्य के इस बयान पर रणदीप सुरजेवाला ने पत्रकारों से कहा कि ऐसे महत्वहीन लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए उन्हें छोड़ देना चाहिए.सुरजेवाला ने मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान पत्रकारों से यह बात कही थी. इसके बाद आचार्य बुरी तरह भड़क गए उन्होंने एक्स पर लिखा , कांग्रेस के “भाग्य” की विडंबना यही है कि एक ऐसे “लफ़ंडर”
को पार्टी का महासचिव बना रखा है जिसने राज्य सभा के चुनाव में “विधायक” रहते हुए भाजपा के उम्मीदवार और Zee न्यूज़ के मालिक सुभाष चंद्रा को जितवाने का “पाप” सिर्फ़ एक “अश्लील” CD के “प्रसारण” को रुकवाने के लिये किया.

क्या पार्टी आचार्य पर जानबूझकर नहीं लेती एक्शन

पार्टी मे रहते हुए पार्टी की नीतियों की आलोचना करना तो राइट ऑफ फ्रीडम के श्रेणी में आता है. समय-समय पर पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ और कांग्रेस की किसी खास संदर्भ में आलोचना को इसी तरह लिया जाता रहा है. एक स्वस्थ लोकतंत्र में यह जरूरी भी हो जाता है. और जिन पार्टियों में इस तरह की स्वतंत्रता होती हैं वही दल फलते फूलते भी हैं. पर जब पार्टी के किसी नेता के खिलाफ बिलो द बेल्ट वॉर होता है तो उसे पर्सनल ही माना जाता है. कोई भी पार्टी इस तरह के आरोप लगाने वाले को बर्दाश्त नहीं करती है. अगर कांग्रेस में आचार्य प्रमोद को इस बार भी जीवनदान मिल जाता है तो इसका मतलब है कि उनको कांग्रेस खुद बर्दाश्त कर रही है. हो सकता है कि आचार्य को पार्टी में हिंदू चेहरे के रूप में स्थापित कर रही हो. पर सुरजेवाला के सेक्स सीडी की बात करना उन पर बिलो द बेल्ट हमला है. आचार्य पर कोई कार्रवाई न होना कांग्रेस में अनुशासनहीनता को ऐसे बढावा देगी जिसे बाद में संभालना मुश्किल हो जाएगा.

क्या वास्तव में बीजेपी में जाने की तैयारी कर रहे हैं आचार्य

हाल-फिलहाल में जिस तरह आचार्य ने कांग्रेस नेताओं की आलोचना शुरू की है और बीजेपी के हिंदुत्व का समर्थन किया है उससे एक बार फिर से अफवाहें उड़नी शुरू हुईं हैं. तो क्या आचार्य बीजेपी में जा रहे हैं. चाहे फिलिस्तीन और इजरायल की बात हो या सनातन की बात हो आचार्य ने अपनी पार्टी और इंडिया गठबंधन को दोनों को आड़े हाथों लिया है. सनातन के मुद्दे पर जब उदयनिधि का बयान आया तो आचार्य ने कहा था कि ऐसी पार्टियों को इंडिया एलायंस से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए. इजरायल और फिलिस्तीन के मुद्दे पर भी वो बीजेपी के स्टैंड लेते दिखे.
राहुल गांधी लगातार जाति सर्वे की बात कर रहे हैं. कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि सत्ता में आने के बाद हर राज्य में जाति जनगणना कराएंगे. आचार्य ने जाति की राजनीति का भी खुलकर विरोध करने का साहस दिखाया. उन्होंने इस मुद्दे पर कहा था कि कांग्रेस हर धर्म, हर जाति, हर क्षेत्र और हर वर्ग को अपने साथ लेकर चलती रही है. इसके साथ अगड़े, पिछड़े, दलित-आदिवासी, हिंदू, मुसलमान और ईसाई सभी रहे हैं. महात्मा गांधी, नेहरू, इंदिरा से लेकर राजीव गांधी तक की कांग्रेस ने समाज के हर वर्ग को अपने साथ लेकर आगे बढ़ने की राजनीति की.

राम मंदिर पर उनके बयान ने तो हद ही कर दी. जिसके बाद रणदीप सुरजेवाला ने उन्हें महत्वहीन ही करार दे दिया.तो क्या मान लिया जाए कि आचार्य ने बीजेपी में जाने की तैयारी कर ली है. इसका जवाब ना में ही दिया जा सकता है. बीजेपी में पहले से बाबाओं की भरमार है . इसलिए एक और बाबा को पार्टी क्यों लाना चाहेगी. दूसरे बीजेपी में चले गए तो भी आचार्य को कुछ मिलने वाला नहीं है. यहां तो कम से कम हाईकमान से उनकी सीधी बात हो जाती है. बीजेपी में तो अभी हाईकमान से मिलना ही बहुत मुश्किल टास्क है.

पर जिस तरह वो बीजेपी को नेताओं की बात पर रिएक्ट कर रहे हैं उससे तो यही लगता है कि कुछ भी हो सकता है. सुधांशु त्रिवेदी ने आचार्य के उस बयान पर जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के कुछ नेता राम को नहीं मानते और हिंदू से नफरत करते हैं उसके जवाब में बीजेपी नेता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस की कलई खोलते हुए एक्ट पर कुछ लिखा. जिसके जवाब में आचार्य ने लिखा कि आप मेरी वेदना का राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं और आपको करना भी चाहिए, लेकिन ये शाश्वत सत्य है कि हमारी पार्टी में एक ऐसी चांडाल चौकड़ी है जो राम से ही नहीं गाय , गंगा, गीता और गायित्री से भी नफरत करती है. क्या अपनी पार्टी को चांडाल चौकड़ी के हॉवी होने की बात करने वाला यह संदेश नहीं दे रहा है कि अब कांग्रेस में उनके दिन पूरे हो गए हैं. अब पंछी को अपने नए ठौर की तलाश कर लेनी चाहिए.

राहुल के बजाय प्रियंका के आगे करने की वकालत करते रहे हैं आचार्य

संभल के ऐंचोड़ा कंबोह में स्थित श्री कल्कि धाम मंदिर के पीठाधीश्वर हैं आचार्य . उन्होंने वर्ष 2014 में संभल लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस में उनको प्रियंका गांधी के राजनीतिक सलाहकार के रूप में पहचान मिली. आचार्य हमेशा से कांग्रेस पार्टी में राहुल की जगह प्रियंका को तरजीह देने के हिमायती रहे हैं. उनका कहना रहा है कि अगर नरेंद्र मोदी को हराना है तो प्रियंका गांधी को पीएम कैंडिडेट घोषित करना होगा.

वे कहते रहे हैं कि मोदी के सामने प्रियंका को मजबूत विपक्षी उम्मीदवार के रूप में पेश करना चाहिए.उनका कहना रहा है कि नीतीश, अखिलेश, ममता बनर्जी, शरद पवार, स्टालिन अपने-अपने राज्य के क्षत्रप हैं. यह कभी अपने राज्य से बाहर चुनाव के लिए नहीं गए. भाजपा के खिलाफ गांधी परिवार से बड़ा विकल्प कोई नहीं है.

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