Friday, January 3, 2025
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नेहरू गांधी परिवार फिर अपने फायदे के लिए शहीद करेगा सबसे पुराना कांग्रेसी नेता,ममता की शर्त मानी

कांग्रेस पार्टी पश्चिम बंगाल में अपना नेतृत्व बदलने की तैयारी में है.

लोकसभा चुनाव के दौरान और उसके बाद की परिस्थितियों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को साधने में जुटी कांग्रेस ने अब उनके सामने सरेंडर कर दिया है. यह हम नहीं बल्कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में दिख रहा है. दरअलस, राष्ट्रीय स्तर पर ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है लेकिन राज्य स्तर पर कांग्रेस और टीएमसी एक दूसरे के विरोधी हैं. बीते लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के घटक दल होने के बावजूद पश्चिम बंगाल ही एक ऐसा राज्य था जहां कांग्रेस और टीएमसी के बीच गठबंधन नहीं हो सका था. चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच तीखी बयानबाजी भी हुई थी. उसके बाद की परिस्थितियों में भी ममता बनर्जी और कांग्रेस के रिश्ते बहुत सहज नहीं हैं.

राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस पार्टी को केवल एक पर जीत मिली. उसके सबसे जुझारू नेता और 17वीं लोकसभा में सदन में पार्टी के नेता रहे अधीर रंजन चौधरी भी बहरामपुर से चुनाव हार गए. बेहरामपुर उनका गढ़ माना जाता था, लेकिन ममता बनर्जी ने उनके खिलाफ पूर्व क्रिकेटर युसूफ पठान को मैदान में उतार दिया. परिणाम यह हुआ कि 1999 से यहां से लगातार जीत हासिल करने वाले पांच बार के सांसद अधीर रंजन चौधरी चुनाव हार गए.

कांग्रेस का खराब प्रदर्शन
इस चुनाव में कांग्रेस को राज्य की 42 में से केवल एक सीट पर जीत मिली है. मालदा पश्चिम से इशा खान चौधरी विजयी हुए हैं. राज्य में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद अधीर रंजन चौधरी ने पार्टी के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से ही वह पिक्चर से गायब हैं.

कांग्रेस आलाकमान की योजना
बीते दिनों पश्चिम बंगाल को लेकर प्रदेश नेताओं की केंद्रीय नेतृत्व के साथ बड़ी बैठक हुई. इस बैठक में राज्य के 21 नेता शामिल हुए. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व पश्चिम बंगाल को लेकर तीन चीजें करना चाहता है. सबसे पहला काम राज्य में पार्टी का नया संगठन खड़ा करना है. फिर चुनाव के हिसाब से तैयारी करनी है और तीसरा और सबसे अहम काम तृणमूल कांग्रेस के साथ रिश्तों को लेकर फिर से विचार करना है.

दरअसल, राज्य में अधीर रंजन के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ममता बनर्जी सरकार की कटु आलोचक रही है. अधीर रंजन राज्य में कांग्रेस और भाजपा दोनों के खिलाफ बराबर हमलावर रहे. केंद्रीय नेतृत्व के दबाव के बावजूद अधीर रंजन अपने इस स्टैंड से टस से मस नहीं हुए. लोकसभा चुनाव के दौरान ही अधीर रंजन और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बीच सार्वजनिक बयानबाजी हुई.

 

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