मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले मामा को उम्र कैद की सजा, महज 23 दिन में न्यायालय ने सुनाया फैसला
हाथरस,उत्तरप्रदेश
विशेष न्यायाधीश पोक्सो अधिनियम प्रथम ने डेढ़ साल की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म करने वाले वाले उसके मामा को दोषी मानते हुए उम्र कैद और अर्थ दण्ड की सजा सुनाई है। यह मामा अपनी डेढ साल की भांजी को गोदी में खिलाने के बहाने ले गया था और उसने उसके साथ दुष्कर्म किया। अर्थदण्ड न देने पर दोषी को अतिरिक्त कारावास भोगना होगा। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि महज 23 दिन में न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है। इस मामले में कोर्ट ने यह टिप्पणी की है कि यदि उदारता बरती गई तो कोई भी मां अपने भाई को अपनी बच्ची को नहीं सौंपेगी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार चंदपा क्षेत्र के एक गांव मे दो जनवरी 2021 को शाम 7 बजे आरोपी वीरेंद्र पुत्र प्रेमपाल अपनी डेढ़ साल की भांजी को खिलाने के बहाने अपने साथ ले गया था। उसने बच्ची के साथ गलत काम किया और उसके बाद वह वहां से भाग गया। पीड़ित बच्ची का डॉक्टरी परीक्षण भी कराया गया। इस मामले का मुकदमा दर्ज कर विवेचना अधिकारी ने विवेचना की। इसके बाद 14 जनवरी को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया।
मामले की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश/ विशेष न्यायधीश (पोक्सो अधि.) प्रथम प्रतिभा सक्सेना के न्यायालय में हुई। इसमें एडीजीसी राजपाल सिंह दिशवार ने प्रभावी पैरवी की। न्यायालय ने दोनों पक्षो को सुनने के बाद आरोपी वीरेंद्र को दोषी मानते हुए धारा-376 (2) (च) भा0द0स0 के तहत सश्रम आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। साथ ही धारा-5/6 यौन अपराध शिशु सरंक्षण अधिनियम 2012 के तहत भी आजीवन कारावास और अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। अर्थदण्ड न देने पर अतिरिक्त कारावास भोगना होगा। अर्थदण्ड की कुल धनराशि एक लाख रुपये पीड़िता को देने के आदेश भी कोर्ट ने दिए हैं। अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी राजपाल सिंह दिशवार ने पैरवी की।
न्यायालय ने कहा कि अगर उदारता बरती तो कोई भी मां अपने भाई को अवोध बच्ची को नहीं सौंपेगी
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त द्वारा कारित अपराध समाज विरोधी कृत्य है। अभियुक्त द्वारा अपनी ही डेढ वर्षीय भांजी के साथ दुष्कर्म का अपराध किया गया है। पीड़िता की उम्र मात्र डेढ साल की है। जिसे अपने साथ किसी भी कृत्य के परिणाम और प्रकृति की भी जानकारी नहीं है। उसने अपने प्राकृतिक जीवन को भली भांति जीना भी शुरू नहीं किया है। यदि अभियुक्त के साथ उदारता का दृष्टि कोण अपनाया गया तो इससे समाज में अपराध और आराजकता की भावना प्रबल होगी और छोटी बच्चियों का समाज में निर्भय होकर रहना दुश्कर हो जाएगा। संभवत कोई भी मां अपनी छोटी और अवोध बच्ची को गोद में खिलाने के लिए भी नहीं देगी।