Friday, June 20, 2025
Uncategorized

जाहिल गंवारो पप्पू छाप बड़े और छुटभैय्यों को पता ही नहीं,कोई सूची नहीं मांगी जाती, नरसिंहा राव ने सीधा दायित्व दिया था अटल बिहारी जी की

अभी पिछले दिनों हमने एक पोस्ट लिखी थी कि शशि थरूर का शनि उनकी कुंडली में पॉजिटिव होकर बैठा है , और वह किस-किस तरह से उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहा है…

अब
#शशि_थरूर के नाम पर #कांग्रेस को आपत्ति है…

कांग्रेस कह रही है कि
“हमने 4 नाम दिए थे उनमें थरूर का नाम नहीं था”

भाई, आपसे सूची मांगी किसने थी?
यह भारत सरकार द्वारा भारत का पक्ष रखने हेतु शिष्ट मंडल बना गया है, सरकार जिन्हे उक्त कार्य हेतु सही समझती है उन्हें चुना है…
कांग्रेस सामंती सोच से बाहर ही नहीं निकल पाती है..देश पर एहसान किया जो राहुल गांधी को शिष्ट मंडल के नेतृत्व को नहीं कहा….

जब नरसिंहराव जी ने अटलजी को चुना था तो कोई बीजेपी से सूची नहीं मांगी थी…सीधा अटल जी को नियुक्त किया था जिनेवा में भारत का पक्ष रखने हेतु…

उधर, टिकट ब्लैकिया खुद ही उचक रहा है
“अगर मुझे अवसर मिला तो राजनीति छोड़ देश का पक्ष रखूंगा”
😂😂😂

सबसे पहले भारत
🇮🇳🇮🇳🇮🇳

 

थरूर के व्यक्तित्व में खामियां हो सकती हैं, लेकिन वे एक सक्षम राजनीतिज्ञ हैं, जिनके पास गहन ज्ञान है और अपने विचारों को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने की असाधारण क्षमता है।

अगर कांग्रेस पार्टी खुद को फिर से गढ़ने के बारे में गंभीर होती, तो उसे थरूर को पार्टी अध्यक्ष चुन लेना चाहिए था और उन्हें आगे बढ़ाकर नेतृत्व करने देना चाहिए था। वे सरकार को कड़ी चुनौती दे सकते थे और उसे चौकन्ना रख सकते थे।

लेकिन कांग्रेस नेतृत्व लगातार किसी भी ऐसे नेता को बर्दाश्त करने में विफल रहा है जो गांधी परिवार के कद के करीब आता हो। होनहार युवा आवाजों को दरकिनार कर दिया गया, क्योंकि वे राजकुमार को मात देने का जोखिम उठाते थे। इसके विपरीत, जिन्होंने उन्हें अधिक उज्ज्वल दिखाया, उन्हें ऊपर उठाया गया।

इस पर विचार करें: थरूर ने वास्तव में पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा था, लेकिन गांधी परिवार ने उनके खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए खड़गे को आगे किया और उनकी जीत सुनिश्चित की। थरूर पर खड़गे, यह कैसे समझ में आता है?

✍️

Leave a Reply