सउदी अरब ने बाजवा को दुत्कार कर लौटाया – शाह मोहम्मद कुरैशी की लातों-घूसों से पिटाई

पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर बाजवा बुरी तरह अपमानित होकर सउदी अरब से लौट गये हैं, उनके साथ आईएसआई के डीजी जनरल फैज तथा अन्य प्रतिनिधि थे। जनरल बाजवा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मोहम्मद कुरैशी द्वारा सउदी अरब के खिलाफ की गई उल जुलूल बकवास की माफी मांग, सउदी अरब की नाराजगी दूर करने गये थे मगर सउदी क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने उनसे न केवल मिलने से इन्कार किया वरन बाजवा को अपने महलों के पास तक भी फटकने नहीं दिया। बाजवा और उसके साथियों को प्रिन्स खालिद बिन सलमान से ही भेंट कर वापस लौटना पड़ गया।

जनरल बाजवा को गलतफहमी थी कि उनके सउदी अरब जाने पर शहजादा सलमान दौड़े-दौड़े आकर उनकी अगवानी करेगा, मगर सउदी अरब की धरती पर बाजवा के कदम रखते ही एसी बेइज्जती हुई कि वह ताजिन्दगी नहीं भूलेगा। एयरपोर्ट पर बाजवा को लेने किसी शहजादे को तो छोड़ो, सउदी का रक्षा मंत्री या उनका डिप्टी तक भी नहीं पहुँचा, न सेना का कोई अधिकारी भी। एक मामूली से सैन्य अधिकारी ने बाजवा की अगवानी की।

सउदी अरब ने जनरल बाजवा का सम्मान कर उन्हें मेडल देने की घोषणा कर रखी थी और इस हेतु उन्हें सउदी अरब आने का निमन्त्रण भी दे रखा था। बाजवा ने यही सोचा था कि मेडल भी ले लेंगे और सउदी अरब को मीठी-मीठी बातों में उलझा उसकी नाराजगी भी दूर कर देंगे मगर हुआ इसका ठीक उल्टा। बाजवा को मिलने का समय तक नहीं दिया गया, मेडल तो देना बहुत दूर की बात थी।

पाकिस्तान को इस बात का एहसास ही नहीं कि जिस शाह मुहम्मद कुरैशी से सउदी अरब नाराज है पहले उसको तो बर्खास्त कर देते, फिर जाते सउदी अरब से माफी मांगनेे। राजनैतिक विश्लेषक इसी बात पर आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं कि बिना कुरैशी की छुट्टी किये बाजवा आखिर कुरैशी के कृत्यों के लिये माफी मांगने कैसे चले गये। यदि बाजवा अपने साथ कुरैशी को ले जाता और उसे सउदी अरब के शहजादों के पैरों में गिर गिड़गिड़ाते हुए माफी मांगने को कह देता तो हो सकता है बात कुछ बन जाती।

पाकिस्तान की इतनी बुरी जलालत के बाद भी कुरैशी का घमण्ड है कि खत्म होने का नाम तक नहीं ले रहा। जिस समय जनरल बाजवा सउदी प्रिन्स खालिद के सामने एडियां रगड़ कर माफी मांग रहे थे उसी वक्त कुरैशी कतर के एम्बेसडर से मुलाकात कर रहा था। कतर सउदी अरब का दुश्मन है और इस घटना ने जरूर पाकिस्तान के खिलाफ सउदी गुस्से में आग में घी डालने का काम किया होगा।

इस सारे प्रकरण में प्रधानमंत्री इमरान खान की भूमिका भी हैरत में डालने वाली है। वह एसे चुपचाप बैठे हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं। शाह मोहम्मद कुरैशी की करतूतों से देश की दुर्दशा हो रही है तो उसे बर्खास्त करने तक की हिम्मत नहीं, उल्टे कुरैशी से मिलने से कतरा रहे हैं। इमरान ने अपने सचिव को कह दिया कि कुरैशी आये तो उसे मिलने मत भेजना। इमरान के सचिव ने यही किया। कुरैशी इमरान से मिलने आये तो सचिव ने अन्दर जाने से इन्कार कर दिया, इस पर कुरैशी आग बबूला हो उठे और दोनों के बीच गरमागरम बहस होने लगी। कुरैशी होश खो बैठे और उन्होंने सचिव के एक थप्पड़ जड़ दिया। फिर क्या था सचिव आजम खान ने भी आव देखा न ताव, लातों-घूसों से कुरैशी की पिटाई शुरू कर दी।

कुरैशी ने बाद में इमरान से सचिव की शिकायत की मगर इमरान ने सचिव पर कोई कार्रवाई नहीं की। जनरल बाजवा जब सउदी अरब से खाली हाथ लौटे तो इमरान ने कह दिया कि अब पाकिस्तान का भविष्य चीन के ही हाथ में है।
स्पष्ट है अब पाकिस्तान के दो ही दोस्त बचे हैं- टर्की और चीन। टर्की तो खुद ही दीवालिया है वो पाकिस्तान की क्या मदद करेगा, इसलिये पाकिस्तान के पास चीन की गोद में बैठने के अलावा कोई चारा नहीं है। इमरान ने इसकी पुष्टि भी कर दी है। उसका मतलब यही है कि पाकिस्तान की आने वाली पीढीयां चीन की गुलाम रहेंगी।

जनरल बाजवा जब रियाद में शहजादा खालिद से मिले तब खालिद ने स्पष्ट कर दिया कि जब सउदी अरब का यमन से संघर्ष चल रहा था तब सउदी ने पाकिस्तान की मदद मांगी थी। उस समय पाकिस्तान ने अपनी संसद में प्रस्ताव पारित कर सउदी अरब को मदद देने से इन्कार किया था और कहा था कि यह यमन और सउदी अरब का आपसी मामला है, तब सउदी अरब ने पाकिस्तान के सहयोग की कोई शिकायत नहीं की थी।

अब जबकि कश्मीर का मामला भी भारत तथा पाकिस्तान का आपसी मामला है और सउदी अरब इसी कारण अगर पाकिस्तान का सहयोग नहीं करता है तो पाकिस्तान को शिकायत करने का कोई हक नहीं है।

इस बीच बाजवा के सउदी अरब से खाली हाथ लौटने पर सोशल मीडिया में उनकी बहुत मजाक उड़ रही है। कोई कह रहा खाली हाथ क्यूं- सबको एक एक खजूर का पेकेट तो मिला ही है तो दूसरा कह रहा कि जो चांदी के चम्मच चुराये थे वो भी तो पकड़े जाने के बाद भी नहीं रखवाये। मजाकों का यह सिलसिला पाकिस्तान तक में भी जोर शोर से चल रहा है।