Saturday, July 27, 2024
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एक कांग्रेस नेता निकला मर्दानगी वाला,जाऊंगा मैं राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में,बाकी दुम हिला रहे

सीधा सवाल ” क्या वेटिकन का प्रोग्राम होता तो सोनिया गांधी नही जाती क्या फिर कोई भी बुलाता तो…

शिमला: कांग्रेस पार्टी द्वारा 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह को भाजपा-RSS का कार्यक्रम बताकर निमंत्रण ठुकराने के बाद, हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार के एक मंत्री ने कहा है कि वह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे और अपना ‘पुत्र धर्म निभाएंगे।’

कांग्रेस के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेना, उनका नैतिक दायित्व है। विक्रमादित्य सिंह ने समारोह में उन्हें आमंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदू परिषद (VHP) की सराहना करते हुए कहा कि यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है। उन्होंने कहा कि, ‘मुझे हिमाचल के उन कुछ लोगों में से एक होने का सौभाग्य मिला है, जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा के लिए निमंत्रण मिला है। यह जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है और मैं मुझे और मेरे परिवार को अयोध्या में ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनने का मौका देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद को धन्यवाद देना चाहता हूं।’

विक्रमादित्य सिंह ने आगे कहा कि वह राम मंदिर में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ कार्यक्रम में एक राजनेता के रूप में नहीं, बल्कि दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे के रूप में शामिल होंगे, उन्होंने अपने पिता को “भगवान राम का भक्त अनुयायी” बताया। उन्होंने कहा कि, ‘उनके बेटे के रूप में इसमें भाग लेना मेरी नैतिक ज़िम्मेदारी है। मैं इस पुत्र-धर्म (पुत्र का कर्तव्य) से कैसे इनकार कर सकता हूं?’

उल्लेखनीय है कि, कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक रूप से राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को ठुकरा दिया है और इसे भाजपा-आरएसएस का कार्यक्रम बताया है। राम मंदिर ट्रस्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, UPA चेयरपर्सन सोनिया गांधी, लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी और अन्य विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया था। इसके जवाब में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आधिकारिक बयान देते हुए कहा कि, ‘धर्म एक व्यक्तिगत मामला है। लेकिन RSS/भाजपा ने लंबे समय से अयोध्या में मंदिर का राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है।  भाजपा और RSS के नेताओं द्वारा अधूरे मंदिर का उद्घाटन स्पष्ट रूप से चुनावी लाभ के लिए किया गया है।’

उन्होंने कहा कि, ‘2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए और भगवान राम का सम्मान करने वाले लाखों लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, श्री मल्लिकार्जुन खड़गे, श्रीमती सोनिया गांधी और श्री अधीर रंजन चौधरी ने स्पष्ट रूप से RSS/भाजपा कार्यक्रम के निमंत्रण को सम्मानपूर्वक अस्वीकार कर दिया है।’

वहीं, भाजपा ने कांग्रेस के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि, जिन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर श्री राम को काल्पनिक बताया था, वो लोग राम मंदिर उत्सव में कैसे आ सकते हैं ? भाजपा ने आरोप लगाया है कि, कांग्रेस शुरू से राम और हिन्दू विरोधी रही है। वहीं, खुद कांग्रेस के एक नेता प्रमोद कृष्णन ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि, पार्टी का ये फैसला आत्मघाती है, उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, ‘श्री राम मंदिर के “निमंत्रण” को ठुकराना बेहद दुर्भाग्य पूर्ण और आत्मघाती फ़ैसला है,आज दिल टूट गया।’

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