Sunday, December 22, 2024
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गुरुद्वारों पर कब्जा करता जा रहा था निज्जर,परेशान थे अन्य जगह के ग्रंथी और सिख समाज नेता,

कनाडा में मारे गए खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के पीछे गुरुद्वारा प्रबंधन समिति की राजनीति भी सामने आ रही है। खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर सिर्फ ब्रिटिश कोलंबिया के सरे स्थित गुरुनानक सिंह गुरुद्वारा ही नहीं, बल्कि कनाडा में सिखों की सबसे बड़ी आबादी वाले ब्रैम्पटन इलाके के गुरुद्वारों पर अपने कब्जे की पूरी रणनीति बना रहा था। इसी आपसी विवाद के चलते उसकी हत्या हुई। खुफिया एजेंसियों को मिले इस इनपुट की पुष्टि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी की है। उनका कहना है हरदीप सिंह गुर्जर की हत्या गुरुद्वारे के भीतर आपसी झगड़े का नतीजा थी। निज्जर के जिंदा रहते और अब उसकी मौत के बाद उसके समर्थकों के खतरनाक मंसूबों को देखते हुए कनाडा के कई गुरुद्वारों में ग्रंथी और खालसा ने जान अभी बंद कर दिया है। ऐसी कई जानकारियां कनाडा सरकार से साझा भी की जा चुकी हैं।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत की साजिश का आरोप लगाते हुए मामलों को तल्खी दे दी। हालांकि, खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कनाडा के पीएम जस्टिन ने इस तरीके का बयान महज सियासी दबाव के चलते ही दिया है। क्योंकि कनाडा की सरकार को इस बात की पहले से ही सबूत के साथ पूरी जानकारी दी जा चुकी है कि हरदीप सिंह निज्जर किस तरीके से कनाडा गुरुद्वारों के भीतर बड़ी सियासत के साथ न सिर्फ खालिस्तान समर्थकों की फौज तैयार कर रहा था। बल्कि इसका विरोध करने वालों से अपनी दुश्मनी भी मोल ले रहा था। खुफिया एजेंसियों से जुड़े रहे एक रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि निज्जर समेत उसके ही कुछ अन्य समर्थकों को स्थानीय लोगों ने गुरुद्वारा जैसे पवित्र स्थल में जहर बोने का काम करने पर धमकियां भी दी थीं। सूत्रों के मुताबिक जिस तरीके से निज्जर और उसका आतंकी संगठन कनाडा के गुरुद्वारों से साजिशों को आगे बढ़ा रहा था उन सभी मामलों की जानकारी कनाडा सरकार को पहले से ही दी जा चुकी है।
सरे स्थित गुरुद्वारे के परिसर का होता था साजिश के लिए इस्तेमाल
हरदीप सिंह निज्जर ब्रिटिश कोलंबिया के सरे स्थित गुरु नानक सिख गुरूद्वारा समिति का अध्यक्ष था। खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आतंकी साजिशों को अंजाम देने के लिए निज्जर और उसके सहयोगी इसी गुरुद्वारा परिसर का इस्तेमाल करते थे। जबकि इस गुरुद्वारे में आने वाले तमाम सिख समुदाय के लोगों ने इस पर आपत्ति जताई थी। बताया जा रहा है कि सरे के इसी गुरुद्वारा समिति में दूसरा सिख संगठन आगे जाकर पूरी बागडोर संभालना चाह रहा था। दूसरे सिख संगठन से जुड़े लोग नहीं चाहते थे की निज्जर पवित्र स्थल से किसी ऐसी नापाक हरकतों को अंजाम दे। सूत्रों का कहना है इसको लेकर निज्जर और उनके सहयोगियों का कुछ लोगों से विवाद भी हुआ था। अब इस घटना के पीछे उनका हाथ है यह तो स्थानीय स्तर पर जांच का विषय है। लेकिन यह बात बिल्कुल तय है की गुरुद्वारा समिति में दो गुटों में वर्चस्व का विवाद चल रहा था।

 

नई दिल्ली: कनाडा में मारे गए खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की मर्डर को लेकर जारी भारत-कनाडा में तकरार के बीच रिपोर्टों में दावा किया गया है कि खालिस्तानी अलगावादी नेता हरदीप सिंह निज्जर फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल करके उत्तरी अमेरिकी राष्ट्र पहुंचा था और कनाडा ने उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जबकि उसे यह कहा गया था कि वह मर्डर और अन्य आतंकी मामलों समेत 12 से अधिक आपराधिक मामलों का सामना कर रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हरदीप सिंह निज्जर ने 1997 में कनाडा की नागरिकता पाने के लिए ‘फर्जी’ विवाह की थी।

सूत्रों की मानें तो खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के एक गुरुद्वारे की पार्किंग में अज्ञात हमलावरों ने मर्डर कर दी थी। वह 1997 में रवि शर्मा के नाम से फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल करके कनाडा गया था। सूत्रों ने कहा कि उसने यह दावा करते हुए कनाडा में शरण के लिए आवेदन किया था कि उसे हिंदुस्तान में उत्पीड़न का डर है क्योंकि वह ‘‘एक विशेष सामाजिक समूह’ से है। निज्जर के इस आवेदन को हालांकि अस्वीकार कर दिया गया था। सूत्रों ने कहा कि उसका दावा खारिज होने के 11 दिन बाद उसने एक स्त्री के साथ ‘विवाह’ किया, जिसने उसके अप्रवासन में सहायता की थी। हालांकि, इस शादी को कनाडा ने भी अस्वीकार कर दिया, क्योंकि स्त्री 1997 में एक अलग पति के प्रायोजन के अनुसार कनाडा पहुंची थी।

इस आवेदन को कनाडा में आव्रजन ऑफिसरों ने भी खारिज कर दिया था। निज्जर ने इसके विरुद्ध कनाडा की अदालतों में अपील की, हालांकि वह स्वयं को कनाडा का नागरिक होने का दावा करता रहा। बाद में उसे कनाडाई नागरिकता प्रदान की गई, जिसकी परिस्थितियां अब तक साफ नहीं हैं। नवंबर 2014 में उसके विरुद्ध ‘इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस’ (आरसीएन) जारी किया गया था। दरअसल, हिंदुस्तान और कनाडा के बीच निज्जर की मर्डर को लेकर कूटनीतिक टकराव हो गया है। इसी वर्ष जून में निज्जर की मर्डर में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद यह टकराव उत्पन्न हुआ। हालांकि, हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने कनाडाई पीएम के आरोपों का कठोरता से उत्तर दिया है।
सूत्रों ने कहा कि निज्जर के विरुद्ध हिंदुस्तान में मर्डर और अन्य आतंकी गतिविधियों के 12 से अधिक आपराधिक मुद्दे दर्ज थे। सूत्रों ने कहा कि मामलों का विवरण कनाडाई ऑफिसरों के साथ साझा किया गया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा, आरसीएन के बावजूद कनाडाई ऑफिसरों ने उसे उड़ान निषिद्ध सूची में डालने के अतिरिक्त कोई कार्रवाई नहीं की।

जून में निज्जर की मर्डर में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद यह टकराव उत्पन्न हुआ। हिंदुस्तान ने मंगलवार को इन आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘प्रेरित’ बताते हुए खारिज कर दिया था और इस मुद्दे को लेकर कनाडा द्वारा एक भारतीय अधिकारी को निष्कासित किए जाने के बदले में कनाडा के एक वरिष्ठ राजनयिक को निष्कासित कर दिया था।
भारत ने बुधवार को और कड़ा रुख अपनाते हुए कनाडा में बढ़ती हिंदुस्तान विरोधी गतिविधियों और सियासी रूप से समर्थित घृणा अपराधों और आपराधिक अत्याचार को देखते हुए वहां रह रहे अपने नागरिकों और वहां की यात्रा का विचार कर रहे अपने नागरिकों को ‘अत्यधिक सावधानी’ बरतने का परामर्श जारी किया था। हिंदुस्तान ने कनाडा स्थित अपने उच्चायोग और वाणिज्य दूतावासों के समक्ष उत्पन्न ‘सुरक्षा खतरों’ के मद्देनजर कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करने पर अस्थायी रूप से रोक लगाने की बृहस्पतिवार को घोषणा की थी।

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