उत्तर प्रदेश का माफिया विधायक मुख्तार अंसारी आज (अप्रैल 6, 2021) पंजाब की रोपड़ जेल से यूपी लाया जा रहा है। पिछले दो साल से वह स्वास्थ्य स्थिति का हवाला दे-दे कर प्रदेश में आने से बच रहा था, लेकिन यूपी प्रशासन की लगातार कोशिशों के बाद उसे और पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार को झुकना पड़ा। एंबुलेंस में ही सही, मगर अपराध जगत का खूँखार गैंगस्टर मुख्तार वापस लाया जा रहा है। पूरे 100 लोगों की टीम उसे वापस लेकर यूपी आ रही है।
मुख्तार की यूपी में वापसी योगी सरकार की एक बड़ी सफलता है। उसके विरुद्ध प्रदेश भर में 52 मामले दर्ज हैं। इनमें से 18 तो धारा 302 के तहत ही हैं। लेकिन ऐसे इतिहास के बावजूद कुछ बुद्धिजीवी हैं, जो मुख्तार जैसे अपराधी के लिए भावनात्मक माहौल बनाने में जुटे हैं। इंडिया मुस्लिम हिस्ट्री नाम का ट्विटर अकॉउंट इस काम में सबसे आगे है। वह मुख्तार के कुकर्मों पर बात करने की बजाय ये बता रहा है कि मुख्तार संभव है कि कुछ लोगों के लिए एक अभिशाप हो, लेकिन वह स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से आता है।
न्यूज क्लिक और सिफी डॉट कॉम में स्तंभकार और लेखक होने का दावा करने वाला ये ट्विटर हैंडल मुख्तार के लिए लिखता है, “मुख्तार अंसारी भले ही कुछ लोगों के लिए अभिशाप हो लेकिन वह स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से आता है। उसके दादा मुख्तार अहमद अंसारी कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष थे और दिल्ली के सबसे बड़े डॉक्टरों में एक थे। उसके दादा के एक भाई बहुत बड़े हकीम थे।”
ट्वीट के अनुसार, डॉ अंसारी ने AICC के मुख्य सचिव के तौर पर कई बार सेवा दी, वह 1927 में भारतीय नेशनल कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष भी थे। वह उनमें से थे, जिन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना की और बतौर चांसलर भी यहाँ अपनी सेवा दी।
गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी अकेला ऐसा खूँखार अपराधी नहीं है, जिस पर कार्रवाई होता देख उसके फैमिली बैकग्राउंड को सोशल मीडिया पर रखा गया हो। बुरहान वानी से लेकर ओसामा बिन लादेन के समय भी यही हुआ था। उनके पिता का काम, पाठकों को बता कर एक ऐसा भावनात्मक माहौल तैयार करने की कोशिश हुई थी, मानो गलती बुरहान वानी या फिर ओसामा बिन लादेन की नहीं बल्कि उस शख्स की है, जिसने उन पर गोली चलाई।
आज मुख्तार के तमाम गुनाहों को दरकिनार करके इंडिया मुस्लिम हिस्ट्री का ये ट्वीट किस हिसाब से जायज है, शायद ये कोई न बता पाए। सिर्फ़ शुरुआत में ये कह देने भर से संभव है कि वह कुछ लोगों के लिए अभिशाप हो… पूरा ट्वीट न्यूट्रल नहीं हो जाता। अगर ऐसे अपराधी के पारिवारिक बैकग्राउंड को लोगों तक पहुँचाने की इतनी इच्छा है तो फिर भाषा में इतनी नर्मी क्यों?
दुनिया का सबसे बड़ा आतंक का कारोबार करने वालों में दाउद इब्राहिम मुंबई पुलिस में एक कॉन्सटेबल का बेटा था। तो क्या इस आधार पर दाऊद के हर किए पर पानी डाल दिया जाए या फिर ये बात कह-कह कर कर दाऊद के पिता को ही बदनाम किया जाए!
कौन कितना पढ़ा लिखा है, किस समाज से आता है, उसके परिवार वाले क्या करते हैं, वो अपने में कितना सुधार कर सकता है… ये सारी बातें किसी छोट-मोटे अपराधी को सही रास्ते पर लाने के लिहाज से हों, तो इंसानियत के नाते समझ आती है। लेकिन बुरहान वानी, ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकियों के बाद मुख्तार अंसारी जैसे गैंगस्टर के लिए ये कहना कि उसके पिता क्या करते थे, दादा क्या करते थे… ये सारी बात सिर्फ ये दर्शाती है कि व्यक्ति विशेष उस अपराधी से कितनी संवेदना रख रहा है, वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वह एक ऐसे मजहब से है, जिसका महिमंडन करना ही आज के समय का ‘सेकुलरिज्म’ है।