कमलनाथ को दिया हुआ फ्री हैंड अब कायम नही,
रनदीप सुरजेवाला ने बगैर पूर्ण स्क्रूटनी एक भी टिकट घोषित करने पर रोक लगा दी है
पूर्ण फीडबैक को फिर से जांचा जा रहा है,
बीजेपी ने पहले ही प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर प्रवासी विधायकों से सर्वे करा लिया है. इसमें मौजूदा विधायकों की स्थिति, क्षेत्र में एंटी इनकम्बेंसी की स्थिति पर फीडबैक लिया गया.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस भी बीजेपी की राह पर चलने की दिशा में है. जिस तरह बीजेपी ने चार अलग-अलग राज्यों के प्रवासी विधायकों से प्रदेश की 230 विधायकों पर फीडबैक सर्वे कराया है, इसी तर्ज पर अब कांग्रेस भी लोकसभावार प्रवासी सांसद-विधायकों से फीडबैक सर्वे कराने जा रही है. इस प्लानिंग को लेकर राजधानी भोपाल में कांग्रेस ने लोकसभावार नियुक्त किए गए पर्यवेक्षकों की बैठक आयोजित की. इस बैठक में पीसीसी चीफ कमलनाथ (Kamal Nath), प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) शामिल रहे. बैठक में आगामी चुनावों को लेकर रणनीति तैयार की गई. बैठक में तय किया है कि अब बाहरी नेताओं से प्रदेश की 230 विधानसभाओं का फीडबैक सर्वे कराया जाएगा.
इन्हें सौंपी जिम्मेदारी
कांग्रेस अपनी प्लानिंग के तहत लोकसभावार फीडबैक सर्वे कराने जा रही है. इसके लिए कांग्रेस ने 29 लोकसभा सीटों पर पर्यवेक्षकों को जिम्मेदारी सौंपाी है. इनमें बालाघाट की जिम्मेदारी नरेश कुमार को सौंपी है, जबकि बसंत पुरके बैतूल, प्रदीप टमटा भिंड, रेकीबुद्दीन अहमद भोपाल, डॉ. अनीस अहमद छिंदवाड़ा, कमल कांत शर्मा दमोह, किरिट पटेल देवास, तुषार चौधरी धार, दिनेश ठाकुर गुना, प्रकाश जोशी ग्वालियर, विमल शाह होशंगाबाद, मोहन जोशी इंदौर, परेश धन्नी जबलपुर, विरजी भाई खजुराहो, पुंजाभाई खंडवा, आनंद चौधरी खरगोन, नरेन्द्र भाई रथवा-मंडला, अलकोबेन मंदसौर, अनिल भारद्वाज मुरैना, गुलाब सिंह राजगढ़, प्रभाबेन रतलाम, इंद्रजीत सिंह सिन्हा-रीवा, राजेन्द्र ठाकुर सागर, ललित गतरा सतना, पुनाभाई गमित शहडोल, कुमार आशीष सीधी, राजेन्द्र सिंह परमार टीकमढ़, चक्रवर्ती शर्मा उज्जैन, डॉ. राजेश शर्मा विदिशा को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है.
बीजेपी पहले ही करा चुकी है सर्वे
बता दें बीजेपी ने पहले ही प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर प्रवासी विधायकों से 7 दिवसीय सर्वे करा लिया है. फीडबैक सर्वे के दौरान प्रवासी विधायकों ने फील्ड में जाकर मौजूदा विधायकों की स्थिति, क्षेत्र में एंटी इनकम्बेंसी की स्थिति, एंटी इनकम्बेंसी कैसे दूर करेंगे, जिताऊ चेहरा दावेदार कौन, हारी हुई सीटों को जीतने की क्या हो रणनीति, भितरघात की कितनी आशंका है, पार्टी के मैदान मंडल-बूथ कार्यकर्ता का फीडबैक आदि बिदुओं पर सर्वे किया है. इसी तर्ज पर अब कांग्रेस भी प्रवासी नेताओं से सर्वे कराने जा रही है.
स्क्रीनिंग कमेटी में टिकट के क्राइटेरिया को लेकर विवाद
मध्य प्रदेश में सत्ता की तरफ बढ़ रही कांग्रेस पार्टी में विधानसभा चुनाव के टिकट को लेकर तनाव की स्थिति बन गई है। स्ट्रेस का लेवल क्या है, इसका अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि, 100 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम फाइनल करने के लिए हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में, कोई एक राय नहीं बन पाई। मंगलवार शाम की स्थिति में यह कहा जा सकता है कि कमलनाथ मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता हैं परंतु कांग्रेस की नीति के नियंता नहीं है। हालांकि यह फाइनल नहीं है, पिक्चर अभी बाकी है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को साढ़े चार घंटे चली बैठक में टिकट के क्राइटेरिया को लेकर विवाद की स्थिति बनी। सीएम कैंडिडेट कमलनाथ की ओपिनियन और स्ट्रेटजी को स्क्रीनिंग कमेटी का अप्रूवल नहीं मिला। अंदर माहौल कितना गर्म रहा होगा, इस बात का पता इन दो बयानों से भी लगता है। मीटिंग से निकलने के बाद कमलनाथ ने कहा 100 सीटों पर बात हुई, कोई नाम फाइनल नहीं।
स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा कि 150 सीटों पर चर्चा हुई।
स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में कौन-कौन उपस्थित
दिल्ली में कांग्रेस के वार रूम में मंगलवार शाम करीब 6 बजे बैठक शुरू हुई थी। यह रात 10.30 बजे तक चली। बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मौजूद रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह भी बैठक में शामिल हुए।
मीडिया को सुरजेवाला ने संभाला
जब प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पत्रकारों के सवालों से असहज हो गए तो मप्र के प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने परिस्थितियों को संभालने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि, ‘प्रजातांत्रिक प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत की है। कई प्रकार की चर्चा हुई। मापदंडों पर चर्चा हुई कि कौन सबसे बेहतर उम्मीदवार हो सकता है, जीत सकता है, कौन मप्र में कांग्रेस की विचारधारा को आगे बढ़ा सकता है, किसके पास सबसे अधिक जनमत है, कौन मप्र में आदिवासियों, दलित, ओबीसी, गरीब, युवा, महिलाओं की आवाज जाति से ऊपर उठकर बुलंदी से उठा सकता है। उन्होंने कहा, ‘बहुत जल्द हम बेहतरीन से बेहतरीन उम्मीदवार लेकर आएंगे। स्क्रीनिंग कमेटी के बाद ये मामला केंद्रीय चुनाव समिति में जाएगा। केंद्रीय चुनाव समिति फाइनल निर्णय करेगी।
16 सितंबर को मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी कुछ बड़ा करेगी
सुरजेवाला ने कहा, ‘230 सीटें हैं। लगभग हर सीट पर मंत्रणा होगी। उसके बाद सहमति बनाने की प्रक्रिया होगी। कर्नाटक में सबने देखा कि एक दिन में इन सब बातों का निर्णय नहीं हो सकता। कल फिर चर्चा होगी। 16 सितंबर को एक बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस पीसीसी चीफ एक नए कार्यक्रम को लेकर भोपाल में करेंगे। हमारी मंत्रणा, सहमति और सद्भाव पूर्ण वातावरण में हुई। और हर प्रकार से मप्र को जिताने का माहौल पैदा करने के लिए बात हुई।’