Monday, October 14, 2024
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BIG BREAKING NEWS: ममता बनर्जी को सबसे बड़ा झटका,सबसे ताकतवर मंत्री का इस्तीफा,65 सीटों पर भारी

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज हो गई है. शुक्रवार को ममता बनर्जी की TMC को बड़ा झटका लगा है. पार्टी नेता शुभेंदु अधिकारी ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है, बीते कई दिनों से उन्होंने बगावती रुख अपनाया हुआ था.

आपको बता दें कि शुभेंदु अधिकारी ममता सरकार में परिवहन मंत्री के पद पर तैनात थे और बंगाल की राजनीति में बड़ा रुतबा रखते हैं. लेकिन बीते कुछ दिनों से उनके भारतीय जनता पार्टी में जाने की अटकलें तेज थीं, इस बीच आज मंत्री पद से इस्तीफे की खबर आ गई है. मंत्री पद के साथ शुवेंदु अधिकारी ने हल्दिया डेवलेपमेंट अथॉरिटी के पद से भी इस्तीफा दिया है.

गुरुवार को ही शुभेंदु अधिकारी ने पहले हुगली रिवर ब्रिज कमीशन से अपना इस्तीफा सौंपा था और अब मंत्री पद भी त्याग दिया है. ममता बनर्जी को अपना इस्तीफा भेजते हुए शुभेंदु ने लिखा कि मैं मंत्री पद से इस्तीफा देता हूं, मैंने राज्यपाल को इस बारे में जानकारी दे दी है. आपने मुझे राज्य की सेवा करने का मौका दिया, इसके लिए आपका आभार.

नंदीग्राम आंदोलन का प्रमुख चेहरा शुभेंदु अधिकारी पार्टी से 2 बार सांसद रह चुके हैं। उन्होंने अपने कौशल से मिदनापुर इलाके को टीएमसी का गढ़ बनाया। ऐसे में हम अंदाजा लगा सकते हैं कि उनका पार्टी को छोड़ना ममता सरकार पर कितना बड़ा आघात होगा। यही कारण है कि उन्हें मनाने प्रशांत किशोर तक खुद उनके घर पहुँच गए थे। लेकिन प्रशांत की ये कोशिश बेकार गई और शुभेंदु ने उनसे मुलाकात नहीं की।

सिंगूर और नंदीग्राम में हुए आंदोलन ने पश्चिम बंगाल की सियासत से वामपंथ को उखाड़ फेंका था और सत्ता के केंद्र में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) को बिठा दिया। राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर सिंगूर और नंदीग्राम चर्चा के केंद्र में हैं।

अटकलें लगाई जा रही है कि इन दोनों जगहों पर टीएमसी के भीतर जो बगावत शुरू हुई है उसका ममता बनर्जी जल्द समाधान नहीं तलाश पाईं तो लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने का उनका सपना बिखर जाएगा।

यही कारण है कि नंदीग्राम के विधायक शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे की खबरें सामने आते ही उन्हें मनाने की कोशिशें भी शुरू हो गई हैं। पार्टी सांसद सौगत राय का कहना है:

“शुभेंदु ने पार्टी से या विधायक पद से इस्तीफा नहीं दिया है। मैं आपको आश्वस्त करता हूँ कि ये बिलकुल झूठ है कि शुभेंदु, दिल्ली में मोहन भागवत से मिलने जा रहे हैं।”

उधर, सिंगूर विधायक रबीन्द्रनाथ भट्टाचार्जी पहले ही पार्टी छोड़ने की धमकी दे चुके हैं। रबीन्द्रनाथ वही चेहरा हैं जिन्होंने नैनो कारखाने के ख़िलाफ टीएमसी के आंदोलन में उनका साथ दिया था। जानकारी के अनुसार, ब्लॉक अध्यक्ष के पद से अपने करीबी को हटाए जाने की वजह से भट्टाचार्जी नाराज हैं। उनका कहना था कि भ्रष्टाचार से जुड़े लोगों को पार्टी ने सिंगूर ब्लॉक तृणमूल कॉन्ग्रेस का अध्यक्ष बनाया है, जिसका हम लोग विरोध करते है। अगर पार्टी इस विषय पर कोई ठोस कदम नहीं उठाएगी तो हमलोग आगे की रणनीति अपनाएँगे।

सवाल है कि आखिर बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण क्यों इतनी तेजी से बनते-बिगड़ते दिख रहे हैं। आखिर क्यों वह सब लोग ममता सरकार से दूरी बना रहे हैं, जिन्होंने बंगाल में वामपंथी शासन को उखाड़ फेंकने में न केवल टीएमसी की मदद की थी, बल्कि नंदीग्राम-सिंगूर के आंदोलनों में अहम भूमिका अदा की थी।

साल 2011 के चुनावों को यदि याद करें तो पता चलता है कि इन दोनों जगहों पर चुनाव से ठीक पहले हुए आंदोलन टीएमसी के लिए जैकपॉट बने थे। पार्टी ने सिंगूर और नंदीग्राम में औद्योगीकरण के ख़िलाफ मुहिम चलाई थी। तब चूँकि स्थानीय भी वाम शासन से त्रस्त थे और चिह्नित भूमि पर औद्योगिक परियोजना चालू करने के ख़िलाफ थे तो उन्हें टीएमसी समेत सभी आंदोलनकारियों का जमकर साथ दिया।

सिंगूर में चलाए गए नैनो परियोजना के ख़िलाफ अभियान में ममता सरकार का दावा था कि इस प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जमीन काफी ऊपजाऊ है और वहाँ कई फसलें हो सकती हैं। इस अभियान में टीएमसी के साथ कई संगठन शामिल थे। धीरे-धीरे इसी अभियान की आग नंदीग्राम तक भड़की नजर आई थी और ‘कृषि जमीन बचाओ समिति’ की अगुवाई में नंदीग्राम ने जो आंदोलन देखा, उसमें लगभग दर्जनों लोगों की बलि चढ़ी थी। हैरानी इस बात की थी कि नंदीग्राम में केमिकल सेज के लिए केवल जमीन अधिग्रहण की सूचना देने भर से आंदोलन भड़क गया था।

आज दुखद यह है कि उस समय बड़े दावों के साथ जनता को अपने पक्ष में करने वाली टीएमसी सत्ता में आने के बाद उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई। टीएमसी के 10 साल के कार्यकाल के बाद सिंगूर और नंदीग्राम का दोबारा केंद्र में आ जाना उन सभी बयानों को दोबारा ताजा कर देता है जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री व मार्क्सवादी नेता बुद्धदेव चर्चा कर रहे थे। उन्होंने एनडीटीवी को दिए अपने इंटरव्यू में पार्टी की चरमराई स्थिति पर बात करते हुए नंदीग्राम और सिंगूर को अपनी सबसे बड़ी भूल कहा था।

पिछले साल तक भाजपा खुद शुभेंदु को पार्टी से जुड़ने का ऑफर दे रही थी, लेकिन अब मीडिया में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि शुभेंदु स्वयं ही भाजपा की ओर हाथ बढ़ाने वाले हैं। वे शनिवार को बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। मेदिनीपुर, झारग्राम, पुरुलिया, बांकुरा और बीरभूम जैसे जिलों में टीएमसी के प्रभाव के पीछे उन्हें ही की बढ़त का श्रेय दिया दजा रहा है।

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