Monday, December 23, 2024
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मुकेश गुप्ता बनकर रह रहा था मोहम्मद अख्तर शेख,5 बच्चे पहले से

पांच बच्चों के पिता ने कथित रूप से अपनी धार्मिक पहचान छिपाते हुए दूसरे धर्म की लड़की से शादी कर ली. गुजरात के सूरत शहर का ये मामला चर्चा में है. आरोपी का नाम अख़्तर शेख है. खबर के मुताबिक, उसने कथित रूप से अपना नाम मुकेश गुप्ता बताकर हिंदू धर्म की लड़की से शादी कर ली. जब असलियत पता चली तो लड़की ने पुलिस से शिकायत की.

क्या है पूरा मामला?

इंडिया टुडे से जुड़ीं गोपी मानियार की रिपोर्ट के मुताबिक, अख़्तर शेख सूरत का ही रहने वाला है. वो 5 बच्चों का बाप है और उसकी उम्र 50 साल बताई गई है. वहीं, करीब 20 वर्षीय पीड़िता भी सूरत की ही रहने वाली है. वो शहर में एक टेलीकॉम कंपनी के स्टोर पर 2018 से नौकरी कर रही थी. इसी स्टोर पर मुकेश गुप्ता नाम का 50 वर्षीय पुरुष आता रहता था. यहीं से पीड़िता और मुकेश के बीच जान-पहचान हुई. मुकेश ने लड़की को बताया कि वो रेलवे में काम करता है और अविवाहित है. दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे और 2019 में दोनों ने सूरत के ही एक मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज से शादी भी कर ली. बाद में दोनों का एक बेटा भी हो गया.

लेकिन मई 2021 में पीड़िता को पता चला कि मुकेश की असली पहचान मोहम्मद अख़्तर शेख़ है. उसकी शादी हो चुकी है और 5 बच्चे भी हैं. इसके बाद मई में ही पूजा ने अख़्तर के ख़िलाफ़ सूरत के डिंडोली थाने में कानूनी कार्रवाई के लिए अर्जी लगा दी थी. अब तीन महीने बाद FIR दर्ज की गई है. शिकायत में पीड़िता ने ये भी दावा किया है कि आरोपी ने उसके परिवार से नौकरी लगवाने के नाम पर 12 लाख रुपये भी लिए हैं.

आरोपी और पीड़िता ने 2019 में एक मंदिर में शादी की थी.
बता दें कि गुजरात देश के उन राज्यों में से एक है, जहां धर्मांतरण कानून लागू है. जून में वहां ये कानून लागू हुआ था, जो कहता है कि शादी के नाम पर जबरन या धोखे से धर्मांतरण कराने या धार्मिक पहचान के नाम पर धोखा देकर शादी करने पर 5 साल तक की जेल और 2 लाख रुपये तक जुर्माना लग सकता है.

वहीं, अगर पीड़ित महिला है, नाबालिग है, दलित है या आदिवासी है तो सजा 7 साल तक की और जुर्माना 3 लाख रुपये तक भी हो सकता है. साथ ही इस तरह की शादियों को न्यायालय के माध्यम से रद्द भी किया जा सकता है. गुजरात के अलावा उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी धर्मांतरण संबंधी कानून लागू हैं. मध्य प्रदेश में सबसे पहले इस तरह का कानून लागू हुआ था.

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