दिल्ली की शराब नीति को लेकर भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी आमने-सामने हैं। दोनों ही पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप एवं जुबानी जंग जारी है। आप ने मंगलवार को कहा कि उसने दिल्ली में भाजपा के ‘ऑपरेशन लोटस’ को नाकाम कर दिया तो भगवा पार्टी ने शराब नीति को लेकर उस पर पलटवार किया। भाजपा प्रवक्ता एवं सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि शराब नीति मामले में आम आदमी पार्टी ‘झूठ की उत्पादक एवं वितरक’ दोनों है। सुधांशु ने कहा कि दिल्ली की आबकारी नीति में नियमों एवं शर्तों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है लेकिन केजरीवाल सरकार ने इसकी पूरी तरह से अनदेखी की और नियमों का उल्लंघन किया।
‘उत्पादक एवं वितरक एक समान नहीं होने चाहिए’
भाजपा नेता ने पूछा कि शराब नीति में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि उत्पादक एवं वितरक एक समान नहीं होने चाहिए क्योंकि ये बाजार में दामों को प्रभावित कर सकते हैं और शराब के कारोबार में अपना आधिपत्य जमा सकते हैं। त्रिवेदी से सवाल किया कि एक्साइज विभाग ने शराब की टेंडरिंग को लेकर 25 अक्टूबर 2021 की आपत्ति उठाई थी इस पर केजरीवाल सरकार ने क्या कार्रवाई की। इस बारे में उसे बताना चाहिए। वहीं, भाजपा सांसद साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि आम आदमी पार्टी जनता को मुद्दों से भटका रही है, वह सवालों का सीधे जवाब नहीं दे रही।
केजरीवाल सरकार को गिराने का आरोप
आप नेता सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली में केजरीवाल सरकार को गिराने का आरोप लगाया। दिल्ली में मंगलवार को पीसी को संबोधित करते हुए भारद्वाज ने कहा कि भाजपा ने दिल्ली सरकार को गिराने की साजिश रची। यहां पर उसने ‘ऑपरेशन लोटस’ चलाने की कोशिश की लेकिन उसका प्रयास यहां नाकाम हो गया। भारद्वाज ने भाजपा पर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘जनता सरकार चुनती है और बीजेपी उसे गिराती है। आप नेताओं को बीजेपी ऑफर दे रही है।
सिसोदिया के घर CBI की रेड
बता दें कि दिल्ली की आबकारी नीति मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है। दिल्ली का आबकारी विभाग डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के पास है। मामले में सिसोदिया के घर सहित देश भर के 31 ठिकानों पर जांच एजेंसी की छापे की कार्रवाई हो चुकी है। अब इस मामले में ईडी की भी जांच शुरू होने वाली है। ईडी इस मामले में मनीलॉन्ड्रिंग एंगल की जांच करेगी। शराब नीति को लेकर भाजपा केजरीवाल सरकार पर हमलावर है। दोनों पार्टियों के बीच नजरिए की लड़ाई भी है। भाजपा को लगता है कि इस बार वह इस मामले में केजरीवाल सरकार को कठघरे में खड़ा करने में कामयाब हो जाएगी।