14 साल काटी जेल, रिहाई से 11 दिन पहले हाई कोर्ट ने किया दोषमुक्त,
एक सैनिक को सजा पूरी होने के महज 11 दिन पहले बरी कर दिया गया।
मध्य प्रदेश में एक अजीब घटना सामने आई है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक पूर्व सैनिक को सजा पूरी होने के महज 11 दिन पहले दोषमुक्त कर दिया। सैनिक ने 14 साल की सजा काट ली थी।
देश की न्यायिक व्यवस्था को लेकर पहले भी कई अनोखी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ऐसी ही एक घटना मध्य प्रदेश में सामने आई है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे एक पूर्व सैनिक को सजा पूरी होने के महज 11 दिन पहले दोषमुक्त कर दिया। उसने 14 साल की सजा काट ली थी। सरकार 26 जनवरी 2021 को उसे रिहा करने जा रही थी।
मामला मुरैना जिले के ग्राम भर्राद का है। इस गांव के निवासी बलवीर सिंह यादव व राधेश्याम पर बामौर थाने में हत्या का केस दर्ज किया गया था। बलवीर सेना में राइफल मैन थे। केस दर्ज होने पर उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था। पुलिस ने बलवीर को वर्ष 2006 में गिरफ्तार किया और 2009 में अपर सत्र न्यायालय मुरैना ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि दूसरे आरोपित राधेश्याम को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया।
फैसले के बाद बलवीर को ग्वालियर सेंट्रल जेल भेज दिया गया, जहां उन्होंने करीब 14 साल सजा काट ली। कोरोना की वजह से हाई कोर्ट में भौतिक सुनवाई बंद थी, इसलिए प्रायोगिक तौर पर तीन दिसंबर 2020 को अंतिम सुनवाई के प्रकरणों की सूची तैयार की गई। बलवीर के अधिवक्ताओं द्वारा अंतिम बहस के लिए सहमति देने पर तीन दिसंबर 2020 को अंतिम बहस हुई।
अधिवक्ता एआर शिवहरे ने तर्क दिया कि गवाहों की गवाही में अपराध सिद्ध नहीं हो रहा है। केस की जो परिस्थितियां हैं, उन्हें नहीं देखा गया। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। अंतत: 15 जनवरी को बलवीर की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया।
दरअसल, अदालतों में लगा मुकदमों का अंबार भी त्वरित न्याय की दिशा में एक बड़ी चुनौती है। इससे निबटने के लिए लगातार योजनाएं भी बनती रहती हैं लेकिन नतीजा सामने नहीं आ पाता। जानकारों का कहना है कि यदि न्यायाधीशों के खाली पड़े सभी पद भर दिए जाएं तो शायद विलंबित न्याय की समस्या काफी कुछ हल हो सकती है। साल 2020 में देश के विभिन्न हाईकोर्ट में बड़ी संख्या में नए न्यायाधीशों की नियुक्तियां हुई थीं लेकिन बावजूद इसके हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के एक-तिहाई से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।