Friday, October 18, 2024
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जिहादी जानवर और सेक्यूलर सुअर बता रहे अल कबीर कत्लखाने को हिंदू का,जानिए इन गंवार अनपड़ो की सच्चाई

 

मीट कंपनी अल कबीर के मालिकाना हक को लेकर वायरल दावा FAKE व RSS के खिलाफ दुष्प्रचार

अल कबीर के मालिकाना हक को लेकर किया जा रहा दावा फेक और आरएसएस के प्रति दुष्प्रचार है। कंपनी की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, कंपनी का मालिकाना हक पूरी तरह से गुलामुद्दीन एम शेख के पास है, जो इसके चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। साथ ही, हैदराबाद बूचड़खाना का परिचालन आसिफ गुलामुद्दीन और अरशद सिद्दीकी के पास हैं, जो कंपनी में पूर्णकालिक निदेशक हैं। गुलामुद्दीन परिवार के अलावा किसी और परिवार या व्यक्ति का कंपनी में कोई हित नहीं है। साथ ही यह दावा भी गलत है कि हैदराबाद बूचड़खाना से गोवंश के मांस का निर्यात किया जाता है। इस बूचड़खाना से केवल भैंसों के मांस का निर्यात किया जाता है।

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सोशल मीडिया पर वायरल एक इन्फोग्राफिक्स के जरिए यह दावा किया जा रहा है कि एशिया के सबसे बड़े गौ कत्लखाने का नाम “अलकबीर” है, जिसके मालिक गुजरात से आने वाले हिंदू हैं और वे सभी के सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े हुए हैं। पोस्ट के जरिए यह बताने की कोशिश की जा रही है कि अल कबीर कथित रूप से “हिंदू” कंपनी है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया, जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ दुष्प्रचार की मंशा से शेयर किया जा रहा है। कंपनी ने अपने खिलाफ जारी दुष्प्रचार के दावों का खंडन करते हुए स्वयं को “मुस्लिम” कंपनी बताया है, जिसकी तरफ से आपूर्ति कराया जाने वाला मांस “हलाल” और शरिया दिशानिर्देशों के मुताबिक है। कंपनी की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, कंपनी का मालिकाना हक पूरी तरह से गुलामुद्दीन एम शेख के पास है, जो इसके चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। साथ ही, हैदराबाद बूचड़खाना का परिचालन आसिफ गुलामुद्दीन और अरशद सिद्दीकी के पास हैं, जो कंपनी में पूर्णकालिक निदेशक हैं। गुलामुद्दीन परिवार के अलावा किसी और परिवार या व्यक्ति का कंपनी में कोई हित नहीं है।

मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स पर मौजूद जानकारी और कंपनी की तरफ से दी गई सूचना से भी इस दावे की पुष्टि होती है। इसके मुताबिक, कंपनी के पूर्णकालिक निदेशक का नाम शब्बीर आमिर शेख है, वहीं आसिफ गुलामुद्दीन शेख, अरशद सलार सिद्दीकी, अल्ताफ गुलामुद्दीन शेख और कुलदीप सिंह बरार इसके डायरेक्टर या निदेशक हैं।

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सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भी कई अन्य यूजर्स ने इस इन्फोग्राफिक्स को समान दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

जांच की शुरुआत हमने अल कबीर एक्सपोर्ट्स की वेबसाइट से की। वेबसाइट के About Us (हमारे बारे में) सेक्शन में अल कबीर एक्सपोर्ट्स को लेकर सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे मिस-इन्फॉर्मेशन के बारे में जारी किया हुआ खंडन मिला। खंडन में साफ-साफ लिखा हुआ है, “अल कबीर एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, भारतीय कंपनी है, जो भारत से मटन और बीफ का निर्यात करती है, यह एक मुस्लिम कंपनी है।” इसमें आगे बताया गया है, “अल-कबीर गाय, सांढ़ या बछड़ों को नहीं मारता है। यह स्थानीय कानून और भारत सरकार की निर्यात नीति के नियमों का पालन करते हुए भैंसों का वध करता है।” इसमें बताया गया है, “अल-कबीर का मीट 100 फीसदी हलाल और शरिया के सख्त दिशानिर्देशों के मुताबिक है”

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Source-https://www.alkabeerexports.com/index.php/about/

कंपनी के मालिकाना हक के बारे में दी गई जानकारी की पुष्टि के लिए हमने मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स की वेबसाइट को चेक किया, क्योंकि अल कबीर शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनी नहीं है।

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मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स की वेबसाइट पर कंपनी के निदेशक के बारे में मौजूद जानकारी।

मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, कंपनी के कुल पांच डायरेक्टर हैं। शब्बीर आमिर शेख, जहां कंपनी के पूर्णकालिक निदेशक हैं, वहीं आसिफ गुलामुद्दीन शेख, अरशद सलार सिद्दीकी, अल्ताफ गुलामुद्दीन शेख और कुलदीप सिंह बरार कंपनी के निदेशक हैं।

ईटी की 2007 की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी की शुरुआत सबरवाल और शेख फैमिली के बीच 50:50 की साझेदारी में हुई थी। आम तौर पर निजी कंपनियों में कंपनी के मालिक उसके डायरेक्टर भी होते हैं और इस बात की पुष्टि शेयरहोल्डिंग पैटर्न से होती है।

‘अल-कबीर ग्रुप एमई’ के आधिकारिक यू-ट्यूब चैनल पर हमें समूह की तरफ से जारी किया हुआ वीडियो मिला, जिसमें इसके मालिकाना हक के बारे में जानकारी दी हुई है। दी गई जानकारी के मुताबिक, “कंपनी का मालिकाना हक पूरी तरह से गुलामुद्दीन एम शेख के पास है, जो इसके चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं।” साथ ही, “हैदराबाद बूचड़खाना का परिचालन आसिफ गुलामुद्दीन और अरशद सिद्दीकी के पास हैं, जो कंपनी में पूर्णकालिक निदेशक हैं। गुलामुद्दीन परिवार के अलावा किसी और परिवार या व्यक्ति का कंपनी में कोई शेयर नहीं है।”

यह जानकारी एमसीए की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी से मिलती है। वापस वायरल इन्फोग्राफिक्स में किए दावे पर आते हैं, जिसमें दो दावे किए गए थे।

पहला कि अल कबीर बूचड़खाने में गायों को मारा जाता है, जो गलत है। इस बूचड़खाने में गोवंश को नहीं मारा जाता है, बल्कि भारत सरकार की निर्यात नीति और स्थानीय कानूनों के मुताबिक, केवल भैंसों को मारा जाता है।

दूसरा इस बूचड़खाना का स्वामित्व हिंदुओं के पास है। अल-कबीर समूह की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक हैदराबाद बूचड़खाना का परिचालन आसिफ गुलामुद्दीन और अरशद सिद्दीकी के पास हैं, जो कंपनी में पूर्णकालिक निदेशक हैं और यही परिवार कंपनी का मालिक है।

वायरल इन्फोग्राफिक्स में किए गए दावे को लेकर हमने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रांत प्रचार प्रमुख राजीव तुली से संपर्क किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ दुष्प्रचार बताते हुए उन्होंने वायरल पोस्ट में किए गए दावे का खंडन किया। उन्होंने कहा कि संघ को अक्सर इस तरह के तथ्यहीन दावों के जरिए निशाना बनाया जाता है।

वायरल दावे को लेकर  अल-कबीर समूह से ईमेल के जरिए संपर्क किया। उनकी तरफ से जवाब आने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा।

निष्कर्ष: अल कबीर (मीट कंपनी) के मालिकाना हक को लेकर किया जा रहा दावा फेक और आरएसएस के प्रति दुष्प्रचार है। कंपनी की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, कंपनी का मालिकाना हक पूरी तरह से गुलामुद्दीन एम शेख के पास है, जो इसके चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। साथ ही, हैदराबाद बूचड़खाना का परिचालन आसिफ गुलामुद्दीन और अरशद सिद्दीकी के पास हैं, जो कंपनी में पूर्णकालिक निदेशक हैं। गुलामुद्दीन परिवार के अलावा किसी और परिवार या व्यक्ति का कंपनी में कोई शेयर नहीं है। साथ ही यह दावा भी गलत है कि हैदराबाद बूचड़खाना से गोवंश के मांस का निर्यात किया जाता है। इस बूचड़खाना से केवल भैंसों के मांस का निर्यात किया जाता है।

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