13 से 16 साल की 8 बच्ची, आसिफ, आमिर सहित 32 ने किया यौन शोषण: 150 केस दर्ज, ग्रूमिंग जिहाद ब्रिटेन में भी भयंकर
ग्रूमिंग जिहाद (लव जिहाद) के मामले सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों से सामने आ रहे हैं। यूनाइटेड किंगडम के वेस्ट यॉर्कशायर (West Yorkshire) पुलिस ने 32 लोगों पर 8 नाबालिग लड़कियों के साथ यौन अपराधों के 150 मामले दर्ज किए हैं। ग्रूमिंग जिहाद यूके के भीतर सबसे बड़ा आपराधिक प्रकरण बनकर उभरा है, जिसमें मुस्लिम युवक श्वेत लड़कियों का यौन उत्पीड़न और उनकी ग्रूमिंग करते हैं। इस घटना से एक बात स्पष्ट होती है कि ग्रूमिंग जिहाद एक वैश्विक समस्या का रूप ले रहा है।
इन आपराधिक वारदातों को किरक्लीस (Kirklees), ब्रैडफोर्ड (Bradford) और वेकफील्ड (Wakefield) में 1999 से 2012 के दौरान 13 से लेकर 16 साल की पीड़िताओं के साथ अंजाम दिया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ तमाम पीड़िताओं को वयस्क होने के बाद भी जघन्य अपराधों का शिकार होना पड़ा था। इन वारदातों के ज़्यादातर आरोपित बैटले और ड्यूसबेरी (Batley and Dewsbury) क्षेत्र के निवासी हैं। इन पर तमाम गंभीर यौन अपराधों का आरोप है जिसमें बलात्कार, बच्चों का यौन शोषण, तस्करी, बलात्कार का षड्यंत्र, बच्चों की अश्लील तस्वीरें तैयार करना शामिल है।
11 से 14 दिसंबर के बीच होगी अदालत में पेशी
इन घटनाओं के सभी आरोपित जमानत पर बाहर हैं। 11 से 14 दिसंबर के बीच इन्हें किरक्लीस मजिस्ट्रेट अदालत (Kirklees Magistrate Court) में पेश किया जाना है। इन आरोपितों में आसिफ़ अली (50), आमिर अली हुसैन (42), सरफ़राज़ मिराफ़ (45), नज़म हुसैन (43), मोहसिन नदत (35), मोहम्मद नज़म नसर (35), जब्बर कयूम (39), मोहम्मद तौसीफ़ हनीफ़ (36), ज़फर कयूम (41) शामिल हैं। इसके अलावा अपराधियों की सूची में सरकौत यासीन (35), मोहम्मद इमरान ज़दा (41), शकील दाजी (41), इब्राहिम पंडोर (41), अमरान मेहरबान (37), सलीम मोहम्मद नासिर (44), अली हुसैन शाह (35) और माइकल बर्केन शॉ (34) भी शामिल हैं।
2018 से 2019 के बीच इंग्लैंड में 19 हज़ार बच्चों के साथ हुआ यौन उत्पीड़न
डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़ आधिकारिक आँकड़ों में अनुमान लगाया था कि पिछले साल इंग्लैंड में लगभग 19,000 नाबालिगों के साथ यौन ग्रूमिंग (sexual grooming) की वारदात अंजाम दी गई थी। इंग्लैंड में स्थानीय प्रशासन ने 2018-19 में कुल 18,700 पीड़ितों की पहचान की थी, जिनकी संख्या पाँच साल पहले 3300 थी। इन आँकड़ों से साफ़ है कि पिछले पाँच सालों में चाइल्ड ग्रूमिंग (child grooming) के मामलों में कितनी बढ़ोतरी आई है।
ब्रिटेन में चाइल्ड ग्रूमिंग के सबसे ज़्यादा पीड़ित बर्मिंघम (Birmingham), लैंकशायर (Lancashire) और ब्रैडफोर्ड (Bradford) में पाए गए थे। होम ऑफिस के प्रवक्ता ने कहा था, “विभाग बच्चों के साथ होने वाली यौन उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। इस तरह के घिनौने व्यवहार को रोकने के लिए विभाग कोई कसर नहीं छोड़ेगा।” मीडिया वालों से बात करते हुए लेबर सांसद (Labour MP) सराह चैम्पियन (Sarah Champion) ने इस मुद्दे पर कहा था कि आँकड़े देखने पर पता चलता है कि इस तरह का शोषण हमारे देश में बच्चों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न का सबसे बड़ा स्वरूप है।
यूके में ग्रूमिंग जिहाद
इस तरह के ग्रूमिंग गैंग में ज़्यादातर मुस्लिम व्यक्ति ही शामिल होते हैं जो कम उम्र की लड़कियों और महिलाओं पर घात लगाते हैं, उनकी कमज़ोरी पहचानते हैं और गैर मुस्लिम होने की सज़ा के तौर पर उनके साथ बलात्कार करते हैं। देश के तमाम लोगों ने इसे रेप जिहाद’ का नाम दिया है, लेकिन प्रशासन नस्लभेद के आरोप की वजह से इन गैंग्स पर विशेष रूप से कार्रवाई नहीं कर पाता है।
अपनी किताब इजी मीट (easy meat) में पीटर मैकलॉगइन (Peter McLoughlin) ने उल्लेख किया था कि सिख समूह इस प्रक्रिया के बारे में जानते थे और वह इसके बारे में सभी को जागरूक करने का प्रयास भी कर रहे थे। इतना ही नहीं पिछले वर्ष लेबर सांसद सराह चैम्पियन को बलात्कारियों की पहचान का ज़िक्र करने पर ‘शैडो कैबिनेट’ से बाहर निकाल दिया गया था। तमाम हिन्दू और सिख संगठनों ने इस बात पर सांसद की तारीफ़ भी की थी और कहा था कि पिछले कई दशकों में हिन्दू और सिख समुदाय की महिलाओं के साथ बलात्कार और ग्रूमिंग को अंजाम दिया गया है।
एक सिख समूह द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक़, पिछले कई दशकों में पाकिस्तानी लोगों ने ब्रिटेन में सिख समुदाय की युवतियों के साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न के लिए ग्रूमिंग की है। अध्ययन में यह भी दावा किया गया है कि राजनीतिक दृष्टिकोण से सही बने रहने की वजहों के चलते पुलिस ने इस तरह की तमाम शिकायतों को नज़रअंदाज़ ही किया है। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, “शोध में यह बात सामने आई है कि पाकिस्तानी ग्रूमिंग गैंग्स ने पिछले 50 सालों में तमाम सिख महिलाओं को निशाना बनाया है।
रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के चलते इस तरह के नेटवर्क को पनपने का मौक़ा मिला है। इसके अनुसार, “सिख नेताओं का कहना है कि पिछले 3 दशकों में वेस्ट मिडलैंड्स के भीतर सिख परिवार के मुखियाओं ने अपने बच्चों के साथ होने वाली यौन उत्पीड़न की घटनाओं के संबंध में कई बार शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया है, लेकिन उन्हें निराशा के अलावा कुछ और हासिल नहीं हुआ।”
ग्रेटर मैनचेस्टर के मेयर एंडी बर्नहम द्वारा अधिकृत रिपोर्ट में बताया गया था कि लगभग 100 सदिग्धों के पीडोफाइल नेटवर्क पर वर्ष 2000 के दौरान दक्षिण मैनचेस्टर में 57 नौजवान लड़कियों के शोषण का आरोप है। इसमें ज़्यादातर एशियाई व्यक्ति शामिल थे जो लड़कियों को ड्रग्स का लालच देकर अपने जाल में फँसाते थे और उनका उत्पीड़न करते थे। 50 साल के व्यक्ति ने 15 साल की लड़की को मादक पदार्थ (हेरोइन) का इंजेक्शन दिया था जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हो गई थी। इस रिपोर्ट ने ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस के रवैए को भी उजागर किया था जो ऐसे मामलों के आरोपित एशियाई मुस्लिमों के गिरोहों से निपटने में पक्षपाती थे।