तमिलनाडु पुलिस के एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (एटीएस) और कोयंबटूर सिटी पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए 1998 के कोयंबटूर सीरियल बम धमाकों के मुख्य आरोपी सादिक (उर्फ टेलर राजा, वलर्न्था राजा, शहजहां अब्दुल मजीद मकंदर, शहजहां शेख) को कर्नाटक के विjaipurा जिले से गिरफ्तार किया है.
यह आरोपी कोयंबटूर का मूल निवासी है और पिछले 29 साल से फरार था. वह 1996 के बाद कभी गिरफ्तार नहीं हुआ था. इस गिरफ्तारी को तमिलनाडु पुलिस की आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों में बड़ी सफलता माना जा रहा है. पुलिस के मुताबिक, सादिक कई आतंकी और सांप्रदायिक हत्या के मामलों में शामिल रहा है.
Coimbatore Blasts Main Accused Arrested: 1998 कोयंबटूर सीरियल बम धमाकों का मास्टरमाइंड सादिक उर्फ टेलर राजा आखिरकार 29 साल बाद गिरफ्तार हुआ. वह कर्नाटक में छिपा था. इस हमले में 58 लोग मारे गए थे और 250 घायल हुए थे.
- कोयंबटूर बम धमाकों का मुख्य आरोपी सादिक उर्फ टेलर राजा गिरफ्तार.
- 29 साल से फरार आतंकी कर्नाटक के विजयपुरा में छिपा मिला.
- अल-उम्मा का सक्रिय सदस्य, कई बड़े आतंकी मामलों में था वांछित.
चेन्नई: तमिलनाडु की सबसे भयानक आतंकी घटनाओं में शामिल 1998 के कोयंबटूर सीरियल बम धमाकों का मुख्य आरोपी आखिरकार 29 साल बाद पुलिस की गिरफ्त में है. एटीएस और कोयंबटूर सिटी पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में पकड़े गए इस आरोपी का नाम है सादिक, जिसे ‘टेलर राजा’ के नाम से भी जाना जाता है. उसकी गिरफ्तारी कर्नाटक के विजयपुरा जिले से हुई है और यह आतंकी पिछले तीन दशकों से फरार था.
कोयंबटूर का रहने वाला सादिक आतंकवाद और सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े कई मामलों में वांछित था. वह 1996 के पेट्रोल बम हमले, 1997 में मदुरै में जेलर जयप्रकाश की हत्या और नागौर में सायथा मर्डर केस में भी आरोपी रहा है. लेकिन सबसे ज्यादा भयावह उसका संबंध 1998 के सीरियल बम धमाकों से रहा. इसमें 58 निर्दोष लोगों की जान गई और 250 से ज्यादा घायल हुए.
बम बनाने का काम भी जानता था टेलर राजा
सादिक न केवल बम धमाकों का प्लानर माना जाता है बल्कि उसने बम बनाने और विस्फोटकों की आपूर्ति में भी अहम भूमिका निभाई थी. वह प्रतिबंधित आतंकी संगठन अल-उम्मा का सक्रिय सदस्य रहा है, जो दक्षिण भारत में सांप्रदायिक आतंकवाद फैलाने के लिए बदनाम रहा है.
कैसे पकड़ा गया टेलर राजा?
तमिलनाडु एटीएस को विश्वसनीय सूचना मिली थी कि सादिक कर्नाटक के विजयपुरा में छिपा हुआ है. इसके बाद चलाए गए एक गुप्त ऑपरेशन में पुलिस ने उसे दबोच लिया. इस गिरफ्तारी को तमिलनाडु पुलिस की हाल की तीसरी बड़ी आतंकरोधी सफलता माना जा रहा है. इससे पहले दो अन्य मोस्ट वांटेड आतंकी आंध्र प्रदेश से पकड़े गए थे.
इस गिरफ्तारी से यह सवाल फिर उठ रहा है कि भारत में आतंकी इतने लंबे समय तक कैसे अंडरग्राउंड रहते हैं? और क्या अब भी कोई बड़ा नेटवर्क सक्रिय है? पुलिस को उम्मीद है कि सादिक की पूछताछ से छिपे हुए मॉड्यूल्स, फंडिंग नेटवर्क और अन्य फरार आतंकियों की जानकारी मिल सकती है.
तमिलनाडु पुलिस का दावा है कि यह सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा संदेश है. कितनी भी देर हो जाए, लेकिन कानून का हाथ हर गुनहगार तक जरूर पहुंचता है






