रूस ने मॉस्को में स्थित कंसर्ट हॉल पर हमला और 137 लोगों की हत्या करने के मामले में चार लोगों पर आरोप लगाए हैं.
इनमें से तीन लोगों को लड़खड़ाती हुई हालात में और चौथे शख़्स को व्हीलचेयर पर अदालत के अंदर लाया गया.
इस्लामिक स्टेट ने शुक्रवार को क्रॉकस सिटी हॉल पर हुए इस हमले की ज़िम्मेदारी लेते हुए वीडियो साक्ष्य पेश किए हैं.
हालांकि, रूसी अधिकारियों ने किसी तरह का सबूत पेश किए बग़ैर इस हमले में यूक्रेन का हाथ बताया है जिसे यूक्रेन ने बेतुका बयान करार दिया है.
कौन हैं मॉस्को के हमलावर
इन चार लोगों के नाम डलेद्ज़ोन मिरज़ोयेव, सैदाक्रामी मुरोडाली राखबलिज़ोदा, शमसिदिन फरीदूनी और मुहम्मद फैज़ोव हैं.
सामने आए एक वीडियो में कुछ नकाबपोश पुलिसकर्मी तीन अभियुक्तों को बेसमेनी ज़िले की अदालत में ले जाते दिख रहे हैं.
वीडियो देखने पर लगता है कि सभी अभियुक्तों को बुरी तरह पीटा गया है. इन अभियुक्तों के साथ बर्बर ढंग से हुई पूछताछ के वीडियो संभवत: रूसी सुरक्षा बलों की ओर से लीक किए गए हैं. एक शख़्स को बिजली के झटके दिए जाने की भी ख़बरें हैं.
अदालत ने जिन दो लोगों की पहचान मिरज़ोयेव और राखबलिज़ोदा के रूप में की है, उनकी आंखों के आसपास कालापन था.
वहीं, राखबलिज़ोदा के कान पर काफ़ी ज़्यादा पट्टी बांधी गयी है.
कुछ ख़बरों के मुताबिक़, राखबलिज़ोदा को पकड़ते वक़्त उनका कान आधा उखड़ गया था. वहीं, मिरज़ोयेव की गर्दन पर पॉलिथीन बंधी हुई दिखाई दी.
फरीदूनी नामक शख़्स का चेहरा बुरी तरह सूजा हुआ दिखता है. इसके साथ ही फेज़ोव नामक शख़्स बेहोश नज़र आ रहा था. उसे एक पतले हॉस्पिटल गाउन में व्हीलचेयर पर लेकर आया गया.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, उसकी एक आँख गायब नज़र आ रही है.
अदालती कार्यवाही के दौरान सभी अभियुक्तों को शीशे से ढके बूथ में रखा गया. वे जितने वक़्त कोर्ट में रहे, उतने वक़्त उनके आसपास नकाबपोश पुलिसकर्मी मौजूद नज़र आए.
मैसेज़िंग सर्विस टेलीग्राम पर दिखे एक कोर्ट स्टेटमेंट के मुताबिक़, मिरज़ोयेव और राखबलिज़ोदा ने अपना गुनाह कबूल किया है.
रूस की स्टेट न्यूज़ एजेंसी तास के मुताबिक़, इन लोगों की पहचान ताजिकिस्तानी नागरिकों के रूप में की गई है.
अदालत ने बताया है कि इन चारों लोगों को 22 मई तक प्री-ट्रायल डिटेंशन में रखा जाएगा.
छह हज़ार लोगों पर चलाई गोलियां
शुक्रवार की रात चार बंदूकधारियों ने उत्तरी मॉस्को में स्थित क्रॉकस सिटी हॉल में मौजूद करीब 6,000 लोगों पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया. ये लोग एक रॉक कंसर्ट में हिस्सा ले रहे थे.
इसके बाद हमलावरों ने कंसर्ट हॉल में आग लगा दी जिससे उसकी छत नीचे गिर गई.
रूसी अधिकारियों ने कहा है कि इस हमले में 137 लोगों की जान गई है और 100 से ज़्यादा लोग जख़्मी हुए हैं.
रूसी ख़ुफ़िया एजेंसी फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (एफ़एसबी) ने कहा है कि अदालत में नज़र आए चारों लोग हमले के 14 घंटे बाद रविवार को ब्रायंस्क इलाक़े से गिरफ़्तार किए गए हैं.
ब्रायंस्क रूस की राजधानी मॉस्को के दक्षिण पश्चिम में क़रीब 400 किलोमीटर दूर है.
इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की ज़िम्मेदारी लेते हए एक वीडियो जारी किया है जिसमें हमलावर गोलियां चलाते दिख रहे हैं.
बीबीसी ने अपनी जांच में इस वीडियो को असली पाया है.
हालांकि, रूस के किसी भी अधिकारी ने ये दावा स्वीकार नहीं किया है. उन्होंने सबूत दिए बग़ैर कहा है कि हमलावरों को यूक्रेन से मदद मिल रही थी और उसने हमलावरों को सीमा पार कराने के लिए एक व्यवस्था भी की हुई थी.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने रविवार को ये दावे ख़ारिज किए हैं.
यूक्रेन के मिलिट्री इंटेलिजेंस डायरेक्टरेट ने कहा है कि ‘ये बयान बेतुका है कि ये लोग उस सीमा को पार कर सुरक्षित स्थान पर जाना चाहते थे जो कि बारूदी सुरंगों और लाखों रूसी सैनिकों से अटी पड़ी है.
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एड्रिने वॉटसन ने कहा है कि इस्लामिक स्टेट ‘इस हमले के लिए ज़िम्मेदार है. इसमें यूक्रेन किसी तरह शामिल नहीं था.’
रूस में अब तक इस मामले में सात अन्य संदिग्धों को भी पकड़ा गया है.
इस्लामिक स्टेट के निशाने पर क्यों है रूस?
अमेरिका ने इस महीने की शुरुआत में रूस को चेतावनी देते हुए कहा था कि किसी ऐसी जगह पर हमला किया जा सकता है, जहां बहुत सारे लोग एकत्रित हों.
इसके बाद अपने नागरिकों के लिए पब्लिक एडवाइजरी जारी की गई थी.
रूसी सरकार ने इस चेतावनी को दुष्प्रचार की संज्ञा देते हुए दरकिनार कर दिया और अपने राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने का प्रयास बताया.
अमेरिकी सरकार ने हमले के बाद कहा है कि उसके पास इस्लामिक स्टेट के दावे पर भरोसा न करने के लिए कोई वजह नहीं है.
ये पहला मौका नहीं है जब इस्लामिक स्टेट या उसकी शाखाओं ने रूस और दुनिया भर में उसके हितों को निशाना बनाया हो.
इसी समूह ने साल 2014 में मिस्र में रूसी विमान में बम धमाके की ज़िम्मेदारी ली थी. इस विमान में 224 लोग सवार थे और ज़्यादातर लोग रूसी नागरिक थे.
इसके साथ ही इस्लामिक स्टेट ने साल 2017 में सेंट पीटर्सबर्ग मेट्रो में हुए बम धमाके की ज़िम्मेदारी ली थी जिसमें 15 लोगों की मौत हुई थी.
सुरक्षा विश्लेषकों के मुताबिक़, इस्लामिक स्टेट कई वजहों से रूस को निशाना बनाता है.
इसकी एक वजह सीरिया में इस्लामिक स्टेट के किले को ढहाकर असद सरकार को मजबूती देने में रूस की भूमिका है.
वहीं, एक अन्य वजह पहले सोवियत संघ और फिर रूस की ओर से दो मुस्लिम बाहुल्य इलाक़ों में युद्ध लड़ना है.
पहली जगह अफ़ग़ानिस्तान है जहां सोवियत संघ ने एक लंबा युद्ध लड़ा है. वहीं, दूसरी जगह चेचन्या है जहां रूस ने 1994-2009 तक लंबी लड़ाई लड़ी है.
आईएस-के मुख्य रूप से अफ़ग़ानिस्तान और सेंट्रल एशिया के कुछ इलाक़ों में सक्रिय है. इसका नाम भी इस क्षेत्र के पुराने नाम पर पड़ा है.
ये इस्लामिक स्टेट से निकली शाखाओं में सबसे सक्षम और सक्रिय है. इसी शाखा को साल 2021 के सितंबर में काबुल एयरपोर्ट पर हुए धमाके के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता है.
ये शाखा अक्सर अपने दुष्प्रचार में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आलोचना करती है.