कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक विज्ञापन पर विवाद बढ़ गया है. बीजेपी ने इस मामले में कर्नाटक कांग्रेस कमेटी, डीके शिवकुमार, सिद्धारमैया और राहुल गांधी को लीगल कानूनी नोटिस भेजा है और शिकायत की है. वहीं, चुनाव आयोग ने उस विज्ञापन को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना है. अखबारों में प्रकाशित विज्ञापन पर आयोग ने कांग्रेस को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
चुनाव आयोग ने कांग्रेस को 7 मई यानी रविवार शाम 7 बजे तक इस नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. आचार संहिता के प्रावधान 2 अंश 1 के मुताबिक चुनाव प्रचार के दौरान विरोधी पार्टी की वर्तमान और पूर्व नीतियों और मुद्दों की बात की जा सकती है, ना कि निजी जिंदगी की, जिसका जनता से कोई लेना-देना ना हो. यानि अपुष्ट और आधारहीन आरोपों पर कोई बात कहनी, करनी, प्रकाशित या प्रसारित करना आचार संहिता का उल्लंघन होगा.
‘जवाब नहीं दिया तो एक्शन लेगा चुनाव आयोग?’
चुनाव आयोग ने कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाम नोटिस जारी किया है और उसमें ये चेतावनी भी दी है कि तय समय सीमा तक अगर नोटिस का जवाब नहीं मिला तो आयोग ये मान लेगा कि आपके पास कहने को कुछ नहीं है. फिर आयोग इस आरोप पर समुचित कानूनी कार्रवाई करने करेगा.
‘बीजेपी नेता ने चुनाव आयोग से की थी शिकायत’
नोटिस में हवाला दिया गया है कि कांग्रेस के उस विज्ञापन को पांच मई को बीजेपी नेता ओमप्रकाश के जरिए आयोग के ध्यान में लाया गया. इसके मुताबिक जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(4) और भारतीय दण्ड संहिता की धारा 171G के तहत दंडनीय है.
‘आयोग ने कहा- साक्ष्य हैं तो पेश करो’
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, कांग्रेस ने भाजपा सरकार को मुसीबत का इंजन करार दिया और 2019 और 2023 के बीच राज्य में भ्रष्टाचार की दरों को सूचीबद्ध करने वाले पोस्टर और विज्ञापनों का एक सेट जारी किया था. चुनाव आयोग ने अपने नोटिस में कहा कि यह एक उचित धारणा है कि INC के पास सामग्री/ अनुभवजन्य/ सत्यापन योग्य साक्ष्य हैं, जिसके आधार पर इन विशिष्ट/ स्पष्ट तथ्यों को प्रकाशित किया गया है. कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष से उदाहरण के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए कहा है. आयोग ने आगे कहा कि यदि कोई प्रमाण हो तो 7 मई 2023 को शाम 7 बजे तक स्पष्टीकरण दें और उसे सार्वजनिक डोमेन में भी डालें.