किसान आंदोलन में नेताओ का दोगला चरित्र सामने आना शुरू हो गया है।एनसीपी प्रमुख शरद पवार का एक पत्र सामने आया है जिसमे वो कृषि मंत्री रहते सभी रॉज्यो को इन्ही मांगो पर आग्रह करते दिख रहे हैं।
एक तरफ किसान तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी के सवाल पर सरकार से ‘हां’ या ‘ना’ में जवाब चाहते हैं और वो इससे कम पर आंदोलन खत्म करने को बिल्कुल भी राजी नहीं हैं तो दूसरी तरफ सरकार बीच का रास्ता निकालने का ऑफर दे रही है। सरकार की मंशा नए कानूनों को वापस लेने की तो बिल्कुल नहीं दिख रही है। इसकी पुष्टि रविवार को केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के एक बयान से भी होती है। उन्होंने साफ कहा कि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा।
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री का इशारा समझिए
उन्होंने कहा कि सरकार ने जो तीनों कानून लाए हैं, वो किसानों के हित में हैं। चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार प्रदर्शनकारी किसानों की मांग के अनुसार इन कानूनों में कुछ संशोधन कर देगी। उन्होंने कहा, ‘ये कानून किसानों को आजादी देंगे। हमने हमेशा कहा कि किसानों को अपनी मर्जी से फसल बेचने का अधिकार होना चाहिए। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में भी यही सिफारिश की गई है। मुझे नहीं लगता है कि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। अगर जरूरत पड़ी तो इनमें कुछ संशोधन किए जा सकते हैं ताकि आंदोलनकारी किसानों को मनाया जा सके।’
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ध्यान रहे कि किसान संगठनों से कई दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद केंद्र सरकार थोड़ी नरम जरूर पड़ी है। चौधरी ने कहा कि सरकार लिखित में दे सकती है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य बरकरार रखा जाएगा। हालांकि चौधरी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में किसान आंदोलन को डिसक्रेडिट करते हुए यह भी कह दिया कि उन्हें नहीं लगता कि ये असली किसान हैं। चौधरी ने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि असली किसान, जो अपने खेतों में काम कर रहे हैं, वे इस बारे में चिंतित हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं और देश के किसान नए कानूनों के समर्थन में हैं।
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भारत बंद पर अड़े किसानों को राजनीतिक दलों और यूनियनों का समर्थन
उधर, किसान 8 दिसंबर को ‘भारत बंद’ पर अड़े हुए हैं। इस बंद को 11 राजनीतिक दलों और 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन है। कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह 8 दिसंबर को भारत बंद का समर्थन करेगी। पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इसे राहुल गांधी के किसानों को समर्थन को मजबूत करने वाला कदम करार दिया। इसके अलावा लेफ्ट पार्टियों ने भी एक संयुक्त बयान जारी कर भारत बंद का खुलकर समर्थन किया। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC), लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD), तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS), राष्ट्रीय लोकदल (RLD) ने भी राष्ट्रव्यापी बंदी का साथ देने का फैसला किया है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी बंद के समर्थन का ऐलान किया है। केजरीवाल ने एक ट्वीट में ‘सभी देशवासियों से अपील की कि सब लोग किसानों का साथ दें और इसमें हिस्सा लें।’