Tuesday, February 11, 2025
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टुकड़ों पर पलने वाले गुलाम पत्रकारों ने फैलाई अफवाह,जार्ज सोरस गैंग से पोषित खानदान का कारनामा

मध्य प्रदेश के छतरपुर के एक गाँव से खबर आई कि वहाँ दलित व्यक्ति का प्रसाद खाने के बाद 20 परिवारों का बहिष्कार कर दिया गया है। बहिष्कार करने वाला व्यक्ति गाँव का सरपंच संतोष तिवारी है। दरअसल, 13 जनवरी 2025 को इस तरह के दावों के साथ कई सोशल मीडिया पोस्ट वायरल किए गए। हालाँकि, पुलिस ने इस तरह की किसी घटना से इनकार करते हुए इसे आपसी विवाद बताया है।

एक्स यूजर ‘द दलित वॉयस’ ने अपने पोस्ट में लिखा, “दलित व्यक्ति के हाथों से प्रसाद खाने के लिए हिंदुओं द्वारा 20 परिवारों को बहिष्कृत कर दिया गया। यह घटना मध्य प्रदेश के छतरपुर की है।” हालाँकि, इस पोस्ट में दावे का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दिए गए थे। इसी तरह के पोस्ट अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है।

नाद्या नाम के एक अन्य यूजर ने अपने X पोस्ट में लिखा, “21वीं सदी का भारत कुछ ऐसा ही है। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के अतरार गाँव में एक दलित व्यक्ति से प्रसाद लेने के कारण लगभग 20 परिवारों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।” इसने प्रोपेगेंडा वेबसाइट मकतूब मीडिया का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया था कि ‘उच्च जाति’ के परिवारों का बहिष्कार किया गया था।

इस खबर को लेकर मकतूब मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, “जब खबर फैली कि उच्च जाति के परिवारों ने एक दलित से प्रसाद स्वीकार किया है तो सरपंच ने कथित तौर पर सभी लोगों के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार की घोषणा कर दी। इन परिवारों को शादी-विवाह सहित सभी सामाजिक समारोहों से बाहर रखने की घोषणा की गई है।”

हालाँकि, आर्या अन्वीक्षा और डॉक्टर नेहा दास सहित कई एक्स (पूर्व में ट्विटर) यूजर्स ने इन दावों का खंडन किया और वायरल इस फर्जी खबरों को खारिज करने के लिए सबूत पेश किए। इस तरह की फर्जी खबरें खुद को अंबेडकरवादी बताने वाले लोगों साझा की हैं। दरअसल, जिस मामले को वायरल किया किया जा रहा है वह अगस्त 2024 का बताया जा रहा है।

दरअसल, यह फर्जी खबर छतरपुर जिले के अतरार गाँव के एक दलित व्यक्ति द्वारा लगाए गए आरोपों से उपजी है। उसने अपनी शिकायत में दावा किया था कि उसके द्वारा बाँटे गए प्रसाद को खाने के कारण उसे और पाँच अन्य परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। हालाँकि, पुलिस ने इन दावों का खंडन किया और कहा कि यह गाँव के दो समूहों के बीच राजनीतिक विवाद का मामला है।

अहिरवार समाज (अनुसूचित जाति) से ताल्लुक रखने वाले जगत अहिरवार नाम के व्यक्ति ने 7 जनवरी को छतरपुर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। उसने कहा था कि अगस्त 2024 में उसने स्थानीय हनुमान मंदिर में प्रसाद में लड्डू चढ़ाया और उसे वहाँ खड़े लोगों में बाँट दिया। इसके बाद गाँव के सरपंच संतोष तिवारी ने उसके परिवार और प्रसाद खाने वाले पाँच अन्य लोगों को बहिष्कृत कर दिया।

अहिरवार ने दावा किया है कि इन परिवारों को अब शादियों और अन्य सामुदायिक कार्यक्रमों सहित सामाजिक समारोहों में आमंत्रित नहीं किया जाता है। अहिरवार ने सरपंच संतोष तिवारी पर जातिगत विभाजन का इस्तेमाल कर बहिष्कार लागू करने का आरोप लगाया और कहा, “हमें सदियों पुराने जातिगत पूर्वाग्रह के कारण बुनियादी सामुदायिक संपर्क से वंचित किया जा रहा है।”

पुलिस ने आरोपों को नकारा, बताया राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता

हालाँकि, पुलिस ने इन आरोपों को नकार दिया है। पुलिस के उप-विभागीय अधिकारी (SDPO) शशांक जैन ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा, “हमने ग्रामीणों से बात करके मामले की जाँच की, लेकिन इस तरह के बहिष्कार का कोई सबूत नहीं मिला।” पुलिस ने कहा कि यह घटना दो समूहों के बीच राजनीतिक दुश्मनी का नतीजा लगती है, जो स्थानीय चुनावों में कड़ी टक्कर से उपजी है।

एसडीओपी जैन ने कहा कि आरोप पूर्व सरपंच अहिरवार और मौजूदा सरपंच तिवारी का समर्थन करने वाले प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच जारी तनाव से प्रभावित हो सकते हैं। वहीं, सरपंच तिवारी ने भी बहिष्कार की घटना से साफ तौर पर इनकार किया। तिवारी ने कहा, “ये आरोप निराधार और राजनीति से प्रेरित हैं। अहिरवार सरपंच का चुनाव हार गए हैं। यह मुझे बदनाम करने की एक चाल है।”

दिलचस्प बात यह है कि इस मामले पर मीडिया रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि जिन परिवारों का कथित तौर पर बहिष्कार किया गया है, वे दलित और उच्च जाति दोनों समुदायों से हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट में कहा गया, “यह प्रसाद ब्राह्मणों सहित विभिन्न जातियों के 20 से अधिक ग्रामीणों को दिया गया था। जैसे ही यह बात फैली कि उच्च जाति के व्यक्तियों ने एक दलित से प्रसाद स्वीकार किया है, सरपंच ने कथित तौर पर इन सभी परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का आदेश दिया।”

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