Wednesday, October 23, 2024
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फंस गया खुद के बनाये जाल में,भागता फिर रहा सबूत की बात करके

जन आंदोलन की उपज आम आदमी पार्टी और उसके मुखिया, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल लगता है, अपने ही बुने जाल में फंसते जा रहे हैं। लगातार विवादित भाषण उनके गले की फांस बन गए हैं। ताज़ा मामला दिल्ली के विधायकों की खरीद फरोख्त से जुड़ा है। केजरीवाल और उनकी एक मंत्री आतिशी ने आरोप लगाया था कि भाजपा उनके विधायकों को 25-25 करोड़ रूपये का लालच देकर तोड़ने में लगी है। भाजपा ने इसे गलत बताकर पुलिस में शिकायत की तो दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी के सात विधायकों की भाजपा द्वारा खरीद-फरोख्त का प्रयास किये जाने के उनके आरोपों पर तीन दिनों के अंदर केजरीवाल और आतिशी से जवाब मांगा है। दूसरी तरफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बार-बार भेजे जा रहे समन और उसे अनदेखा करना दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ा सकता है। ईडी ने शनिवार को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ईडी ने दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल को पांच बार समन जारी किए हैं लेकिन वो एक बार भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए हैं। केजरीवाल को यह डर सत्ता रहा है के झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तरह उन्हें भी जेल जाना पड़ सकता है। उनके दो नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह पहले से ही जेल में बंद हैं।
दिल्ली की जनता ने केजरीवाल की पार्टी को बहुमत से सिंहासन पर बैठाया है। इसे भी मान लेने में कोई गुरेज नहीं है कि केजरीवाल को राज चलाना नहीं आता। यही कारण है कि उनके निकटस्थ साथी एक-एक कर उनका साथ छोड़ गए। अन्ना आंदोलन के दौरान केजरीवाल कांग्रेस के भ्रष्टाचार को भारी जोर शोर से उठाते थे और यह कहते नहीं थकते थे कि सोनिया गांधी सहित कांग्रेस के नेताओं ने देश को लूटा है, इसलिए उनकी जगह जेल में होनी चाहिए। मगर शासन में आते ही केजरीवाल प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाने से नहीं चूके और कांग्रेस से हाथ मिलाने में कोई गुरेज नहीं किया। भाजपा भी विधानसभा चुनाव में अपनी हार को नहीं पचा पा रही है और केजरीवाल को बख्शने के मूड में नहीं है। मगर इस बार केजरीवाल और उनकी पार्टी को भ्रष्टाचार के मामले का सामना करना पड़ रहा है और उससे बचने के लिए तरह-तरह के उपाय सोचे जा रहे हैं।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ दी है। मोदी के निशाने पर वे सभी नेता हैं जो किसी न किसी घोटाले में फंसे हैं। हालांकि विपक्ष का आरोप है कि भाजपा में शामिल होने वाले कथित भ्रष्टाचारियों को बख्श दिया गया है। सियासी दंगल में केजरीवाल को कट्टर ईमानदार और कट्टर बेईमान की संज्ञा से विभूषित किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी जहां अपने नेता को कट्टर ईमानदार बता रही है, वहीं भाजपा कट्टर बेईमान बता रही है। केजरीवाल समन को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं और केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव की तैयारी से पहले उन्हें गिरफ्तार किये जाने की साजिश की जा रही है ताकि मुख्यमंत्री चुनाव प्रचार न कर सकें। इसके अलावा राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, तेजस्वी यादव, संजय राउत, अभिषेक बनर्जी, जंयत पाटिल, राघव चड्ढा, पी. चिदंबरम, डी.के. शिवकुमार आदि पर भी ईडी की जांच की तलवार लटक रही है।
गौरतलब है कि विपक्षी दल ईडी पर पक्षपात करने का आरोप लगाते रहते है। विपक्षी नेताओं ने ईडी को भाजपा की कठपुतली कहा है। इन आरोपों पर स्वतंत्र समीक्षक कहते हैं कि अगर एजेंसी कार्रवाई करती है तो इसका मतलब यह भी है कि शुरुआती जांच के आधार पर उसके पास कुछ न कुछ सबूत हैं। अगर किसी को भी ईडी की कार्रवाई गलत लगती है तो अदालत जाकर अपनी बात रखने का विकल्प उसके पास मौजूद है। वह वहां अपना पक्ष रख सकता है। विपक्ष कह रहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी देश की संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट भ्रष्ट कर रही है। सत्तारूढ़ पार्टी का कहना है जिन लोगों ने देश को लूटा है, वे सारे अपनी जान बचाने के लिए एक होने का नाटक कर रहे हैं ताकि उनके खिलाफ कोई स्वतंत्र जांच न हो सके।

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