राहुल गांधी की राजनीति पूरी तरह झूठ पर टिकी है। एक झूठ का सच उजागर होते ही दूसरा झूठ लेकर उठ खड़े होते हैं। उनके द्वारा बोले गये झूठे बयानों की फेहरिश्त अंतहीन है। अब राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी उच्च शिक्षा में आरक्षित पदों पर नियुक्ति को लेकर एक नया झूठ बोल रहे हैं। लेकिन उनका यह झूठ भी तथ्यों की कसौटी पर बेपर्दा हो चुका है।
आंकड़ों से स्पष्ट है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षित पदों पर नियमसम्मत आरक्षण के अनुपात में सर्वाधिक नियुक्ति मोदी सरकार में हुई है। कुल 6080 पदों पर हुई नियुक्ति में अनुसूचित जाति(SC) की 14.3%, अनुसूचित जनजाति(ST) की 7%, ओबीसी(OBC) की 23.42% की भागीदारी है। इसके अलावा बचे हुए पदों पर इन्हीं नियमों के तहत नियुक्ति प्रक्रिया प्रगति पर है।
अत: राहुल गांधी द्वारा यह दुष्प्रचार फैलाना कि इन नियुक्तियों में एससी 7.1%, एसटी 1.6% तथा ओबीसी 4.5% ही हैं, सरासर झूठ है। झूठ फैलाकर समाज को बांटने और अस्थिरता पैदा करने की कांग्रेस की आदत पुरानी है। कांग्रेस का मूल चरित्र एससी-एसटी-ओबीसी विरोधी है। सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने हमेशा वंचित समाज के हितों का खुला विरोध किया है।
अब जब मोदी सरकार वंचित समाज की भागीदारी सुनश्चित कर रही है तब कांग्रेस और इसके नेताओं का एससी-एसटी-ओबीसी विरोधी चेहरा खुलकर एकबार फिर सामने आ गया है। राहुल गांधी को खुली चुनौती है कि वे अपने द्वारा दिए झूठे आंकड़ों का ठोस प्रमाण दें अथवा अपने झूठ के लिए सार्वजनिक माफ़ी मांगे।
अब सच सामने है। शीशे की तरह साफ़ है। इसलिए कांग्रेस के झूठ बोने, झूठ उगाने और झूठ फैलाने की मंशा नहीं सफल होने वाली है।
UGC के नए ड्राफ्ट में उच्च शिक्षा संस्थानों में SC, ST और OBC वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को ख़त्म करने की साजिश हो रही है।
आज 45 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में लगभग 7,000 आरक्षित पदों में से 3,000 रिक्त हैं, और जिनमें सिर्फ 7.1% दलित, 1.6% आदिवासी और 4.5% पिछड़े वर्ग के Professor…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 29, 2024