यूपीए के शासनकाल में 2008 में 51 डिब्बों में भर कर नेहरू के निजी खत सोनिया गांधी के पास पहुंचाए गए थे. इन खतों को प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (PMML) सोसाइटी से लिया गया था. पीएमएमएल का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री के ये खत ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज हैं, ये किसी की निजी संपत्ति कैसे हो सकते हैं? इसलिए इन्हें संग्रहालय को वापस दिये जाने चाहिए. नेहरू ने ये पत्र इनको लिखे…
एडविना माउंटबेटन (भारत में ब्रिटेन के आखिरी गवर्नर जनरल लार्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन). अल्बर्ट आइंस्टीन (विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद्)जयप्रकाश नारायण (भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता)पद्मजा नायडू (भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ)विजया लक्ष्मी पंडित (विजय लक्ष्मी पंडित, पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन थीं)अरुणा आसफ़ अली ( भारतीय शिक्षिका, राजनीतिक कार्यकर्ता और प्रकाशक)बाबू जगजीवन राम (भारत के प्रथम दलित उप-प्रधानमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता)गोविंद बल्लभ पंत(स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता, यूपी के पहले मुख्यमंत्री)
कहां से आईं…सोनिया गांधी तक कैसी पहुंची चिट्ठियां!
पंडित नेहरू की ये चिट्ठियां जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल ने 1971 में नेहरू मेमोरियल म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी को दी थीं, जो अब प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय के नाम से जाना जाता है. ये वे दस्तावेज हैं जो मेमोरियल को दान किए गए थे. बताया जा रहा है कि पंडित नेहरू की चिट्ठियां और अन्य दस्तावेज कथित तौर पर 2008 में सोनिया गांधी के निर्देश पर संग्रहालय से निकाली गई थीं. ये चिट्ठियां सोनिया गांधी के निवास पर 51 डिब्बों में पहुंचाई गई थीं.
बीजेपी ने पूछा- खतों को छुपाने की क्या जरूरत
बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने संसद में सवाल उठाया कि आखिर क्यों पंडित नेहरू के खतों को छुपाया जा रहा है? उन्होंने आरोप लगाया कि पंडित नेहरू और माउंट बेटन की पत्नी के बीच जो खत लिखे गए थे, उसे गायब कर दिया है. नेहरू और जय प्रकाश नारायण के बीच जो बातचीत पत्रों के जरिए हुई, वो राष्ट्र की धरोहर है और उन लेटर को वापस किया जाना चाहिए. संबित पात्रा ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा- मुझे इस बात की उत्सुकता है कि नेहरू जी ने एडविना माउंटबेटन को क्या लिखा होगा, जिसे सेंसर करने की जरूरत पड़ गई.
गौरतलब है कि इतिहासकार कादरी ने पत्र लिखकर कहा है कि राहुल गांधी अपनी माताजी (सोनिया गांधी) से बात करिए कि वह नेहरू की वो सारी चिट्ठियां लौटाएं, क्योंकि ये राष्ट्र की धरोहर हैं. देश के हर नागरिक को ये जानने का अधिकार है कि उनके पहले प्रधानमंत्री किससे क्या बात कर थे और कौन से दस्तावेजों पर साइन कर रहे थे. कादरी ने बताया कि सोनिया गांधी से कोई जवाब नहीं मिलने के बाद ही उन्होंने राहुल गांधी को एक और पत्र लिखा.
भाजपा सांसद व राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने प्रधानमंत्री म्यूजियम मेमोरियल लाइब्रेरी में रखी नेहरू के साथ माउंटबेटन, बाबू जगजीवन राम और जय प्रकाश नारायण के मध्य संवाद की अहम चिट्ठियों को सोनिया गांधी के घर भेजे जाने की आलोचना की।
पत्र में क्या है, देश को जानने का अधिकार: भाजपा
प्रश्न उठाया कि इन पत्रों में ऐसा है, जिसे कांग्रेस छिपाना चाहती है। देश को यह जानने का अधिकार है। सोमवार को भाजपा मुख्यालय में डा. पात्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री संग्रहालय से संबंधित एक गंभीर मुद्दा चर्चा में है। वर्ष 1964 में दिल्ली के तीन मूर्ति मार्ग पर स्थित जवाहरलाल नेहरू म्यूजियम और लाइब्रेरी (अब प्रधानमंत्री संग्रहालय) में भारत के प्रधानमंत्रियों से जुड़ी ऐतिहासिक सामग्रियां संजोई गईं।
साल 2008 में सोनिया गांधी पत्रों को ले गईं थी घर
प्रधानमंत्री संग्रहालय का प्रबंधन प्राइम मिनिस्टर मेमोरियल ट्रस्ट के 29 सदस्यों की टीम के अधीन है। फरवरी 2024 में ट्रस्ट की एक बैठक हुई थी, जिसमें एक महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया कि पं. नेहरू द्वारा विभिन्न व्यक्तियों और हस्तियों को लिखे गए पत्र 1971 में प्रधानमंत्री संग्रहालय को दिए गए थे, लेकिन वर्ष 2008 में तत्कालीन यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर एमवी राजन नामक प्रतिनिधि ने इन पत्रों का निरीक्षण कर उन्हें चिन्हित किया। इसके बाद 5 मई 2008 को संग्रहालय के तत्कालीन निदेशक से अनुमति लेकर नेहरू के पत्रों को 51 डिब्बों में संग्रहित करके सोनिया गांधी के घर ले जाया गया।
पत्रों में कई ऐतिहासिक संवाद शामिल है: भाजपा
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इन पत्रों में कई ऐतिहासिक और अहम संवाद शामिल हैं, जैसे एडविना माउंटबेटन, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया था और बाबू जगजीवन राम से संबंधित अहम पत्राचार। यह किसी की निजी संपत्ति नहीं है, क्योंकि 1971 में इन्हें दान किया गया था और राष्ट्रीय धरोहर में शामिल किया गया था।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री म्यूजियम मेमोरियल लाइब्रेरी के सदस्य अहमदाबाद के एक इतिहासकार रिजवान कादरी ने राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी कि जवाहर लाल नेहरू की 51 डब्बे चिट्ठियां यूपीए की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास हैं। कृपया इस राष्ट्रीय धरोहर को वापस करने में आप मदद करें। कमेटी ने भी पत्र लिखा।
डा. पात्रा ने कहा कि 2010 से इन सभी चिट्ठियों का डिजिटलीकरण होना था, लेकिन उससे पहले ही सोनिया गांधी ने उन चिट्ठियों को अपने पास मंगा लिया था। इससे स्वाभाविक रूप से यह प्रश्न उठता है कि इन चिट्ठियों में ऐसी कौन सी बातचीत थी कि गांधी परिवार नहीं चाहता कि देश को इन चिट्ठियों के विषय में पता चले।