💯 परसेंट खरी – खरी बात
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मनमोहन सिंह को सांप्रदायिक लक्षित हिंसा विरोधी अधिनियम जैसे कानूनों के लिए भी याद रखा (जाना) जाएगा!
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मनमोहन सिंह भारत के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनके लिए कहा जाता था कि उनका रिमोट कंट्रोल कहीं और है।
वे अपनी स्वतंत्र छवि बनाने में 10 साल तक नाकामयाब रहे परन्तु विश्व में ऐसा वातावरण बनाने में कामयाब रहे कि भारत का अपना कोई मजबूत वजूद दुनिया में नहीं है।
उनके कार्यकाल में भारत में इतने बम धमाके होते थे कि हर समय हर स्थान शक के घेरे में रहता था
कि कहीं यहाँ बम धमाके न हो जाएं। राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते हुए सभी सार्वजनिक स्थानों पर जो एक बात कॉमन थी वह यह कि वहाँ लिखा होता था, “अनजान वस्तुओं को न छुएं।” 120 करोड़ लोगों के देश में मनमोहन सिंह की कैबिनेट के साइकिएट्रिस्ट गृहमंत्री बड़े बड़े बम धमाकों के बाद कहते थे कि लोगों की याददाश्त कम होती है, इसके अलावा मनोविज्ञान के शोधार्थी शहजादे ने भी महंगाई को एक स्टेट ऑफ माइंड कहकर भारतीयों के मनोबल को ऊंचा उठाया था।
ऐसी सफलता स्वतंत्र भारत में शायद उन्हें ही हासिल हुई है।
घोटालों का विशेष रूप से उनकी सरकार में वर्चस्व
एक पाखंड होता है कि मृत्यू पश्चात किसी को अचानक महापुरुष बना दिया जाता है, मनमोहन ऑक्सफ़ोर्ड शिक्षित ईमानदार व्यक्ति पद और प्रतिष्ठा की लालच में आत्म सम्मान को मारकर उम्र भर देश द्रोहियों के साथ खड़ा रहा । १९६६ से २०१४ तक से देश की आर्थिक व्यस्था के शीर्ष पर रहे और औसत GDP ४.३% पर अटका के रक्खा और देश की आर्थिक व्यवस्था को बर्बाद कर डाला । आपातकाल के समय
में यह इंदिरा गांधी का Chief financial Adviser था ।आर्थिक सुधार लाना तो IMF के शर्तों के पालन की अनिवार्यता थी । २०१४ में भारत को विश्व के पाँच Economically कमजोर देशों के बीच अपना प्रधान मंत्रित्व को छोड़ा।
तुष्टिकरण की हद पर करदी और कहा की “देश के संसाधनों पर मुसलमानों का पहला अधिकार है “ क्या देश के संसाधन उसके बाप की कमाई थी? एक झटके में देश की ८०% आबादी को द्वितीय वर्ग की नागरिक बना दिया । देश को मनमोहन सिंह जैसा सबसे निकम्मा प्रधान मंत्री ना कभी मिला और शायद मिलेगा भी नहीं ।
घोटाले पर घोटाले होते रहे लेकिन यह आदमी मौन रहा ।
यासिम मालिक जैसे दहशत गर्दी इसका ख़ास दोस्त था ।
अंत में परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ की इस पापी की सभी पापों क
आप देश के प्रधानमंत्री थे एक परिवार के गुलाम नहीं. जब आप देश के प्रधानमंत्री थे तब देश में सैकड़ों आतंकवादी हमले हुए, लेकिन आप कभी देश के लिए कड़े फैसले लेते नज़र नहीं आये. क्या आपकी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती थी देश की जनता के प्रति जो आतंकवाद से अपने अपने जिलों में जूझ रही थी. भ्रष्टाचार पर एक बार को ये भी कह दें कि आपके साथ के लोग कर रहे थे, लेकिन अंततः जिम्मेदारी तो आपकी ही थी न.
2005
दिल्ली सीरियल ब्लास्ट (29 अक्टूबर, 2005)
दिवाली से ठीक पहले तीन स्थानों पर बम धमाके हुए। 60 से अधिक लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हुए।
जिम्मेदारी: लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद।
2006
वाराणसी ब्लास्ट (7 मार्च, 2006)
स्थान: संकट मोचन मंदिर और रेलवे स्टेशन
विवरण: दो बम धमाकों में 28 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए।
जिम्मेदारी: हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (HuJI)।
मुंबई ट्रेन ब्लास्ट (11 जुलाई, 2006)
स्थान: मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात जगहों पर धमाके।
विवरण: 209 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हुए।
जिम्मेदारी: लश्कर-ए-तैयबा और सिमी।
2007
समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट (18 फरवरी, 2007)
स्थान: हरियाणा के पास समझौता एक्सप्रेस ट्रेन।
विवरण: ट्रेन में दो बम धमाकों में 68 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश पाकिस्तानी नागरिक थे।
हैदराबाद ब्लास्ट (25 अगस्त, 2007)
स्थान: लुंबिनी पार्क और गोकुल चाट भंडार
विवरण: दो धमाकों में 42 लोग मारे गए और 50 से अधिक घायल हुए।
जिम्मेदारी: इंडियन मुजाहिदीन।
2008
जयपुर ब्लास्ट (13 मई, 2008)
स्थान: जयपुर के विभिन्न स्थानों पर।
विवरण: आठ धमाकों में 63 लोग मारे गए और 216 घायल हुए।
अहमदाबाद ब्लास्ट (26 जुलाई, 2008)
स्थान: अहमदाबाद के विभिन्न स्थानों पर।
विवरण: 21 धमाकों में 56 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हुए।
दिल्ली ब्लास्ट (13 सितंबर, 2008)
स्थान: दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर।
विवरण: पांच धमाकों में 30 लोग मारे गए और 90 घायल हुए।
26/11 मुंबई हमला (26-29 नवंबर, 2008)
स्थान: मुंबई (ताज होटल, ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस और CST स्टेशन)।
विवरण: पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने हमला किया। 166 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए।
जिम्मेदारी: लश्कर-ए-तैयबा।
2010
पुणे जर्मन बेकरी ब्लास्ट (13 फरवरी, 2010)
स्थान: पुणे
विवरण: धमाके में 17 लोग मारे गए और 60 घायल हुए।
जिम्मेदारी: इंडियन मुजाहिदीन।
2011
मुंबई ब्लास्ट (13 जुलाई, 2011)
स्थान: झवेरी बाजार, ओपेरा हाउस, और दादर।
विवरण: तीन धमाकों में 26 लोग मारे गए और 130 घायल हुए।
दिल्ली हाई कोर्ट ब्लास्ट (7 सितंबर, 2011)
स्थान: दिल्ली हाई कोर्ट
विवरण: धमाके में 15 लोग मारे गए और 70 घायल हुए।
जिम्मेदारी: हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (HuJI)।
2013
पटना सीरियल ब्लास्ट (27 अक्टूबर, 2013)
स्थान: नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान गांधी मैदान।
विवरण: धमाकों में 6 लोग मारे गए और 85 घायल हुए।
जिम्मेदारी: इंडियन मुजाहिदीन।
बाकी घोटाले तो अपनी जगह थे ही. एक प्रधानमंत्री के तौर पर क्या आपकी जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि अपीजमेंट की राजनीती से ऊपर उठ कर कड़े फैसले लें, लेकिन आप तो अपीजमेंट को नेक्स्ट लेवल ले जाकर बोलने लगे कि देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलामानों का है.
जिम्मेदारी: इंडियन मुजाहिदीन।
इतिहास आपको कैसे भी याद रखे, मेरी पीढ़ी आपको एक रीढ़विहीन प्रधानमंत्री के तौर पर ही याद करेगी.